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बारिश में रोऊँ की हँसूं करूँ तो क्या करूँ

27 जुलाई 2022

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आज सुबह जब ऑफिस को निकली तो लगा जैसे बारिश ने छुट्टी ले रखी हो।  अपनी एक्टिवा से सड़क पर धीरे-धीरे चलते हुए सोच रही थी कि चलो कम से कम से हर दिन की बारिश की किचपिच से राहत तो मिली। लेकिन मेरा सोचना गलत था।  सड़क पर बारिश रुकने से धूल भरी आंधी चल रही थी, गाड़ी-मोटर इतनी धूल उड़ा रहे थे कि उनके पीछे-पीछे चलना मुश्किल हो रहा है। आँखों में धूल के कण घुसने से आँखों से पानी बह रहा था, नाक से छींक फूट रही थी। बड़ी मुश्किल ऑफिस पहुँची तो लगा इससे तो अच्छी बारिश ही होती रहती, कम से कम  इस धूल -धक्कड़ से बचे रहते। ऑफिस पहुँचकर सबसे पहले आंख-नाक अच्छे से साफ़ किये तो थोड़ी राहत पहुँची। बारिश रुकने के बाद भी सड़कों का हाल-बेहाल हो जाता है। सड़क पर लोगों का गाड़ी चलाना मुश्किल तो होता ही है, पैदल चलने वालों को भी बड़ी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। सड़क पर धूल उड़ने से दमा, फेफड़े, एलर्जी से पीड़ित व्यक्तियों को सबसे ज्यादा तकलीफ होती हैं। डॉक्टर भी ऐसे में लोगों को सड़क पर चलते हुए उड़ते धूल के कणों से अपनी आंख-नाक को बचाने की सलाह देते हैं।

मुझे धूल से बड़ी एलर्जी हैं, इसलिए मैं ऑफिस में काम करते हुए भगवान से शाम को घर लौटते समय रिमझिम बारिश के लिए प्रार्थना करती रही। कहते हैं न कि सच्चे मन ईश्वर से प्रार्थना करो तो उनके दरबार तक आवाज जरूर पहुँचती हैं। शाम को जैसे ही घर को निकली तो रिमझिम बदरा बरसने लगे तो मन को बड़ी ख़ुशी मिली कि ईश्वर ने मेरी आवाज सुन ली।  बरसाती ओढ़कर ख़ुशी-ख़ुशी मैं घर को निकल पड़ी। बारिश में पिकनिक का आनंद लेते हुए मैं धीरे-धीरे अपनी एक्टिवा चला रही थी।  अचानक तेज बारिश हुई तो सड़क पर पानी भरने लगा। जब कोई बड़ा वाहन पास से गुजरता उसके पहियों की छपाक से पानी मेरे ऊपर क्या उंडेलकर जाता कि लगता जैसे कमबख्त होली खेलने निकला हो। बारिश होती हैं तो मुसीबत और न हो तो भी मुसीबत।  ऐसे हालात में कुछ सूझता नहीं कि "रोऊँ की हँसूं करूँ तो क्या करूँ?


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रचनाएँ
वर्षा ऋतु की बातें (दैनन्दिनी-जुलाई, 2022)
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जब ग्रीष्म ऋतु में सूरज के भीषण ताप से सम्पूर्ण धरती के साथ ही जीव-जंतु झुलस कर आकुल-व्याकुल हो उठते हैं तब समस्त जीव-जगत को वर्षा ऋतु के आगमन की प्रतीक्षा रहती है और जैसे ही आकाश में बादल आकर बरसते हैं तो झुलसी, मुरझाई धरती और जीव-जगत में नवजीवन संचरित हो उठता है। वर्षा की फुहार पड़ते ही प्रकृति अपना यौवन प्राप्त कर लेती है और जीव जगत को जीवन का आधार जल मिलता है, तो उनका मन भी प्रफुल्लित हो उठता है। वर्षा ऋतु के सुखद और भयावह दोनों रूप हमें देखने को मिलते हैं। इसी सन्दर्भ में कुछ बातें जुलाई माह की इस दैनंदिनी में आपको देखने-पढ़ने को मिलेंगी।
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वर्षा ऋतु में आहार-विहार

4 जुलाई 2022
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वर्षा ऋतु में वायु का विशेष प्रकोप तथा पित्त का संचय होता है। वर्षा ऋतु में वातावरण के प्रभाव के कारण स्वाभाविक ही जठराग्नि मंद रहती है, जिसके कारण पाचनशक्ति कम हो जाने से अजीर्ण, बुखार, वायुदोष का प्

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नगरीय निकाय और कोचिंग चुनाव का एक दिन

7 जुलाई 2022
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कल बुधवार को नगर निगम चुनाव का मतदान दिवस था, जिसके लिए शासकीय अवकाश घोषित किया गया था। पिछले तीन-चार दिन तेज बारिश का दौर चल पड़ा था, जिस कारण बुधवार को मतदान के लिए कई जनप्रतिनिधि और उम्मीदवार बड़

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वर्षा का भयावाह रूप है अतिवृष्टि

8 जुलाई 2022
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मेरी एक सहेली अभी दो दिन पूर्व अमरनाथ यात्रा पर निकली है। आज शाम करीब 5.30 बजे जब अमरनाथ में बादल फटने की जानकारी मिली तो तब से बहुत परेशान हूँ। ऑफिस से घर आकर कई बार मोबाइल लगा चुकी हूँ लेकिन लग नहीं

