shabd-logo

हम और हमारे त्यौहार

21 अक्टूबर 2022

36 बार देखा गया 36

हमारी भारतीय संस्कृति उत्सवधर्मी है, जहाँ वर्ष भर तन-मन की थकान दूर करने के उद्देश्य से हमारे धार्मिक ग्रंथों में तीज-त्योहारों का उल्लेख कर उन्हें समय-समय पर मनाये जाने का वर्णन किया गया है। इन त्योहारों के पीछे वर्ष भर बदलते मौसम के अनुसार कई स्वास्थ्यगत और थके-हारे मन को तरोताजगी से भरने के उत्क्रम हमें देखने को मिलते हैं।  कोई भी त्यौहार हो, उसे मनाये जाने के कई कारण छुपे होते हैं। मुझे बचपन से ही यह बात अच्छे से  याद है कि जब भी कोई तीज-त्योहार आता था तो घर के बड़े लोग घर की साफ़ सफाई तो हम बच्चे घर के आँगन को गोबर-मिट्टी से लीपने-पोतने बैठ जाया करते थे, जो हमारे लिए किसी खेल से कम नहीं हुआ करता था। तब आज की तरह त्यौहार धूम-धड़ाका, देख-तमाशा जैसा मनाने का चलन नहीं था।  होता भी कैसे तब आज जैसा पैसा-पल्ला भी न था।  एक कमाने वाला होता था तो खाने वाले ८-१० प्राणी।  हाँ तब एक बात जरूर थी कि हमारे घर में हमने गाय पाल रखी थी तो दूध-घी तो खूब मिल जाता है, लेकिन और चीजे नहीं खरीद पाते थे। दीपावली जैसे त्यौहार पर ही नए कपडे मिलते थे। मिठाई तक नहीं खरीद पाते थे।  मुझे याद है जब भी कोई त्यौहार आता तो तब मेरे एक चाचा जी जो बीएचईएल में नौकरी करते थे, वे ही हमारे लिए हर बार मिठाई लेकर आते थे, जिससे हमें मिठाई खाने को मिलती थी।  दीपावली को वे ही कुछ फुलझड़ी और पटाखे लेकर आते थे तो हम बच्चे उन्हें ही मोहल्ले भर के बच्चों को दिखा-दिखाकर फोड़ते थे और खुश हो लेते थे। 

आज के समय में त्यौहार का मलतब दिखावा करना ज्यादा हो गया है। जैसे दीपावली को ही लीजिए- आज अधिकतर लोग नए-नए महंगे-महंगे कपड़े लत्ते पहनकर सस्ते-महंगे दीयों में घी-तेल भरकर घर-आंगन को रोशन कर धन लक्ष्मी की पूजा अर्चना की परम्परा तो निभाते हैं, लेकिन इसके साथ ही महंगी-महंगी उपहार की वस्तुओं को खरीद कर उनका दिखावा करने का प्रचलन ज्यादा है। जबकि पहले ऐसा नहीं था।  तब इन्हें मनाने के पीछे एक सर्व धर्म समभाव का भी उद्देश्य होता था और होता था सबको स्वस्थ और सुखी देखने का एक माध्यम। तब गांव का किसान हो या शहर का मजदूर दिन भर काम करके जब वह बुरी तरह थक जाता था तो उनकी परिश्रम की थकान को मिटाने तथा प्रसन्न रहने के लिए समय-समय धूमधाम से मनाये जाने वाले यही त्यौहार होते थे जो उनमें नई उमंग-तरंग भरकर ऊर्जा संचरण का काम करते थे, जो उन्हें स्वस्थ रहने के लिए बहुत जरूरी होते थे।

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

बहुत सुंदर और व्यवाहरिक लिखा आपने 👌👌💐

23 अक्टूबर 2022

15
रचनाएँ
विविध विषय लेखन (दैनन्दिनी, अक्टूबर 2022)
0.0
इस पुस्तक में शब्द.इन द्वारा दिए गए विविध विषयोँ में किया गया लेखन संगृहीत है।
1

कला चिकित्सा और इसके लाभ

3 अक्टूबर 2022
20
10
3

मानव शरीर को यदि मैं अनेक रोगों का पिटारा कहूं तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि मानव शरीर जीवन भर स्वस्थ नहीं रह पाता, उसे समय-समय पर कई शारीरिक रोग घेर ही लेते हैं।  इसके अलावा वह अपनी जीवन की आप

2

दैनिक जीवन की सामान्य गलतियाँ

4 अक्टूबर 2022
19
11
4

यूँ ही इंसान को गलतियों का पुतला नहीं कहा गया है। जीवन संघर्ष के दौरान व्यक्ति जब कोई कार्य करता है तो उसमें गलती न हो, ऐसा संभव नहीं है। अज्ञानता बस जाने-अनजाने  में वह कई गलतियां करता रहता है। लेकिन

3

कर्म और भाग्य

6 अक्टूबर 2022
14
12
1

जीवन गति बड़ी निराली है, इसे मापने का कोई निश्चित पैमाना नहीं है। संसार में कर्म और भाग्य के बारे में कोई एक धारणा नहीं है। भाग्य और कर्म दोनों के लिए अलग-अलग धारणाएँ पुरातन काल से ही प्रचलित हैं, जिसम

