आज लम्बे अंतराल की प्रतीक्षा के बाद सीबीएसई द्वारा 12वीं और १०वीं के परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए गए हैं। बच्चों की परीक्षा खत्म हुए एक माह से भी अधिक समय बीत चुका था। लाखों छात्र-छात्राओं के साथ अभिभावक और अध्यापकों को भी इसका बेसब्री से इंतजार था। आज पूर्वाह्न में १२वीं के परीक्षा परिणाम के बाद जब दोपहर २ बजे १०वीं का परीक्षा परिणाम घोषित होने की सूचना मिली, तो कम्प्यूटर पर सीबीएसई की वेबसाइट खोलकर बच्चे का परीक्षा परिणाम देखने के लिए उसका एडमिट कार्ड लेकर बैठ गई। लेकिन ऐन वक्त पर लाइट गुल क्या हुई कि सारा उत्साह जाता रहा, मन खिन्न हो गया। मोबाइल पर देखना चाहा लेकिन साइट खुल ही नहीं पाई। १०-१५ मिनट बाद व्हाट्सएप्प पर देखा तो बच्चे ने रिजल्ट निकालकर भेज दिया था। मैं सोचती रही कि वह तो कोचिंग में पढ़ रहा है इसलिए शायद उसे पता न हो लेकिन मेरा अनुमान तब गलत निकला जब उसने फ़ोन से भी बताया कि यहाँ कोचिंग में सभी बच्चों को पहले से ही पता था, इसलिए जैसे ही रिजल्ट आया सबने अपने-अपने मोबाइल से रिजल्ट निकाल लिया। बच्चे का रिजल्ट देखकर बड़ी ख़ुशी हुई। उसे ९५ प्रतिशत अंक मिले। उसने बताया कि स्कूल से मैसेज आया है कि जिन बच्चों के ९० प्रतिशत से अधिक अंक आये हैं उन्हें १ घंटे में स्कूल आना है। मुझे भी बड़ी उत्सुकता थी, सौभाग्य से शाम को बारिश भी नहीं हुई, इसलिए मैं खुद ही उसे लेने एमपी नगर कोचिंग सेंटर लेने पहुँची और ३-३० बजे हम उनके स्कूल पहुंचे।
स्कूल में तीन-चार चैनल वाले और समाचार पत्रों के कुछ पत्रकार आये हुए थे जो उनकी फोटो और उनसे रिजल्ट के बारे में पूछ रहे थे। मैंने देखा कि उसके स्कूल सेंट जोसफ को-एड की एक छात्रा मानसी एस पिल्लई जिसके ९९.४१ प्रतिशत अंक आये थे उससे मीडिया वाले सबसे ज्यादा सवाल-जवाब पूछ रहे थे, आखिर उसने मध्यप्रदेश में टॉप जो किया था। उसके बाद जिनके ९७-९८ प्रतिशत अंक आये थे उनसे से सभी परीक्षा की तैयारी और अंकों के बारे में पूछ रहे थे। इस दौरान बच्चे बीच में उचक-उचक कर ख़ुशी से हल्ला मचा रहे थे। बच्चों की बातें भी उनकी तरह ही बड़ी निराली होती हैं, एक बच्चे से जब एक चैनल वाले ने पूछा कि उसके कितने प्रतिशत अंक आये हैं तो वह उछलते हुए बोला कि उसे तो ९५ प्रतिशत तक की उम्मीद थी लेकिन उसके ९७ प्रतिशत अंक आ गए, यह सुनकर सभी बच्चों के साथ ही अभिभावकों और चैनल वालों की हँसी फूट पड़ी। बच्चे तो ख़ुशी से इतने जोर-जोर से चिल्ला रहे थे कि हँसते-हॅसते पेट दुखने लगा।
मेरे बच्चे को ९५ प्रतिशत अंक मिले। उसे विज्ञान में १००, इंग्लिश और संस्कृत में ९९-९९ और सोशल साइंस में ९२ अंक मिले लेकिन गणित में ८५ अंक ही मिले तो अंकों का गणित थोड़ा बिगाड़ा सा लगा। लेकिन बड़ी संतुष्टि मिली जब रिश्तेदारों और जान-पहचान वालों ने फ़ोन पर बधाई दी कि हमारे खानदान में इतने अंक किसी के नहीं आये हैं। यह सच भी है। हमारे जमाने में तो ९५ प्रतिशत छोड़ो ६० प्रतिशत अंक एक जादुई आंकड़ा होता था। यह कारनामा करने वाले हज़ारों में से कोई एक ही होता था। १०-१२ गांव में अगर किसी बच्चे ने ६० प्रतिशत लाकर फर्स्ट डिवीज़न पा लिया तो उसके घरवाले दूर-दूर गांव तक लड्डू बाँट आते थे।
आज का दिन तो रिजल्ट की ख़ुशी में बीत गया। पहले कोचिंग और फिर स्कूल की मौज-मस्ती में शाम हो गई इसलिए कोई विशेष पकवान भी नहीं बना पाए। घर पहुंचकर सबसे पहले भगवान भोलेनाथ के मंदिर जाकर माथा टेका और फिर नानी के घर जाकर उनका आशीर्वाद लिया। नानी को सबसे ज्यादा ख़ुशी होती है कि कोई नाती तो आखिर उनका भी नाम रोशन कर रहा है।