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दैनिक जीवन की सामान्य गलतियाँ

4 अक्टूबर 2022

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यूँ ही इंसान को गलतियों का पुतला नहीं कहा गया है। जीवन संघर्ष के दौरान व्यक्ति जब कोई कार्य करता है तो उसमें गलती न हो, ऐसा संभव नहीं है। अज्ञानता बस जाने-अनजाने  में वह कई गलतियां करता रहता है। लेकिन यदि वह अपनी गलतियों से सबक लें और उसे स्वीकार कर उसे सुधारने की नियत रखे तो फिर वह गलतियां दुहराने से वह बच जाता है। समझदार इंसान अपनी ही नहीं अपितु दूसरों की गलतियों से भी बहुत कुछ सीख लेता है। आज के सन्दर्भ में यदि हम दैनिक जीवन की सामान्य गलतियों पर गौर करेंगे तो इन गलतियोँ की एक लम्बी-चौड़ी फेहरिस्त तैयार हो जायेगी। इसी सन्दर्भ में आइए जानते हैं हमें दैनिक जीवन में कौन-कौन से सामान्य गलतियाँ देखने को मिलती हैं।     

कहते हैं कि विश्वास पर दुनिया कायम है। इसे आधार बनाकर जब कभी  हम आज के समय में किसी पर भी आंख मूंद विश्वास कर लेते हैं और वह हमें धोखा देता है तो हमें अपनी गलती का आभास होता है, जिसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ता है। कभी हम यह जाते जानते हुए भी कि परिवार और विशेषकर अपने बड़े-बुजुर्गों को पर्याप्त समय देना चाहिए,ऐसा नहीं करने की गलती काट कर बैठते हैं। कभी-कभी हम अपनी समस्या को दरकिनार कर दूसरों की समस्या में टांग अड़ाने की गलती कर बैठते हैं। कभी हम अपनी पुरातन सांस्कृतिक मूल्यों को भूल दुनिया की झूठी शान-औ-शौकत के भ्रम में पड़ कर अपने सुखी पारिवारिक जीवन की शांति भंग करने की गलती कर बैठते हैं। कभी दूसरों की गलतियों को अपना समझ कर खुद को तकलीफ देने की गलती कर बैठते हैं। कभी कोई भी कार्य करने से पहले उसके परिणाम पर गहन सोच-विचार न करने की गलती कर बैठते हैं। कभी-कभी व्यर्थ का ज्ञान दूसरों को बांटने निकल पड़ते हैं। कभी अपने स्वास्थ्य का ध्यान न रखते हुए घर से बाहर र अनाप-शनाप खाकर अपने स्वास्थ्य का मटियामेट करने की गलती कर बैठते हैं। कभी ज्ञानार्जन के लिए साहित्य पढ़ने के स्थान पर आभासी दुनिया के फेसबुक, इंस्ट्राग्राम, व्हाट्सअप आदि पर अपना समय व मानसिक स्वास्थ्य बिगाड़ने की गलती कर बैठते हैं।    

हम जानते हैं कि बड़े-बुजुर्गों का जीवन अनुभव हमें सही राह दिखाने में सहायक होता है, लेकिन बहुधा हम इस बात को नकारने की गलती करते हुए उनसे बात करना तो दूर उनको खबर तक नहीं लगने देते। तब हम यह गलती कर बैठते हैं कि उन्होंने हमसे अधिक दुनिया देखी है, हमारे लिए अपना सर्वस्व निचोवर न्यौछावर किया है। कभी-कभी पुरानी यादों में व्यर्थ ही डूबकर अपने वर्तमान पर बट्टा लगाने की गलती कर बैठते हैं।  कभी बच्चों की पढाई-लिखाई पर ध्यान देने के स्थान पर मोबाइल पर गेम्स और टीवी पर पारिवारिक तमाशे वाले सीरियल देखना और राजनीति की ख़बरों को सुनते-देखते अपना समय बर्बाद करने की गलती कर परीक्षा परिणाम आने पर पछताते हैं।  

कभी खाना खाते समय टेलीविजन का रिमोट हाथ में पकड़कर बातें करने की गलती करते हैं तो कभी लोगों के बारे में बिना उनको जाने अपनी राय बना लेने की गलती कर लेते हैं। कभी अपनी गलतियों और कमियों को स्वीकार करने में संकोच करने की गलती करते हैं तो कभी अपनी बुद्धि-विवेक से काम न लेते हुए किसी से प्रभावित होकर उसका अन्धानुकरण करने की गलती कर बैठते हैं। कभी दूसरों के प्रति अपना व्यवहार ठीक करने  के बजाय उन लोगों को  अनदेखा करने की गलती लेते हैं, जो वास्तव में हमारी परवाह करते हैं। कभी अपने कीमती समय को यूँ ही ज्यादातर समय इधर उधर की बातें करने की गलती करते हैं तो कभी यह जानते हुए भी कि स्वस्थ रहने के लिए सुबह-शाम घूमना-फिरना, एक्सरसाइज और योग जरुरी है, अपने आलस्य और टाल-मटोल की प्रवृति के चलते छोटी-मोटी कई बीमारियों को निमंत्रण देने की गलती कर लेते है।  

Maya

Maya

Bahut accha lekh likha aapne

5 अक्टूबर 2022

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Bilkul shi kaha aapne mem samjdar vykti glti dohrata nhi or dusro ki glti se sikh bhi leta hai insan se jane anjane glatiya to hoti hi hai par uska aage jivn me na khtal rakhe or parwar ke badon ke sanidhay me rahkar samjhkr kuch bhi kam krna hamne glti krne se bachata hai Behtreen prastuti lajwab likha hai aapne 👌👌👏💐

4 अक्टूबर 2022

Pradeep Tripathi

Pradeep Tripathi

बहुत अच्छा लेख।

4 अक्टूबर 2022

4 अक्टूबर 2022

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रचनाएँ
विविध विषय लेखन (दैनन्दिनी, अक्टूबर 2022)
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इस पुस्तक में शब्द.इन द्वारा दिए गए विविध विषयोँ में किया गया लेखन संगृहीत है।
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