बरसात का मौसम आते ही शासन स्तर से लेकर कई सामाजिक संस्था, समाचार पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से लोगों को पेड़-पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है। क्योंकि पेड़-पौधे लगाने के लिए बरसात का समय सर्वथा उपयुक्त होता है इसलिए हर कोई इस दौरान पेड़-पौधे लगाने के लिए उत्सुक रहता है। इसके लिए कुछ लोग नर्सरी से पेड़-पौधे खरीदकर तो बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जो इधर-उधर जहाँ भी मौका मिले चोरी-छुपे पेड़-पौधे उखाड़कर लगाने की जुगत में लगे रहते हैं। ऐसे लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता है कि वे जहाँ से पेड़-पौधे चुरा रहे होते हैं वहाँ का क्या हाल होगा? ऐसे ही हमारे भोपाल में जब मैं शहर के मुख्य मार्गों से लेकर पार्क- सरकारी कार्यालयों में नगर निगम द्वारा सौन्दर्यीकरण के लिए लगाए वर्टिकल गार्डन को देखती हूँ तो बड़ा दुःख और अफ़सोस होता है कि कैसे कई लोग वर्टिकल गार्डन में लगे पौधों को गमले सहित चोरी करके उड़ा ले गए हैं। यद्यपि इनकी देख-रेख और चौकीदारी के लिए नगर निगम और स्मार्ट सिटी की तरफ से कुछ कर्मचारी नियुक्त हैं, लेकिन उनकी उपस्थिति नियत समय के लिए रहती है, जिसका फायदा गाड़ी-मोटर आदि से आते-जाते कई लोग गमले सहित पौधे चुराने वाले उठाते हैं। ऐसे ही एक दिन जब मैं स्मार्ट सिटी की सड़क पर शाम को घूमने निकली तो एक दम्पति मोटर साइकिल से मेरे सामने से निकले और कुछ दूरी पर स्थित वर्टिकल गार्डन के पास रुक गए। रुकते ही उन्होंने आस-पास देखा तो उन्हें कोई नज़र नहीं आया तो फटाक से उन्होंने रैक से दो गमले निकाले और तेजी से भाग खड़े हुये। मुझे इसका बिलकुल में अंदेशा नहीं था कि वे पौधे चुराने की नीयत से आये होगें। जब तक मैं उनके पास पहुंचकर उन्हें समझाने का प्रयास करती वे तो फुर्र हो चुके थे। मैं सोचती रह गई। जगह-जगह इसी तरह वर्टिकल गार्डन बनाये तो गए हैं लेकिन कुछ चोरों ने तो कुछ देख-रेख के अभाव में यूँ ही बिखरे-सूखे नज़र आते हैं। शासन और सामाजिक संस्थाओं द्वारा शहर के सौन्दर्यीकरण और पर्यावरण संरक्षण के नाम से पेड़-पौधे लगाकर सराहनीय व उल्लेखनीय काम की शुरुवात तो की जाती हैं, लेकिन जिस तरह उनके रख-रखाव और सुरक्षा की उपेक्षा की जाती हैं, वह बेहद अफसोसजनक व चिंतनीय विषय हमेशा बना रहता है। पेड़-पौधों की उचित देख-रेख और सुरक्षा अभाव के कारण ही पेड़-पौधे चोरी करने वाले कतिपय लोग उनके काम पर बट्टा लगाने में सफल होते हैं।
क्या इस दिशा में शासन-प्रशासन के साथ ही आम नागरिक को भी जागरूक होने की आवश्यकता नहीं है? आप ही बताइए ?