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वह सर्पाकार पहाड़ी नदी

24 जुलाई 2022

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आज छुट्टी का दिन था।  सुबह जरा देर से जागना हुआ।  सावन का महीना चल रहा है।  रिमझिम बारिश हो रही थी। भोलेनाथ के दर्शन हेतु मंदिर भी जाना था, इसलिए सबसे पहले नहाना-धोना किया और उसके बाद मंदिर पहुँची।  अभी पूजा-पाठ शुरू किया ही था कि एकाएक तेज बारिश शुरू हो गयी। घंटे भर चली तेज बारिश जब कम हुई तो अपनी छतरी लेकर घर की ओर निकल पड़ी। सड़क पर एक ओर जहाँ पानी जमा होने से तालाब जैसा लग रहा था, वहीँ दूसरी ओर सड़क से थोड़ी दूर बहने वाला शांत नाला किसी उफनती नदी का रूप धारण कर सरसराहट और घरघराहट करते हुए तेजी से बह रहा था, जो मुझे हमारे पहाड़ी क्षेत्र  की ऊँची-ऊँची पहाड़ियों से होते हुए गाँव के निचले भाग में बहने वाली खटलगढ़ नदी की याद दिलाने लगा। कभी हम बचपन में इसी नदी में जब भी बाढ़ आती थी तो उसमें बहकर आयी लकड़ियों को हथियाने के लिए तैयार रहते थे। बरसात थमते ही हरे-भरे सीढ़ीदार खेतों के बीच से बनी उबड़-खाबड़ पगडंडियों से गिरते-पड़ते, भीगते-ठिठुराते दौड़े-दौड़े चले जाते थे। जहाँ पहुंचकर कई घंटे उसके उतार की राह ताकते रहते। इस दौरान बीच न जाने कितनी बार अचानक बादल गरज-बरस कर हमारे प्रयास को विफल करने का भरसक प्रयास करते रहते, लेकिन वह हमारे बुलंद इरादों के आगे हार मानकर दूर उड़ जाते।

मुझे याद है जब पिछली बरसात में गाँव जाना हुआ तो नदी में आई बाढ़ को देखने का मौका एक बार फिर मिला। इस दौरान भले ही बचपन जैसा वह उत्साह भले ही मन में न रहा हो, लेकिन नदी का मनोरम रूप दिल की गहराईयों में उतराता रहा। पहाड़ी नदी का अपना एक अलग ही सौन्दर्य होता है। वह जब  कलकल-छलछल की ध्वनि के साथ उबड़-खाबड़, टेढ़ी-मेढ़ी राहों से तीव्र गति से आगे बढ़ती हैं तो उसका सर्पाकार स्वरुप हर किसी का मन मोह लेता है। उसके इस मनमोहिनी स्वरुप का आनंद वही उठा पाता है, जो स्वयं उसके करीब जाता हो। सावन की इन बरसती घटाओं की ओट से निकलकर जब-तब  जीवन के चारों ओर संघर्षों, दुर्घटनाओं, दुर्व्यवस्थाओं की व्यापकता से परे हटकर हरपल उपजती खीज, घुटन और बेचैनी से राहत पहुँचाने आकुल-व्याकुल मन जब-तब अबाध गति से बहती नदी धार में जीवन प्रवाह का रहस्य तलाशने सरपट भागा चला जाता है।

Soor Singh Negi

Soor Singh Negi

पहाड़ी नदी का सौंदर्य मोह लेता है

26 जुलाई 2022

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रचनाएँ
वर्षा ऋतु की बातें (दैनन्दिनी-जुलाई, 2022)
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जब ग्रीष्म ऋतु में सूरज के भीषण ताप से सम्पूर्ण धरती के साथ ही जीव-जंतु झुलस कर आकुल-व्याकुल हो उठते हैं तब समस्त जीव-जगत को वर्षा ऋतु के आगमन की प्रतीक्षा रहती है और जैसे ही आकाश में बादल आकर बरसते हैं तो झुलसी, मुरझाई धरती और जीव-जगत में नवजीवन संचरित हो उठता है। वर्षा की फुहार पड़ते ही प्रकृति अपना यौवन प्राप्त कर लेती है और जीव जगत को जीवन का आधार जल मिलता है, तो उनका मन भी प्रफुल्लित हो उठता है। वर्षा ऋतु के सुखद और भयावह दोनों रूप हमें देखने को मिलते हैं। इसी सन्दर्भ में कुछ बातें जुलाई माह की इस दैनंदिनी में आपको देखने-पढ़ने को मिलेंगी।
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वर्षा ऋतु में आहार-विहार

4 जुलाई 2022
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वर्षा ऋतु में वायु का विशेष प्रकोप तथा पित्त का संचय होता है। वर्षा ऋतु में वातावरण के प्रभाव के कारण स्वाभाविक ही जठराग्नि मंद रहती है, जिसके कारण पाचनशक्ति कम हो जाने से अजीर्ण, बुखार, वायुदोष का प्

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नगरीय निकाय और कोचिंग चुनाव का एक दिन

7 जुलाई 2022
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कल बुधवार को नगर निगम चुनाव का मतदान दिवस था, जिसके लिए शासकीय अवकाश घोषित किया गया था। पिछले तीन-चार दिन तेज बारिश का दौर चल पड़ा था, जिस कारण बुधवार को मतदान के लिए कई जनप्रतिनिधि और उम्मीदवार बड़

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वर्षा का भयावाह रूप है अतिवृष्टि

