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सोशल मीडिया और समाज का धुर्वीकरण

27 अक्टूबर 2022

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सूचना क्रांति के आधुनिक युग में सोशल मीडिया के सन्दर्भ में कई सवाल उठते हैं। आज सोशल मीडिया ने आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र ही नहीं बल्कि हमारे घर-घर तक अपनी पैठ बना ली है। इंटरनेट तक हर वर्ग, हर समाज के लोगों की सहज पहुँच का परिणाम है कि बहुत हद तक यह  हमारे समाज में ध्रुवीकरण करने का एक माध्यम बनता जा रहा है। आज हमें बैठे-ठाले जहाँ एक ओर दुनिया भर की अनगिनत सूचनाएं कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे- फेसबुक, ट्वीटर, व्हाट्सएप्प, इंस्टाग्राम आदि के माध्यम से सहजता से प्राप्त हो रही हैं, वहीं हम भी अपनी बात को दुनिया भर में एक क्लिक कर पहुंचाने में सक्षम हो रहे हैं। जैसे-जैसे हम इस सदी से अगली सदी की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, वैसे-वैसे सोशल मीडिया और इंटरनेट के प्रयोग से हम अपने घर-परिवार और समाज के लोगों से आपस में जुड़ने के बजाय कोसो दूर होते जा रहे हैं। सोशल मीडिया का व्यापक उपयोग हमें हठधर्मी बना रहा है। फेक न्यूज़ आज एक व्यवसाय का रूप धारण कर समाज को गुमराह कर रहा है। इसकी वजह से मुख्य धारा की मीडिया की सही खबरे भी संदेह उत्पन्न कर रही हैं।  

आज जब कोई व्यक्ति किसी भी सोशल प्लेटफार्म से कोई भ्रामक या असत्य समाचार प्रेषित करता है तो उसके अनगिनत समर्थन को देखते हुए उस तथ्य की सत्यता के सन्दर्भ में दो-चार सही व्यक्तियों की राय अनदेखी कर दी जाती हैं, जिसके कारण समाज को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।  

सोशल मीडिया पर बढ़ते ध्रुवीकरण का दुष्परिणाम है कि एक समाज के लोग कभी-कभी भ्रामक जानकारी के कारण दूसरे समाज के लोगों से आपस में भिड़ंत कर देते हैं, जिससे व्यापक स्तर पर बेवजह दोनों पक्षों को हानि उठानी पड़ती हैं, आपसी मनमिटाव और वैमनस्य को बल मिलता है। सोशल मीडिया के कारण आज खुलेपन, अस्पष्टता और गुमनामी जैसी बातें जो कभी हाशिए पर खड़े समुदायों को ताकत प्रदान करती थीं, अब तुच्छ इरादों को बढ़ाने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाकर स्वस्थ सामाजिक मौहाल को बिगाड़ने में तुली हैं। यद्यपि सोशल मीडिया का समाज के धुर्वीकरण बहुत हद तक देखा जा सकता है, फिर भी इसे समाज के कुछ हितलाभ भी देखने को मिलते हैं।  जैसे समाज के किसी खोए हुए बच्चों का मिलना, विभिन्न आपदाओं में सहायता के लिये पैसे इकट्ठे करना और उसे पीड़ित व्यक्ति या सामाजिक संगठन तक पहुँचाना जैसे अच्छे काम सोशल मीडिया के माध्यम से देखने को मिलते हैं। यहाँ एक और बात बहुत अच्छी देखने को मिलती हैं कि इसमें हर व्यक्ति को चाहे वह किसी भी वर्ग, पंथ, जाति, धर्म, लिंग, आयु वर्ग का हो, सबको समान अवसरों की सुविधा उपलब्घ हैं।  

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रचनाएँ
विविध विषय लेखन (दैनन्दिनी, अक्टूबर 2022)
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इस पुस्तक में शब्द.इन द्वारा दिए गए विविध विषयोँ में किया गया लेखन संगृहीत है।
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कला चिकित्सा और इसके लाभ

3 अक्टूबर 2022
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मानव शरीर को यदि मैं अनेक रोगों का पिटारा कहूं तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि मानव शरीर जीवन भर स्वस्थ नहीं रह पाता, उसे समय-समय पर कई शारीरिक रोग घेर ही लेते हैं।  इसके अलावा वह अपनी जीवन की आप

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दैनिक जीवन की सामान्य गलतियाँ

4 अक्टूबर 2022
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यूँ ही इंसान को गलतियों का पुतला नहीं कहा गया है। जीवन संघर्ष के दौरान व्यक्ति जब कोई कार्य करता है तो उसमें गलती न हो, ऐसा संभव नहीं है। अज्ञानता बस जाने-अनजाने  में वह कई गलतियां करता रहता है। लेकिन

