अभी कल ही की
बात है
जब तुम्हारे- मेरे
जज़्बातों की
शुरुआत हुई थी
यूं ही आँखों की
आँखों से
मुलाक़ात हुई थी
तुमने हसीं लबों पे अपने
मेरा नाम सजाया था
दिल के खाली कमरे में
मुझको बसाया था
गुफ्तगू हुई और
जुस्तजू बनी
मेरी चाहत की
तुम आरज़ू बनीं
ये पाजेब की छम-छम
चूड़ियों का खनकना
नैनों के अंजुमन में
पलकों का झपकना
चुनरी को
हवा में लहराए
बादल भी
राग मल्हार बरसाए
पपीहा भी
पीव-पीव पुकारे
झूमें हैं गगन और
टिमटिमाये सितारे
जी रहा हूँ
यादों के सहारे
तुम आओगे तो
चैन और क़रार मिलेगा
बाग़ ए दिल में
गुलाब खिलेगा
इल्तिज़ा है की
इन फिरोज़ी होंठों से
जब लफ्ज़-दर-लफ्ज़ पढ़ोगे
गर दिल की धड़कन बढ़े
और आँखों की लाज बढ़े
पाँव खुद ब खुद चले तो
मंजिल की ओर चले आना
मैं, उसी मंज़िल का रास्ता हूँ
जहाँ तुम्हारी राह ताकता हूँ
ज़िन्दगी तो खूबसूरत अफ़साना है
आखिर हमें
इक दूसरे के नाम से जाने जाना है
इक दूसरे के नाम से जाने जाना है