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जीवन में सबसे ज्यादा पछतावे वाली घटना

7 अक्टूबर 2022

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कभी स्कूल में जब पहली बार भूगोल की किताब पढ़कर ये बात पता चली कि पृथ्वी गोल है, तो कई दिन तक अपने आस-पास और चारों ओर घूम-घूम कर पता लगाने की कोशिश करती कि आखिर यह पृथ्वी कैसे गोल होगी, क्योँकि मुझे तो कहीं से भी यह गोल नज़र नहीं आती थी। माँ-बाप तो इतने पढ़े-लिखे नहीं थे कि जो मुझे समझा लेते। फिर भी जब कभी पिताजी से पूछती तो वे कहते कि किताब में लिखा है तो शायद ठीक ही होगा क्योँकि हम कहीं भी जाते हैं, लेकिन आखिर घूम-फिरकर अपने घर वापस यहीं आते ही हैं, इसलिए शायद पृथ्वी गोल है, सही होगा। पिताजी की दुनिया बाहर कमा-धमा कर लाने की थी, इसलिए उनका यह उत्तर अपनी जगह सही था। लेकिन माँ की दुनिया घर की चार-दीवारी के भीतर चूल्हा चौका तक सीमित थी, इसलिए जब उनसे पूछती तो वह रोटी बेलते-बेलते उसे दिखाकर कहती,'देख, पृथ्वी गोल है कि नहीं यह मैं नहीं जानती, लेकिन यह रोटी जरूर गोल बनती है, इसलिए शायद किताब में इसी को देखकर लिखा होगा कि पृथ्वी गोल है। अब आप सोच रहे होंगे कि ये गोल-गोल क्या चक्कर लगा रखा है। हाँ, तो बताती चलूँ कि आज का दैनिक लेखन का विषय ही ऐसा है जो गोल-गोल घुमाकर हमें उस घटना की याद कराने के लिए उकसा रहा है, जो मन को अच्छा नहीं लग रहा है।  सभी जानते हैं कि जीवन में कोई अच्छी बात होती हैं तो उसे बार-बार याद करना हमारे मन को अच्छा लगता है, लेकिन जहाँ बात पछतावे वाली हो, भला उसे याद करना किसके मन को अच्छा  लगेगा?  फिर भी जीवन में घटित होने वाली ऐसी घटनाएं भी कभी-कभी हमें अच्छे-बुरे की पहचान कराने के लिए शायद जरूर होती है, क्योँकि इसी से हम जीवन का सबक सीखते हैं। 

अब गोल-गोल बातें न आज के विषय जीवन में सबसे ज्यादा पछतावे वाली घटना पर आती हूँ। बात उन दिनों की है, जब हमें इंटरनेट का बड़ा चस्का लगा था और नाम कमाने का भूत सवार हो रहा था, तो हमने बड़े जोश-खरोश से ब्लॉगस्पॉट पर अपना ब्लॉग बना लिया, जहाँ हम अपने लिखने-पढ़ने का थोड़ा-बहुत शौक पूरा कर लिया करते थे। तब हम सीधे-साधे शब्दों में कवितायेँ लिखकर वहां पोस्ट करते थे, जिन्हें जब बहुत से ब्लॉगर पसंद कर टिपण्णी कर उत्साहवर्धन करते तो बड़ी  ख़ुशी मिलती। इसी ख़ुशी के चक्कर में हमने जब कुछ ज्यादा ही जोश में आकर फेसबुक अकाउंट खोला और वहां अपनी इन कविताओं का लिंक दिया तो वहां और भी ज्यादा लोगों की टिपण्णियां देखकर मन बाग़-बाग़ हो उठता।  इसी चक्कर में हमने वहां अपना मोबाइल नंबर भी अपनी प्रोफाइल में फीड कर दिया। लेकिन यह क्या, यह हमारी ऐसी भूल साबित हुई जो हमारे लिए सरदर्द का सबब बन गयी।  मोबाइल नंबर फीड होते ही फेसबुक से जाने कहाँ-कहाँ और कैसे-कैसे लोगों के फ़ोन मोबाइल नंबर पर आकर इस तरह से घनघना उठे कि हमारा जीना हराम होने लगा।  आखिर में इसी परेशानी से बचने के लिए मुझे वह नंबर ही बंद करना पड़ा। इसे मैं जीवन में सबसे ज्यादा पछतावे वाली घटना मानती हूँ और तब से मैं सोशल मीडिया में फ़ोन के चक्कर से बचकर चलने में ही अपनी भलाई समझती हूँ। 