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आकाशीय बिजली गिरने की घटना की याद

11 जुलाई 2022
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इन दिनों देश के कई हिस्सों में बारिश कहर बनकर टूट रहा है। अभी दो दिन पहले शनिवार को देर रात हमारे भोपाल में भारी बारिश और बादलों की भयानक डरावनी गड़गड़ाहट के साथ कड़कती बिजली की तीखी आवाज ने नींद हराम कर

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मर्यादा में ही सब अच्छे, पानी हो या कि हवा

13 जुलाई 2022
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ग्रीष्मकाल आया तो सूरज की तपन से समस्त प्राणी आकुल-व्याकुल हो उठे। खेत-खलियान मुरझाने और फसल कुम्हालाने लगी। घास सूखने और फूलों का सौन्दर्य-सुगंध तिरोहित होने लगा।  दुपहरी की तपन से छोटे-बड़े पेड़-

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आओ हम सब झूला झूलें पेंग बढ़ाकर नभ को छू लें

14 जुलाई 2022
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सावन आते ही कभी धूप तो कभी मूसलाधार बारिश से मौसम बड़ा सुहावना हो गया है। झमाझम बरसते बदरा को देख हरे-भरे पेड़-पौधों के बीच छुपी कोयल की मधुर कूक, आसमान से जमीं तक पहुँचती इन्द्रधनुषी सप्तरंगी छटा,

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हरियाली का पर्व है हरेला

17 जुलाई 2022
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इन दिनों हमारे पहाड़ी प्रदेश उत्‍तराखंड में हरेला पर्व की धूम मची है। यह पर्व हमें प्रकृति से जोड़ता है। हरेला का मतलब हरियाली से है, यानि हरियाली का त्यौहार। ग्रीष्म के बाद वर्षा ऋतु के आगमन से प्

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बाबा भोलेनाथ का पहला सावन सोमवार

18 जुलाई 2022
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आज सावन का पहला सोमवार था। सावन माह में सोमवार का विशेष महत्व माना जाता है।   माना जाता है सावन माह के हर सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ अपने सूक्ष्म रुप में मंदिर में विराजमान रहते हैं। माना जाता है

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बारिश से गड्ढों में तब्दील हुई सड़कें दुर्घटना का कारण बनते हैं

21 जुलाई 2022
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आज शाम को जैसे ही ऑफिस से घर निकल रही थी तो अचानक तेज बारिश शुरू हो गयी।  जब काफी देर तक बारिश बंद नहीं हुई तो अँधेरा होता देख मैंने बरसाती पहनी और घर को को निकल पड़ी। तेज बारिश के कारण जगह-जगह सड़क पर

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एक चिर-प्रतीक्षित परीक्षा परिणाम की सुखद अनुभूति के क्षण

22 जुलाई 2022
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आज लम्बे अंतराल की प्रतीक्षा के बाद सीबीएसई द्वारा 12वीं और १०वीं के परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए गए हैं। बच्चों की परीक्षा खत्म हुए एक माह से भी अधिक समय बीत चुका था। लाखों छात्र-छात्राओं के साथ अभिभा

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वह सर्पाकार पहाड़ी नदी

24 जुलाई 2022
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आज छुट्टी का दिन था।  सुबह जरा देर से जागना हुआ।  सावन का महीना चल रहा है।  रिमझिम बारिश हो रही थी। भोलेनाथ के दर्शन हेतु मंदिर भी जाना था, इसलिए सबसे पहले नहाना-धोना किया और उसके बाद मंदिर पहुँची

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आफत की बारिश

26 जुलाई 2022
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पिछले तीन दिन से हमारे भोपाल में तेज बारिश होने से शहर का मिजाज पानी-पानी हो गया है। लगातार हो रही बारिश से सीहोर से निकलकर बड़े तालाब तक पहुँचने वाली कोलांस नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ने पर भदभदा से

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बारिश में रोऊँ की हँसूं करूँ तो क्या करूँ

27 जुलाई 2022
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आज सुबह जब ऑफिस को निकली तो लगा जैसे बारिश ने छुट्टी ले रखी हो।  अपनी एक्टिवा से सड़क पर धीरे-धीरे चलते हुए सोच रही थी कि चलो कम से कम से हर दिन की बारिश की किचपिच से राहत तो मिली। लेकिन मेरा सोचना

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हरियाली अमावस्या और पौधरोपण

28 जुलाई 2022
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आज सुबह-सुबह दरवाजे के घंटी बजी तो देखा कि हमारे पड़ोस की बिल्डिंग में रहने वाली एक महिला खड़ी थी। उसे देखकर मैंने उसे बैठने को कहा तो वे कहने लगी कि वह नहा-धोकर सीधे हमारे घर आयी है, फुर्सत में कभी

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वर्टिकल गार्डन और पेड़-पौधे चोर

30 जुलाई 2022
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बरसात का मौसम आते ही शासन स्तर से लेकर कई सामाजिक संस्था, समाचार पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से लोगों को पेड़-पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है। क्योंकि पेड़-पौधे लगाने के लिए बरसात का समय सर्वथा उपयु

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