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कर्म और भाग्य

6 अक्टूबर 2022
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जीवन गति बड़ी निराली है, इसे मापने का कोई निश्चित पैमाना नहीं है। संसार में कर्म और भाग्य के बारे में कोई एक धारणा नहीं है। भाग्य और कर्म दोनों के लिए अलग-अलग धारणाएँ पुरातन काल से ही प्रचलित हैं, जिसम

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जीवन में सबसे ज्यादा पछतावे वाली घटना

7 अक्टूबर 2022
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कभी स्कूल में जब पहली बार भूगोल की किताब पढ़कर ये बात पता चली कि पृथ्वी गोल है, तो कई दिन तक अपने आस-पास और चारों ओर घूम-घूम कर पता लगाने की कोशिश करती कि आखिर यह पृथ्वी कैसे गोल होगी, क्योँकि मुझे तो

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आधुनिक जीवन शैली

9 अक्टूबर 2022
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आज के दैनिक लेखन 'आधुनिक जीवन शैली' के विषय पर अपने विचार व्यक्त करने से पहले हमें हमारी भारतीय पुरातन जीवन शैली के बारे में कुछ बातें समझनी आवश्यक होंगी। तुलसीदास जी 'रामचरित मानस' के एक प्रसंग में क

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लैंगिक सशक्तिकरण

11 अक्टूबर 2022
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सदियों से चली आ रही लैंगिक असमानता एक परम्परा की तरह आज भी हमारे समाज में सहजता से देखने को मिल जाती है।  आज भी सामान्य समाज में जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो घर-परिवार वाले उसकी ख़ुशी में जो कार्यक

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पारिवारिक जीवन

12 अक्टूबर 2022
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कहने को तो परिवार एक छोटा सा शब्द है, लेकिन यही वह जगह होती है, जिसके इर्द-गिर्द मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन चक्र घूमता है। परिवार के बारे में जब हम  विचार करते हैं तो हमें ज्ञात होता है कि परिवार मर्यादा

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करवाचौथ का व्रत

13 अक्टूबर 2022
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हमारी भारतीय संस्कृति में विभिन्न धर्म, जाति, रीति, पद्धति, बोली, पहनावा, रहन-सहन के लोगों द्वारा अपने-अपने उत्सव, पर्व, त्यौहार वर्ष भर बड़े धूमधाम से मनाये जाने की सुदीर्घ परम्परा है। ये उत्सव, त्यौ

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डिजिटल निरक्षरता

14 अक्टूबर 2022
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आज का युग डिजिटल का युग है। जिस तरह से आज घर से लेकर दफ्तर तक सब कार्योँ का डिजिटलीकरण का प्रसार हुआ है, उस तरह से डिजिटल साक्षरता का अभाव होने से आम नागरिकों को कई तरह की धोखाधड़ियोँ का शिकार होना पड़

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मेरा पहला कार्य दिवस

17 अक्टूबर 2022
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मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग के अधीन हाई स्कूल स्तर तक की शिक्षा व्यवस्था संचालित करने वाले विभाग राज्य शिक्षा केंद्र में ७ फरवरी १९९५ को मेरा पहला कार्य दिवस था। मुझे पहले दिन कार्यालय में मेरे बड़े भैय

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सकारात्मक और नकारात्मक सोच

20 अक्टूबर 2022
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किसी भी व्यक्ति की जीवन में घटित होने वाले घटनाक्रम या कार्य विशेष के प्रति उसकी सोच और विचार करने का दृटिकोण हमें उसके सकारात्मक या नकारात्मक होने का परिचय कराते हैं। हमारा सोच-विचार यदि सकारात्मक हो

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हम और हमारे त्यौहार

21 अक्टूबर 2022
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हमारी भारतीय संस्कृति उत्सवधर्मी है, जहाँ वर्ष भर तन-मन की थकान दूर करने के उद्देश्य से हमारे धार्मिक ग्रंथों में तीज-त्योहारों का उल्लेख कर उन्हें समय-समय पर मनाये जाने का वर्णन किया गया है। इन त्योह

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दूरस्थ शिक्षा

22 अक्टूबर 2022
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दूरस्थ शिक्षा से आशय शिक्षा ग्रहण करने की ऐसी प्रणाली से है जिसमें शिक्षक और विद्यार्थी को स्थान.विशेष अथवा समय.विशेष पर उपलब्ध होने की आवश्यकता नहीं होती है। यह प्रणाली परम्परागत शिक्षण  प्रणाली से भ

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आरोग्य का पर्व है दीपावली

24 अक्टूबर 2022
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दीपावली जन-मन की प्रसन्नता, हर्षोल्लास एवं श्री-सम्पन्नता की कामना के महापर्व के रूप में मनाया जाता है। कार्तिक की अमावस्या की काली रात्रि को जब घर-घर दीपकों की पंक्ति जल उठती है तो वह पूर्णिमा से

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सोशल मीडिया और समाज का धुर्वीकरण

27 अक्टूबर 2022
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