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मेरा पहला कार्य दिवस

17 अक्टूबर 2022

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मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग के अधीन हाई स्कूल स्तर तक की शिक्षा व्यवस्था संचालित करने वाले विभाग राज्य शिक्षा केंद्र में ७ फरवरी १९९५ को मेरा पहला कार्य दिवस था। मुझे पहले दिन कार्यालय में मेरे बड़े भैया छोड़ने आये। तब राज्य शिक्षा केंद्र को खुले २-३ माह ही हुए थे। इसलिए २०-२५ अधिकारी/कर्मचारी ही वहां कार्यरत थे।  मेरे साथ ही अन्य दो महिलाएं भी ज्वाइन करने आयी थी।  मेरा और उन दोनों महिलाओं का भी परिचय पूर्व कार्यरत कर्मचारियों से एक बड़े से हॉल में हुआ। परिचय के बाद कार्यालय प्रशासक हमें एडिशनल डायरेक्टर के पास ले गए।  जहाँ एडिशनल डायरेक्टर ने हमारा परिचय और कुछ शिक्षा संबधी जानकारी लेने के बाद कार्यालय प्रशासक को उनके साथ काम करने के लिए मेरा कार्य आवंटन आदेश निकालने के कहा। यद्यपि मुझे तब काम कैसे करुँगी, इसके लिए मन में थोड़ी घबराहट थी, लेकिन वहां पहले से कार्यरत महिला मित्र ने मुझे जब कार्यालयीन प्रक्रिया समझाई तो मुझे कोई खास कठिनाई नहीं हुई। इस तरह मेरा पहला कार्य दिवस बहुत अच्छे से बीता तो मन में संतुष्टि थी।

यह मेरा सौभाग्य रहा कि हमारी एडिशनल डायरेक्टर एक अत्यंत सुलझी महिला अधिकारी होने के कारण उनके साथ काम करने में कोई दिक्कत नहीं आई।  वे एक बेहद मेहनती और ईंमानदार महिला अधिकारी थी। वह सुबह से लेकर देर शाम तक काम करती रहती थी। क्योंकि कार्यालय नया-नया था तो बहुत देर शाम तक काम करना पड़ता था। घर की चिंता रहती थी कि घर वाले देर तक काम करने से मन करेंगे लेकिन हमारी एडिशनल डायरेक्टर इतनी अच्छी थी कि वह अपनी गाडी से सभी महिलाओं को स्वयं पहले घर छोड़कर आती थी और फिर अपने घर जाती थी। उनके घर जैसे माहौल निर्मित करने के कारण ही महिलाओं को देर शाम तक काम करने में कोई दिक्कत नहीं होती थी। कभी-कभी तो रात भी हो जाती थी इस दौरान जिस दिन भी देर शाम या फिर रात हो जाय, होटल से खाना मंगवाती थी और सबके साथ बैठकर खाती थी।  उनके साथ कार्यालय के सारा काम सीखने के कारण ही उनके ट्रांसफर के बाद मैं राज्य शिक्षा संचालक, जो आईएएस अधिकारी थी और हमारे उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले से थी, उनके पीए के रूप में १० वर्ष तक काम कर पायी। उनके साथ काम करने से मुझे आत्मविश्वास के साथ बहुत कुछ सीखने को मिला।

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रचनाएँ
विविध विषय लेखन (दैनन्दिनी, अक्टूबर 2022)
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इस पुस्तक में शब्द.इन द्वारा दिए गए विविध विषयोँ में किया गया लेखन संगृहीत है।
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कला चिकित्सा और इसके लाभ

3 अक्टूबर 2022
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मानव शरीर को यदि मैं अनेक रोगों का पिटारा कहूं तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि मानव शरीर जीवन भर स्वस्थ नहीं रह पाता, उसे समय-समय पर कई शारीरिक रोग घेर ही लेते हैं।  इसके अलावा वह अपनी जीवन की आप

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दैनिक जीवन की सामान्य गलतियाँ

4 अक्टूबर 2022
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यूँ ही इंसान को गलतियों का पुतला नहीं कहा गया है। जीवन संघर्ष के दौरान व्यक्ति जब कोई कार्य करता है तो उसमें गलती न हो, ऐसा संभव नहीं है। अज्ञानता बस जाने-अनजाने  में वह कई गलतियां करता रहता है। लेकिन

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कर्म और भाग्य

6 अक्टूबर 2022
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जीवन गति बड़ी निराली है, इसे मापने का कोई निश्चित पैमाना नहीं है। संसार में कर्म और भाग्य के बारे में कोई एक धारणा नहीं है। भाग्य और कर्म दोनों के लिए अलग-अलग धारणाएँ पुरातन काल से ही प्रचलित हैं, जिसम

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जीवन में सबसे ज्यादा पछतावे वाली घटना

7 अक्टूबर 2022
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कभी स्कूल में जब पहली बार भूगोल की किताब पढ़कर ये बात पता चली कि पृथ्वी गोल है, तो कई दिन तक अपने आस-पास और चारों ओर घूम-घूम कर पता लगाने की कोशिश करती कि आखिर यह पृथ्वी कैसे गोल होगी, क्योँकि मुझे तो

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9 अक्टूबर 2022
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11 अक्टूबर 2022
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सदियों से चली आ रही लैंगिक असमानता एक परम्परा की तरह आज भी हमारे समाज में सहजता से देखने को मिल जाती है।  आज भी सामान्य समाज में जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो घर-परिवार वाले उसकी ख़ुशी में जो कार्यक

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कहने को तो परिवार एक छोटा सा शब्द है, लेकिन यही वह जगह होती है, जिसके इर्द-गिर्द मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन चक्र घूमता है। परिवार के बारे में जब हम  विचार करते हैं तो हमें ज्ञात होता है कि परिवार मर्यादा

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करवाचौथ का व्रत

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हमारी भारतीय संस्कृति में विभिन्न धर्म, जाति, रीति, पद्धति, बोली, पहनावा, रहन-सहन के लोगों द्वारा अपने-अपने उत्सव, पर्व, त्यौहार वर्ष भर बड़े धूमधाम से मनाये जाने की सुदीर्घ परम्परा है। ये उत्सव, त्यौ

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आज का युग डिजिटल का युग है। जिस तरह से आज घर से लेकर दफ्तर तक सब कार्योँ का डिजिटलीकरण का प्रसार हुआ है, उस तरह से डिजिटल साक्षरता का अभाव होने से आम नागरिकों को कई तरह की धोखाधड़ियोँ का शिकार होना पड़

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सकारात्मक और नकारात्मक सोच

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किसी भी व्यक्ति की जीवन में घटित होने वाले घटनाक्रम या कार्य विशेष के प्रति उसकी सोच और विचार करने का दृटिकोण हमें उसके सकारात्मक या नकारात्मक होने का परिचय कराते हैं। हमारा सोच-विचार यदि सकारात्मक हो

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हमारी भारतीय संस्कृति उत्सवधर्मी है, जहाँ वर्ष भर तन-मन की थकान दूर करने के उद्देश्य से हमारे धार्मिक ग्रंथों में तीज-त्योहारों का उल्लेख कर उन्हें समय-समय पर मनाये जाने का वर्णन किया गया है। इन त्योह

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आरोग्य का पर्व है दीपावली

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सोशल मीडिया और समाज का धुर्वीकरण

27 अक्टूबर 2022
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सूचना क्रांति के आधुनिक युग में सोशल मीडिया के सन्दर्भ में कई सवाल उठते हैं। आज सोशल मीडिया ने आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र ही नहीं बल्कि हमारे घर-घर तक अपनी पैठ बना ली है। इंटरनेट

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