इन दिनों देश के कई हिस्सों में बारिश कहर बनकर टूट रहा है। अभी दो दिन पहले शनिवार को देर रात हमारे भोपाल में भारी बारिश और बादलों की भयानक डरावनी गड़गड़ाहट के साथ कड़कती बिजली की तीखी आवाज ने नींद हराम करके रख दी थी। भयानक गड़गड़ाहट और कड़कती बिजली की आवाज सुनकर बच्चे तो बच्चे हम बड़े भी बहुत डर गए थे, क्योंकि हमने भी ऐसी भयानक डरावनी रात पहले कभी नहीं देखी थी। सुबह समाचार से पता चला कि शहर के अलग-अलग हिस्सों इस दौरान एक घंटे में 6928 जगह बिजली गिरी थी। एक घंटे में इतनी आसमानी बिजली गिरने के समाचार ने मुझे हमारे गांव की एक दुर्घटना की याद ताज़ी कर दी।
मुझे याद है जब गाँव में बारिश का मौसम होता था तो रात तो छोड़िए दिन में भी अमावस्या की घोर काली रात से भी भयंकर अँधेरा छा जाता था और फिर जब काले-भूरे बादलों की गड़गड़ाहट के साथ जोर से बिजली कड़कती तो हम घर के अंदर दुबक जाते। पहाड़ों में बरसात के मौसम में कब आसमान खुल जाय और कब अचानक बादल धमककर बरसने लगे, इसका कोई पूर्वानुमान नहीं लगा सकता। ऐसे ही बरसात के दिनों का एक कभी न भूलने वाला दर्दनाक हादसा मेरे जेहन में आज भी ताजा है। हमारे गांव की दो लड़कियां जिनकी उम्र लगभग १० वर्ष रही होगी। एक दिन बरसात के मौसम में वे सुबह आसमान खुला होने पर घर से कंट्रोल का शक्कर और मिट्टी का तेल लेने बाजार गए। बाजार ५ किलोमीटर दूर था, इसलिए उन्हें बाज़ार पहुँचने में दो-तीन घंटे लग गए। शक्कर और मिट्टी के तेल लेने वालों की बड़ी भीड़ थी इसलिए उनकी बारी आने में बहुत समय लगा, जिससे दुपहर हो गई। जब वे शक्कर और मिट्टी का तेल लेकर वापस अपने घर को निकले तो रास्ते में अचानक मौसम बदल गया। खुले आसमान में काले-काले बादलों ने आकर तेजी से गरज-चमक कर अपना कब्ज़ा जमा लिया, जिससे चारों ओर अँधेरा छा गया और जोर की बारिश शुरू हो गई। यह देखकर दोनों बच्चे घबराकर रास्ते के किनारे एक निर्माणाधीन प्रायमरी स्कूल के पिलर के नीचे अलग-अलग कोने में जाकर खड़े हो गए। काफी देर तक वे बादलों और कड़कती बिजली की आवाज सुनकर सहमे-सहमे बैठे रहे, लेकिन अचानक तेज आवाज के साथ उनमें से एक लड़की के ऊपर बिजली गिरी और वह वहीँ खड़े-खड़े काली पड़ गई। बिजली की तेज आवाज और चमक से दूसरी लड़की की आंखे बंद हो गयी और वह उसके कान के परदे फट गए। थोड़ी देर के लिए वह बेहोश हो गई लेकिन जैसे ही उसे होश आया तो उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। वह इधर-उधर देखने लगी और जैसे ही उसे अपनी सहेली का ख्याल आया तो वह बदहवास उसके पास गई। उसने जैसे ही पिलर से चिपकी काली पड़ चुकी सहेली को देखा तो उसकी चीख निकल पड़ी। उसने बड़ी हिम्मत कर जैसे ही उसे छुआ तो वह जमीन पर गिर पड़ी। वह रोती-चिल्लाती जैसे-तैसे गांव पहुँची तो सारा गांव किसी अनहोनी की आशंका से इकट्ठा हो गया। सबके पूछने पर जब उसने हाल सुनाया तो सभी लोग उस निर्माणाधीन प्राइमरी स्कूल पहुंचे तो उस लड़की की काली पड़ी मृत देह देखकर सबकी ऑंखें छलक उठी। उस लड़की को आकाशीय बिजली लील गयी और उसकी सहेली को बहरी बना गयी। वह निर्माणाधीन प्राइमरी स्कूल आज भी उसी हाल में मौजूद है, जो उन दोनों लड़कियों की त्रासदी की याद दिलाता है। आज भी जब कोई आते-जाते उस खंडहर स्कूल के सामने से गुजरता है तो उस घटना को याद कर उसके रोंगटे खड़े हो जाते है।