मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग के अधीन हाई स्कूल स्तर तक की शिक्षा व्यवस्था संचालित करने वाले विभाग राज्य शिक्षा केंद्र में ७ फरवरी १९९५ को मेरा पहला कार्य दिवस था। मुझे पहले दिन कार्यालय में मेरे बड़े भैया छोड़ने आये। तब राज्य शिक्षा केंद्र को खुले २-३ माह ही हुए थे। इसलिए २०-२५ अधिकारी/कर्मचारी ही वहां कार्यरत थे। मेरे साथ ही अन्य दो महिलाएं भी ज्वाइन करने आयी थी। मेरा और उन दोनों महिलाओं का भी परिचय पूर्व कार्यरत कर्मचारियों से एक बड़े से हॉल में हुआ। परिचय के बाद कार्यालय प्रशासक हमें एडिशनल डायरेक्टर के पास ले गए। जहाँ एडिशनल डायरेक्टर ने हमारा परिचय और कुछ शिक्षा संबधी जानकारी लेने के बाद कार्यालय प्रशासक को उनके साथ काम करने के लिए मेरा कार्य आवंटन आदेश निकालने के कहा। यद्यपि मुझे तब काम कैसे करुँगी, इसके लिए मन में थोड़ी घबराहट थी, लेकिन वहां पहले से कार्यरत महिला मित्र ने मुझे जब कार्यालयीन प्रक्रिया समझाई तो मुझे कोई खास कठिनाई नहीं हुई। इस तरह मेरा पहला कार्य दिवस बहुत अच्छे से बीता तो मन में संतुष्टि थी।
यह मेरा सौभाग्य रहा कि हमारी एडिशनल डायरेक्टर एक अत्यंत सुलझी महिला अधिकारी होने के कारण उनके साथ काम करने में कोई दिक्कत नहीं आई। वे एक बेहद मेहनती और ईंमानदार महिला अधिकारी थी। वह सुबह से लेकर देर शाम तक काम करती रहती थी। क्योंकि कार्यालय नया-नया था तो बहुत देर शाम तक काम करना पड़ता था। घर की चिंता रहती थी कि घर वाले देर तक काम करने से मन करेंगे लेकिन हमारी एडिशनल डायरेक्टर इतनी अच्छी थी कि वह अपनी गाडी से सभी महिलाओं को स्वयं पहले घर छोड़कर आती थी और फिर अपने घर जाती थी। उनके घर जैसे माहौल निर्मित करने के कारण ही महिलाओं को देर शाम तक काम करने में कोई दिक्कत नहीं होती थी। कभी-कभी तो रात भी हो जाती थी इस दौरान जिस दिन भी देर शाम या फिर रात हो जाय, होटल से खाना मंगवाती थी और सबके साथ बैठकर खाती थी। उनके साथ कार्यालय के सारा काम सीखने के कारण ही उनके ट्रांसफर के बाद मैं राज्य शिक्षा संचालक, जो आईएएस अधिकारी थी और हमारे उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले से थी, उनके पीए के रूप में १० वर्ष तक काम कर पायी। उनके साथ काम करने से मुझे आत्मविश्वास के साथ बहुत कुछ सीखने को मिला।