जिस प्रकार एक शरीर का सहारा उसकी रीढ़ की हड्डी होती है व एक घर की ताकत उसकी नींव होती है ठीक उसी प्रकार किसी देश की ताकत उसकी अर्थव्यवस्था से लगाया जा सकता है की वह कितना संपन्न है या होगा आने वाले समय
प्रिय सखी।कैसी हो।मैं अच्छी हूं । सर्दी की वजह से काम धंधा कम ही है देहली शोप पर । इसलिए आजकल घर पर ही विराजमान रहते हैं हम।सोच रही हूं एक उपन्यास अधूरा पड़ा है उसे पूरा कर लूं प्रतियोगिता में भी है व