8 जुलाई 2022
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मेरी एक सहेली अभी दो दिन पूर्व अमरनाथ यात्रा पर निकली है। आज शाम करीब 5.30 बजे जब अमरनाथ में बादल फटने की जानकारी मिली तो तब से बहुत परेशान हूँ। ऑफिस से घर आकर कई बार मोबाइल लगा चुकी हूँ लेकिन लग नहीं

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आकाशीय बिजली गिरने की घटना की याद

11 जुलाई 2022
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इन दिनों देश के कई हिस्सों में बारिश कहर बनकर टूट रहा है। अभी दो दिन पहले शनिवार को देर रात हमारे भोपाल में भारी बारिश और बादलों की भयानक डरावनी गड़गड़ाहट के साथ कड़कती बिजली की तीखी आवाज ने नींद हराम कर

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मर्यादा में ही सब अच्छे, पानी हो या कि हवा

13 जुलाई 2022
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ग्रीष्मकाल आया तो सूरज की तपन से समस्त प्राणी आकुल-व्याकुल हो उठे। खेत-खलियान मुरझाने और फसल कुम्हालाने लगी। घास सूखने और फूलों का सौन्दर्य-सुगंध तिरोहित होने लगा।  दुपहरी की तपन से छोटे-बड़े पेड़-

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आओ हम सब झूला झूलें पेंग बढ़ाकर नभ को छू लें

14 जुलाई 2022
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सावन आते ही कभी धूप तो कभी मूसलाधार बारिश से मौसम बड़ा सुहावना हो गया है। झमाझम बरसते बदरा को देख हरे-भरे पेड़-पौधों के बीच छुपी कोयल की मधुर कूक, आसमान से जमीं तक पहुँचती इन्द्रधनुषी सप्तरंगी छटा,

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हरियाली का पर्व है हरेला

17 जुलाई 2022
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इन दिनों हमारे पहाड़ी प्रदेश उत्‍तराखंड में हरेला पर्व की धूम मची है। यह पर्व हमें प्रकृति से जोड़ता है। हरेला का मतलब हरियाली से है, यानि हरियाली का त्यौहार। ग्रीष्म के बाद वर्षा ऋतु के आगमन से प्

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बाबा भोलेनाथ का पहला सावन सोमवार

18 जुलाई 2022
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आज सावन का पहला सोमवार था। सावन माह में सोमवार का विशेष महत्व माना जाता है।   माना जाता है सावन माह के हर सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ अपने सूक्ष्म रुप में मंदिर में विराजमान रहते हैं। माना जाता है

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बारिश से गड्ढों में तब्दील हुई सड़कें दुर्घटना का कारण बनते हैं

21 जुलाई 2022
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आज शाम को जैसे ही ऑफिस से घर निकल रही थी तो अचानक तेज बारिश शुरू हो गयी।  जब काफी देर तक बारिश बंद नहीं हुई तो अँधेरा होता देख मैंने बरसाती पहनी और घर को को निकल पड़ी। तेज बारिश के कारण जगह-जगह सड़क पर

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एक चिर-प्रतीक्षित परीक्षा परिणाम की सुखद अनुभूति के क्षण

22 जुलाई 2022
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आज लम्बे अंतराल की प्रतीक्षा के बाद सीबीएसई द्वारा 12वीं और १०वीं के परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए गए हैं। बच्चों की परीक्षा खत्म हुए एक माह से भी अधिक समय बीत चुका था। लाखों छात्र-छात्राओं के साथ अभिभा

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वह सर्पाकार पहाड़ी नदी

24 जुलाई 2022
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आज छुट्टी का दिन था।  सुबह जरा देर से जागना हुआ।  सावन का महीना चल रहा है।  रिमझिम बारिश हो रही थी। भोलेनाथ के दर्शन हेतु मंदिर भी जाना था, इसलिए सबसे पहले नहाना-धोना किया और उसके बाद मंदिर पहुँची

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आफत की बारिश

26 जुलाई 2022
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पिछले तीन दिन से हमारे भोपाल में तेज बारिश होने से शहर का मिजाज पानी-पानी हो गया है। लगातार हो रही बारिश से सीहोर से निकलकर बड़े तालाब तक पहुँचने वाली कोलांस नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ने पर भदभदा से

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बारिश में रोऊँ की हँसूं करूँ तो क्या करूँ

27 जुलाई 2022
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आज सुबह जब ऑफिस को निकली तो लगा जैसे बारिश ने छुट्टी ले रखी हो।  अपनी एक्टिवा से सड़क पर धीरे-धीरे चलते हुए सोच रही थी कि चलो कम से कम से हर दिन की बारिश की किचपिच से राहत तो मिली। लेकिन मेरा सोचना

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हरियाली अमावस्या और पौधरोपण

28 जुलाई 2022
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आज सुबह-सुबह दरवाजे के घंटी बजी तो देखा कि हमारे पड़ोस की बिल्डिंग में रहने वाली एक महिला खड़ी थी। उसे देखकर मैंने उसे बैठने को कहा तो वे कहने लगी कि वह नहा-धोकर सीधे हमारे घर आयी है, फुर्सत में कभी

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वर्टिकल गार्डन और पेड़-पौधे चोर

30 जुलाई 2022
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बरसात का मौसम आते ही शासन स्तर से लेकर कई सामाजिक संस्था, समाचार पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से लोगों को पेड़-पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है। क्योंकि पेड़-पौधे लगाने के लिए बरसात का समय सर्वथा उपयु

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