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

लेख के प्रथमार्द्ध में बिल्कुल उपयुक्त बात लिखी आपने , सब गोल गोल है । जीवन की भूलें भी इन्हीं गोलाकार पथ की भांति सीख दे जाती है मानो । इन मायनों में ये भूलें आवश्यक भी होती हैं हमें थोड़ा और परिपक्व बनाने के निमित्त । और साथ ही जीवन के उतार चढ़ाव का रस भी इन्हीं भूलों के परिणामों और सीखों से बनता बुनता रहता है , लेख के लिए साधुवाद आपको👌👌👌

9 अक्टूबर 2022

Dharmendra Kumar manjhi

Dharmendra Kumar manjhi

ज्यादा सोशल होना भी बड़ी परेशानी पैदा करती हैं आजकल के समय में ........ बहुत अच्छा लिखा है

7 अक्टूबर 2022

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रचनाएँ
विविध विषय लेखन (दैनन्दिनी, अक्टूबर 2022)
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इस पुस्तक में शब्द.इन द्वारा दिए गए विविध विषयोँ में किया गया लेखन संगृहीत है।
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कला चिकित्सा और इसके लाभ

3 अक्टूबर 2022
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मानव शरीर को यदि मैं अनेक रोगों का पिटारा कहूं तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि मानव शरीर जीवन भर स्वस्थ नहीं रह पाता, उसे समय-समय पर कई शारीरिक रोग घेर ही लेते हैं।  इसके अलावा वह अपनी जीवन की आप

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दैनिक जीवन की सामान्य गलतियाँ

4 अक्टूबर 2022
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यूँ ही इंसान को गलतियों का पुतला नहीं कहा गया है। जीवन संघर्ष के दौरान व्यक्ति जब कोई कार्य करता है तो उसमें गलती न हो, ऐसा संभव नहीं है। अज्ञानता बस जाने-अनजाने  में वह कई गलतियां करता रहता है। लेकिन

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कर्म और भाग्य

6 अक्टूबर 2022
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जीवन गति बड़ी निराली है, इसे मापने का कोई निश्चित पैमाना नहीं है। संसार में कर्म और भाग्य के बारे में कोई एक धारणा नहीं है। भाग्य और कर्म दोनों के लिए अलग-अलग धारणाएँ पुरातन काल से ही प्रचलित हैं, जिसम

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जीवन में सबसे ज्यादा पछतावे वाली घटना

7 अक्टूबर 2022
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9 अक्टूबर 2022
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आज के दैनिक लेखन 'आधुनिक जीवन शैली' के विषय पर अपने विचार व्यक्त करने से पहले हमें हमारी भारतीय पुरातन जीवन शैली के बारे में कुछ बातें समझनी आवश्यक होंगी। तुलसीदास जी 'रामचरित मानस' के एक प्रसंग में क

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लैंगिक सशक्तिकरण

11 अक्टूबर 2022
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कहने को तो परिवार एक छोटा सा शब्द है, लेकिन यही वह जगह होती है, जिसके इर्द-गिर्द मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन चक्र घूमता है। परिवार के बारे में जब हम  विचार करते हैं तो हमें ज्ञात होता है कि परिवार मर्यादा

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करवाचौथ का व्रत

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आज का युग डिजिटल का युग है। जिस तरह से आज घर से लेकर दफ्तर तक सब कार्योँ का डिजिटलीकरण का प्रसार हुआ है, उस तरह से डिजिटल साक्षरता का अभाव होने से आम नागरिकों को कई तरह की धोखाधड़ियोँ का शिकार होना पड़

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सकारात्मक और नकारात्मक सोच

20 अक्टूबर 2022
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21 अक्टूबर 2022
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दूरस्थ शिक्षा से आशय शिक्षा ग्रहण करने की ऐसी प्रणाली से है जिसमें शिक्षक और विद्यार्थी को स्थान.विशेष अथवा समय.विशेष पर उपलब्ध होने की आवश्यकता नहीं होती है। यह प्रणाली परम्परागत शिक्षण  प्रणाली से भ

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दीपावली जन-मन की प्रसन्नता, हर्षोल्लास एवं श्री-सम्पन्नता की कामना के महापर्व के रूप में मनाया जाता है। कार्तिक की अमावस्या की काली रात्रि को जब घर-घर दीपकों की पंक्ति जल उठती है तो वह पूर्णिमा से

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27 अक्टूबर 2022
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सूचना क्रांति के आधुनिक युग में सोशल मीडिया के सन्दर्भ में कई सवाल उठते हैं। आज सोशल मीडिया ने आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र ही नहीं बल्कि हमारे घर-घर तक अपनी पैठ बना ली है। इंटरनेट

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