धूप से पूछा - "किधर जाना है?"
कहा उसने - "तेरी ओर"
मैं झट-से,
पेड़ की ओट में
जाकर छिप गया
बाज वो फिर भी
आई नहीं
पेड़ के पत्तों से
छन कर मुझे छूती रही
सच है
'इश्क़' छिपाए नहीं छिपता
22 अक्टूबर 2015
धूप से पूछा - "किधर जाना है?"
कहा उसने - "तेरी ओर"
मैं झट-से,
पेड़ की ओट में
जाकर छिप गया
बाज वो फिर भी
आई नहीं
पेड़ के पत्तों से
छन कर मुझे छूती रही
सच है
'इश्क़' छिपाए नहीं छिपता
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सहायक प्राध्यापक, स्नातकोत्तर हिंदी विभाग, सतीश चन्दर धवन राजकीय महाविद्यालय, लुधियाना, पंजाब, ई मेल - sangamve@gmail.com, चलभाष - 094636-03737D
ह्रदय के आभार आपका
24 अक्टूबर 2015
जी हाँ, इश्क़ और मुश्क़ छिपाए नहीं छिपते.... खूबसूरत लफ़्ज़ों में ग़ज़ब का एहसास !
23 अक्टूबर 2015