सूचना क्रांति के आधुनिक युग में सोशल मीडिया के सन्दर्भ में कई सवाल उठते हैं। आज सोशल मीडिया ने आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र ही नहीं बल्कि हमारे घर-घर तक अपनी पैठ बना ली है। इंटरनेट तक हर वर्ग, हर समाज के लोगों की सहज पहुँच का परिणाम है कि बहुत हद तक यह हमारे समाज में ध्रुवीकरण करने का एक माध्यम बनता जा रहा है। आज हमें बैठे-ठाले जहाँ एक ओर दुनिया भर की अनगिनत सूचनाएं कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे- फेसबुक, ट्वीटर, व्हाट्सएप्प, इंस्टाग्राम आदि के माध्यम से सहजता से प्राप्त हो रही हैं, वहीं हम भी अपनी बात को दुनिया भर में एक क्लिक कर पहुंचाने में सक्षम हो रहे हैं। जैसे-जैसे हम इस सदी से अगली सदी की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, वैसे-वैसे सोशल मीडिया और इंटरनेट के प्रयोग से हम अपने घर-परिवार और समाज के लोगों से आपस में जुड़ने के बजाय कोसो दूर होते जा रहे हैं। सोशल मीडिया का व्यापक उपयोग हमें हठधर्मी बना रहा है। फेक न्यूज़ आज एक व्यवसाय का रूप धारण कर समाज को गुमराह कर रहा है। इसकी वजह से मुख्य धारा की मीडिया की सही खबरे भी संदेह उत्पन्न कर रही हैं।
आज जब कोई व्यक्ति किसी भी सोशल प्लेटफार्म से कोई भ्रामक या असत्य समाचार प्रेषित करता है तो उसके अनगिनत समर्थन को देखते हुए उस तथ्य की सत्यता के सन्दर्भ में दो-चार सही व्यक्तियों की राय अनदेखी कर दी जाती हैं, जिसके कारण समाज को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।
सोशल मीडिया पर बढ़ते ध्रुवीकरण का दुष्परिणाम है कि एक समाज के लोग कभी-कभी भ्रामक जानकारी के कारण दूसरे समाज के लोगों से आपस में भिड़ंत कर देते हैं, जिससे व्यापक स्तर पर बेवजह दोनों पक्षों को हानि उठानी पड़ती हैं, आपसी मनमिटाव और वैमनस्य को बल मिलता है। सोशल मीडिया के कारण आज खुलेपन, अस्पष्टता और गुमनामी जैसी बातें जो कभी हाशिए पर खड़े समुदायों को ताकत प्रदान करती थीं, अब तुच्छ इरादों को बढ़ाने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाकर स्वस्थ सामाजिक मौहाल को बिगाड़ने में तुली हैं। यद्यपि सोशल मीडिया का समाज के धुर्वीकरण बहुत हद तक देखा जा सकता है, फिर भी इसे समाज के कुछ हितलाभ भी देखने को मिलते हैं। जैसे समाज के किसी खोए हुए बच्चों का मिलना, विभिन्न आपदाओं में सहायता के लिये पैसे इकट्ठे करना और उसे पीड़ित व्यक्ति या सामाजिक संगठन तक पहुँचाना जैसे अच्छे काम सोशल मीडिया के माध्यम से देखने को मिलते हैं। यहाँ एक और बात बहुत अच्छी देखने को मिलती हैं कि इसमें हर व्यक्ति को चाहे वह किसी भी वर्ग, पंथ, जाति, धर्म, लिंग, आयु वर्ग का हो, सबको समान अवसरों की सुविधा उपलब्घ हैं।