4

जीवन में सबसे ज्यादा पछतावे वाली घटना

7 अक्टूबर 2022
10
8
2

कभी स्कूल में जब पहली बार भूगोल की किताब पढ़कर ये बात पता चली कि पृथ्वी गोल है, तो कई दिन तक अपने आस-पास और चारों ओर घूम-घूम कर पता लगाने की कोशिश करती कि आखिर यह पृथ्वी कैसे गोल होगी, क्योँकि मुझे तो

5

आधुनिक जीवन शैली

9 अक्टूबर 2022
13
10
0

आज के दैनिक लेखन 'आधुनिक जीवन शैली' के विषय पर अपने विचार व्यक्त करने से पहले हमें हमारी भारतीय पुरातन जीवन शैली के बारे में कुछ बातें समझनी आवश्यक होंगी। तुलसीदास जी 'रामचरित मानस' के एक प्रसंग में क

6

लैंगिक सशक्तिकरण

11 अक्टूबर 2022
10
7
0

सदियों से चली आ रही लैंगिक असमानता एक परम्परा की तरह आज भी हमारे समाज में सहजता से देखने को मिल जाती है।  आज भी सामान्य समाज में जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो घर-परिवार वाले उसकी ख़ुशी में जो कार्यक

7

पारिवारिक जीवन

12 अक्टूबर 2022
15
10
2

कहने को तो परिवार एक छोटा सा शब्द है, लेकिन यही वह जगह होती है, जिसके इर्द-गिर्द मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन चक्र घूमता है। परिवार के बारे में जब हम  विचार करते हैं तो हमें ज्ञात होता है कि परिवार मर्यादा

8

करवाचौथ का व्रत

13 अक्टूबर 2022
13
10
0

हमारी भारतीय संस्कृति में विभिन्न धर्म, जाति, रीति, पद्धति, बोली, पहनावा, रहन-सहन के लोगों द्वारा अपने-अपने उत्सव, पर्व, त्यौहार वर्ष भर बड़े धूमधाम से मनाये जाने की सुदीर्घ परम्परा है। ये उत्सव, त्यौ

9

डिजिटल निरक्षरता

14 अक्टूबर 2022
10
7
1

आज का युग डिजिटल का युग है। जिस तरह से आज घर से लेकर दफ्तर तक सब कार्योँ का डिजिटलीकरण का प्रसार हुआ है, उस तरह से डिजिटल साक्षरता का अभाव होने से आम नागरिकों को कई तरह की धोखाधड़ियोँ का शिकार होना पड़

10

मेरा पहला कार्य दिवस

17 अक्टूबर 2022
12
8
0

मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग के अधीन हाई स्कूल स्तर तक की शिक्षा व्यवस्था संचालित करने वाले विभाग राज्य शिक्षा केंद्र में ७ फरवरी १९९५ को मेरा पहला कार्य दिवस था। मुझे पहले दिन कार्यालय में मेरे बड़े भैय

11

सकारात्मक और नकारात्मक सोच

20 अक्टूबर 2022
12
8
2

किसी भी व्यक्ति की जीवन में घटित होने वाले घटनाक्रम या कार्य विशेष के प्रति उसकी सोच और विचार करने का दृटिकोण हमें उसके सकारात्मक या नकारात्मक होने का परिचय कराते हैं। हमारा सोच-विचार यदि सकारात्मक हो

12

हम और हमारे त्यौहार

21 अक्टूबर 2022
11
10
1

हमारी भारतीय संस्कृति उत्सवधर्मी है, जहाँ वर्ष भर तन-मन की थकान दूर करने के उद्देश्य से हमारे धार्मिक ग्रंथों में तीज-त्योहारों का उल्लेख कर उन्हें समय-समय पर मनाये जाने का वर्णन किया गया है। इन त्योह

13

दूरस्थ शिक्षा

22 अक्टूबर 2022
17
16
0

दूरस्थ शिक्षा से आशय शिक्षा ग्रहण करने की ऐसी प्रणाली से है जिसमें शिक्षक और विद्यार्थी को स्थान.विशेष अथवा समय.विशेष पर उपलब्ध होने की आवश्यकता नहीं होती है। यह प्रणाली परम्परागत शिक्षण  प्रणाली से भ

14

आरोग्य का पर्व है दीपावली

24 अक्टूबर 2022
14
13
3

दीपावली जन-मन की प्रसन्नता, हर्षोल्लास एवं श्री-सम्पन्नता की कामना के महापर्व के रूप में मनाया जाता है। कार्तिक की अमावस्या की काली रात्रि को जब घर-घर दीपकों की पंक्ति जल उठती है तो वह पूर्णिमा से

15

सोशल मीडिया और समाज का धुर्वीकरण

27 अक्टूबर 2022
16
14
0

सूचना क्रांति के आधुनिक युग में सोशल मीडिया के सन्दर्भ में कई सवाल उठते हैं। आज सोशल मीडिया ने आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र ही नहीं बल्कि हमारे घर-घर तक अपनी पैठ बना ली है। इंटरनेट

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए