कल बुधवार को नगर निगम चुनाव का मतदान दिवस था, जिसके लिए शासकीय अवकाश घोषित किया गया था। पिछले तीन-चार दिन तेज बारिश का दौर चल पड़ा था, जिस कारण बुधवार को मतदान के लिए कई जनप्रतिनिधि और उम्मीदवार बड़े चिंतित थे कि कहीं अगर बारिश होने से व्यवस्थाएँ बिगड़ी और लोग वोट देने नहीं पहुँचे तो उनके सपनों पर पानी फिर जाएगा। लेकिन बुधवार को इंद्रदेव की कृपा से शहर में बारिश नहीं हुई तो सभी ने राहत की सांस ली। हालाँकि सुबह से ही आसमान में हल्के बादल मंडरा रहे थे, जो सूरज के साथ आंखमिचौली खेल कर रहे थे, जो देर रात तक ख़त्म नहीं हुई।
कल भले ही बादल बरसे नहीं लेकिन आज सुबह से रिमझिम फुहारों के बीच मौसम खुशनुमा बना हुआ है, जिससे तापमान में गिरावट आने से गर्मी और उमस से राहत मिली है। कल नगर निगम के चुनाव के कारण मतदान के लिए छुट्टी मिली हुए थी, इसलिए सुबह-सुबह मतदान के बाद हम एक और जरुरी चुनाव के लिए भोपाल की व्यावसायिक नगरी एमपी नगर पहुंचे। जहाँ हमें अपने बेटे के लिए जो अभी ११वीं में पढ़ रहा है, को आईआईटी की तैयारी के लिए कोचिंग की तलाश करनी थी। यहाँ मेडिकल और इंजीनिरिंग की तैयारी के लिए बहुत से कोचिंग सेंटर राजस्थान के कोटा की तर्ज पर खुल गए हैं और कुछ अभी खुल रहे है। जहाँ एक अच्छे कोचिंग को तलाशना चुनाव में एक अच्छे उम्मीदवार का चुनाव करने से भी कठिन काम है। हमने कुछ आईआईटी की तैयारी कराने वाले कोचिंग सेंटर में बात की, जहाँ उन्होंने फीस तय करने से पहले बच्चे को स्क्रीनिंग टेस्ट देने को कहा। आज बच्चे के स्क्रीनिंग टेस्ट के बाद ही उसके अंकों के आधार पर कोचिंग फीस तय होगी और फिर किस कोचिंग में एडमिशन होगा, निश्चित कर पाएंगे।
अब बरसात का मौसम है तो शहर की कुछ बातें बताती चलती हूँ। कल जब हम जवाहर चौक स्थित अपने घर से एमपी नगर निकले तो रास्ते में पड़ने वाले नालों से कई जगह हमें नगर निगम का सफाई अमला कचरा निकालते नज़र आया। जहाँ कई वाहन कचरा ढोने के लिए लगाए गए थे। बारिश से पहले शहर में प्रशासन खूब हो-हल्ला मचाता है कि शहर वासियों को कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन जैसे ही बारिश शुरू होती है और शहर डूबने लगता है तो इनकी नींद हराम हो जाती है, क्योंकि इसके द्वारा बारिश से पहले शहर की साफ़-सफाई योजना के तहत करोड़ों रुपये खर्च किये होते हैं, जिसकी पोल बरसात खोल लेती है। बरसात होते ही जहाँ देखो सड़कें उखड़ जाती हैं। नालियाँ बंद होने से गन्दा पानी सड़कों तक पहुंचकर गंदे नाले का रूप धारण कर लेता है। शहर के अधिकांश हिस्सों विशेषकर गन्दी बस्तियों का हाल सबसे बुरा रहता है। मानसून के दौरान पेड़ों की कटाई-छंटाई से लेकर साफ़-सफाई के कामों के जो दावे नगरीय प्रशासन द्वारा किये जाते हैं, वे बारिश का दौर शुरू होते ही खोखले साबित होते हैं। बारिश में शहर की बदहाली पर जब कई समाचार पत्र विभागीय अधिकारियों की खबर लेते हैं तो वे बड़ी सफाई से शहर के जलभराव वाले हिस्सों में डम्पर से मलबा हटाने, नालियों की साफ़-सफाई किये जाने का हवाला देते हैं और अतिक्रमण को एक बड़ी बाधा बताते हुए अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेते हैं।
इस बरसात में आपके शहर के क्या हालात है? बताना-लिखना न भूलें।