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सकारात्मक और नकारात्मक सोच

20 अक्टूबर 2022

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किसी भी व्यक्ति की जीवन में घटित होने वाले घटनाक्रम या कार्य विशेष के प्रति उसकी सोच और विचार करने का दृटिकोण हमें उसके सकारात्मक या नकारात्मक होने का परिचय कराते हैं। हमारा सोच-विचार यदि सकारात्मक हो तो हम जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी कठिन से कठिन कार्य का हल निकालने में एक दिन सफल हो जाते हैं, वहीँ अगर हमारी सोच नकारात्मक हो तो हमें हानि के अलावा कुछ भी हासिल नहीं होता।  जीवन में सकारात्मक सोच अति आवश्यक है। क्योँकि यही हमें अनेक बाधाओं से पार कराते हुए आत्मविश्वासी बनाकर अपना कर्म करने के लिए प्रेरित करती हैं। हमारे कार्यव्यहार में हमारी सोच-विचार की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। हम अपनी सोच के अनुरूप ही किसी व्यक्ति या घटना के सम्बन्ध में जैसी हमारी सोच होगी वैसे ही विचार रखेंगे।

सकारात्मक और नकारात्मक सोच के विषय में मुझे मेरी माँ की बचपन में सुनाई एक कहानी याद आ रही है। यद्यपि इस कहानी के तार आस्था और अनास्था से जुड़ें हैं, लेकिन इसमें दो व्यक्तियों के साथ एक जैसी घटना होने पर उनकी सकारात्मक और नकारात्मक सोच का दृष्टिकोण स्प्ष्ट रूप से देखने को मिलता है। कहानी यूँ है कि दो व्यक्ति स्कूटर से सड़क पर विपरीत दिशाओं से आ रहे थे। अचानक सड़क के एक मोड़ पर तेजी से एक पशु आकर उन दोनों के स्कूटर से टकरा जाता है, जिससे वे आपस में टकराकर गिरते हैं और घायल हो जाते हैं। उन्हें घायल देख राहगीर उन्हें पास के हॉस्पिटल में पहुंचाकर उनके घरवालों को खबर कर देते हैं। यहाँ गनीमत रही कि दोनों की जान बच गयी। अब इसमें संयोग की बात थी कि दोनों ने जब एक-दूसरे को देखा तो आपस में रिश्तेदार निकले, जिन्होंने एक दिन पहले ही एक ही ज्योतिष से अपनी राशि की अंगूठी बनाकर पहन रखी थी। जब दोनों के घरवालों उन्हें देखने हॉस्पिटल आये तो उसमें से एक घायल व्यक्ति ने अपनी अँगूठी को अपशगुनी कहकर फेंकते हुए कहा कि इस अंगूठी के पहनने के कारण ही आज मेरे साथ यह दुर्घटना घटी है, इसलिए आज से मैं इसे नहीं पहनूँगा। वहीँ दूसरा व्यक्ति जिससे उससे भी अधिक चोट लगी थी, उसने ऐसा नहीं सोचा, बल्कि उसने अपनी अंगूठी को शुभ बताते हुए सबसे कहा कि आज इस अँगूठी के कारण मेरे प्राण बच गए हैं, इसलिए मैं इसे हमेशा पहनकर रखूँगा।

अब सवाल यह उठता है क्यों एक जैसी चीज को एक व्यक्ति शुभ और दूसरा अशुभ मानता है? तो यहाँ हमें इस कहानी में यही देखने को मिलता है कि चाहे एक जैसी घटना हो या वस्तु विशेष, सबके अपने-अपने विचार होते हैं, जो उनके कार्यव्यहार में उनकी सकारात्मक और नकारात्मक सोच को दर्शाते हैं।  

अमर सिंह

अमर सिंह

सब कुछ सोच का ही खेल है

20 अक्टूबर 2022

Dharmendra Kumar manjhi

Dharmendra Kumar manjhi

जीवन में कुछ बड़ा करने के लिए सकारात्मक सोच जीवन का मूलमंत्र बना लेने में ही भलाई होती है। बहुत सुन्दर लिखा है

20 अक्टूबर 2022

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रचनाएँ
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इस पुस्तक में शब्द.इन द्वारा दिए गए विविध विषयोँ में किया गया लेखन संगृहीत है।
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