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गुलज़ार के नाम

17 अक्टूबर 2015

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हाँ! गुलज़ार 

बहुत कुछ है 

जो तुमसे आया है 

लफ़्ज़-ए-मानी तुम हो 

लफ़्ज़बयानी तुम हो 

अपनी मनमानी तुम हो 

बंद शब्दों की चाभी तुम हो 

हम पढ़ते हैं सुनते हैं 

गाते हैं गुनगुनाते हैं 

शब्द की चाल के साथ 
चलते चले जाते हैं 


हाँ! गुलज़ार 

बहुत कुछ है 
एहसासों के गाल के 
निगाहों के थाल के 
मधुचुम्मन हो तुम 

जीवन के  
इंद्रधनुषी रंग हो तुम 

इठलाते-तुतलाते 
शब्दों की 
मुरम्मत हो तुम 



हाँ! गुलज़ार 

बहुत कुछ है 
शब्दों के बाग़बान 

मसीहा हो तुम 

पोशीदा रिश्तों के 

सोपान हो तुम 


कोई और जज़्बात नहीं 

कोई और एहसास नहीं 
कोई और नाम नहीं

तुम सिर्फ और सिर्फ 

गुलज़ार हो 

गुलज़ार हो 
हाँ! बहुत कुछ 
गुलज़ार हो

संगम  वर्मा

संगम वर्मा

तहे दिल से शुक्रिया ओम प्रकाश जी जो अपने साडी कविताओं को पढ़ा और सराहा

24 अक्टूबर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

"जीवन के इंद्रधनुषी रंग हो तुम इठलाते-तुतलाते शब्दों की मुरम्मत हो तुम"………स्वयं में श्लाघ्य शब्दों के अभिधान हैं गुलज़ार साहब ! क्या कहना ! शब्दकोष भी उनके गीतों, नज्मों को मुँह में उंगली दाबे हैरत से देखते रह जाते हैं ! बहुत खूब !

23 अक्टूबर 2015

संगम  वर्मा

संगम वर्मा

शुक्रिया वर्तिका जी

22 अक्टूबर 2015

संगम  वर्मा

संगम वर्मा

शुक्रिया अवधेश भाई

22 अक्टूबर 2015

वर्तिका

वर्तिका

गुलज़ार जी को समर्पित सुन्दर रचना!

19 अक्टूबर 2015

अवधेश प्रताप सिंह भदौरिया 'अनुराग'

अवधेश प्रताप सिंह भदौरिया 'अनुराग'

बहुत सुंदर ,व्यक्तित्व के काफी निकट ,सटीक ,बधाई !

18 अक्टूबर 2015

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गुलज़ार के नाम

17 अक्टूबर 2015
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हाँ! गुलज़ार बहुत कुछ है जो तुमसे आया है लफ़्ज़-ए-मानी तुम हो लफ़्ज़बयानी तुम हो अपनी मनमानी तुम हो बंद शब्दों की चाभी तुम हो हम पढ़ते हैं सुनते हैं गाते हैं गुनगुनाते हैं शब्द की चाल के साथ चलते चले जाते हैं हाँ! गुलज़ार बहुत कुछ है एहसासों के गाल के निगाहों के थाल के मधुचुम्मन हो तुम जीवन के  इंद्रधनुषी

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क्रिस -क्रॉस

22 अक्टूबर 2015
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धूप से पूछा - "किधर जाना है?" कहा उसने - "तेरी ओर"मैं झट-से, पेड़ की ओट में जाकर छिप गया बाज वो फिर भी आई नहींपेड़ के पत्तों से छन कर मुझे छूती रही सच है 'इश्क़' छिपाए नहीं छिपतासंगम‬

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नियम

22 अक्टूबर 2015
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शाख़ से टूटे हुए पत्ते का ठिकाना तो ज़मीन की मिट्टी है पेड़ जानता है पीले रंग होते हुए झट ही झटक देता है ज़िन्दगी भी तो पल पल में ऐसे करती है कोई सौदा नहीं हैंसंगम‬

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क्रॉस-क्रॉस

22 अक्टूबर 2015
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चाहतों का चाँद ढला आरज़ुओं का सूरज निकला दिन रात की पैरहन का अजीब सौदा है # संगम वर्मा

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मेरी शब्बो

22 अक्टूबर 2015
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आज कक्षा में शब्बो से, मास्टर जी ने पूछा- "माँ" कैसी होती है ?शब्बो ने फटाक से उत्तर दिया- माँ "चाँद" जैसी होती है मास्टर जी ने पूछा - वो कैसे शब्बो ने कहा- मैं जब कॉपी पर "माँ " लिखती हूँ न तो चाँद बिन्दु लगाना पड़ता हैमेरी "माँ"- "चाँद" जैसी है मास्टर जी के साथ सारे ख़ुशी के हँस पड़े सच में मेरी शब्ब

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मिठास प्यार की

22 अक्टूबर 2015
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चाँद चाँदनी देता है सूरज लाली देता है माँ का गोदलू - सा बच्चा होंठों पे मीठी पारी देता है और पापा घोड़ा- गाड़ी बन सवारी देता है‪#‎संगम‬

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शिक्षक दिवस को समर्पित दो ग़ज़लें

22 अक्टूबर 2015
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1बड़ों का साया न हो  तो  घर घर नहीं रहताबिन माँ के बच्चे को कोई कुंवर नहीं कहताअच्छी परवरिश के लिए संस्कार  जरूरी हैंबिन पानी के कोई पौधा यूं   पेड़ नहीं होताशून्य से है एक बने फिर एक से एक करोड़नियम है गणित का कोई सवासेर नही होतामाँ बाप की सेवा करना ही असली पूँजी हैचोरी से कमाया गया धन कुबेर नहीं होता

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फ़िक्रमंद

22 अक्टूबर 2015
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हाँ! साँस है चल रही है मद्धम - सी जल रही है सितम -सीधमनियां भी धड़कती है धक -धक! ज़ोरों - सीनब्ज़ थाम के महसूस किया ज्वर है माँ को मुझसे पहले ख़बर है मना करती थी बारिश के पानी में खेलने से पर बचपन का बचपना फ़ौरन गीली पट्टी माथे पे सजा दी इक ज़ोर से पूरे बदन में ठंडक की बिजली दौड़ी जैसे जलते अंगारे पर पानी

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बेज़ार दिल

22 अक्टूबर 2015
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सुबह - सुबह  पानी  में डुबो के साबुन  से  रगड़  कर थापी  से  पीट  कर आधा  घंटा वाशिंग  मशीन  में घुमाकर फिर  पानी  में  डुबोकर शर्ट  को  कड़ी  धुप  में तार  पे  टांग  दिया गले  पर  ज़ोर  से  चूंटी  लगा  दी शर्ट   की  जेब  पे बनादिल  वाला " आइकॉन " कितना  बेज़ार  हो  गया  है कितनी  बेरुखी  है 

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••एहसास••

24 अक्टूबर 2015
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अभी कल ही की बात है जब तुम्हारे- मेरे जज़्बातों की शुरुआत हुई थीयूं ही आँखों की आँखों से मुलाक़ात हुई थीतुमने हसीं लबों पे अपने मेरा नाम सजाया था दिल के खाली कमरे में मुझको बसाया थागुफ्तगू हुई और जुस्तजू बनी मेरी चाहत की तुम आरज़ू बनींये पाजेब की छम-छम चूड़ियों का खनकना नैनों के अंजुमन में पलकों का झपकन

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