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मेरा क्या है

24 सितम्बर 2022

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आंचल आज बहुत उदास सी आकर घर के पास के गॉर्डन में बैठती है ,उसके आंखो में आंसु छलकने ही वाले थे ,वह उसे पोंछ लेती है , वह करीब पैतालीस ,पचास के बीच की थी !!
वह सोचती हुई बड़बड़ाई ,*" क्या रखा इस जिंदगी में , आज बहु ने कह दिया ,क्या किया है तुमने हमारे लिए ,बहुत दुख हुआ मुझे ,एक औरत होना भी कितना बड़ा अभिशाप है आज पता चला मुझे ,आज अड़तालीश साल को होने आई मैं ,मेरी समझ में ये नही आ रहा है की मैने घर के लिए कुछ नही किया तो मैने अपने लिए क्या किया,आज मेरे पास क्या है , एक पति  है वह भी किसी और का हुआ पड़ा है ,अब मैं उसका साथ देने लायक नही रही तो खोज लिया किसी और को ,इसी को साथ निभाना कहते है , क्या शारीरिक भूख ही सब कुछ है ,!!
बचपन से लेकर अब तक सहा ही तो है,पहले मेरे मां बाप को में बोझ लगी ,घर में पहली औलाद लड़की के रूप में पाकर तो जैसे सभी पर वज्रघात हुआ था ,हमारे दादा जी तो एकदम से लाल पीले होकर मेरी मां को गालियां देने लगे थे ,जैसे मेरे पैदा होने में मां की ही गलती थी , पर मां और पापा मुझे चाहते थे पापा थोड़ा कम पर मम्मी तो बहुत चाहती थी और हां मेरी दादी भी कुछ दिनों में मेरी ओर प्यार भरी दृष्टि से देखने लगी थी ,कुछ वर्षो में मेरे दो छोटे भाई हुए तो मेरी पूछ कम होने लगी और हर बात पर मुझे पराए घर की अमानत बताया जाने लगा था, उस वक्त मुझे पराए घर की अमानत वाली बात समझ नही आती थी पर जब थोड़ी बड़ी हुई तो समझ में आया की लड़कियां शादी के बाद किसी और के घर चली जाती हैं, तब मुझे लगता था ऐसा नियम क्यों बना है , ,!!

मेरे दोनो भाई मुझे बहुत प्यारे थे और दोनो ही हनेशा मुझसे ही चिपके रहते थे दीदी दीदी कहते तो मुझे बहुत अच्छा लगता था की चलो कोई तो है जो मुझे इतनी अहमियत देता है ,अब तो मां और दादी भी मेरे छोटे भाइयों पर ही अपना सारा प्यार न्योछावर किए रहती थी,,!!
फिर धीरे धीरे भाई भी बड़े होते गए और उनका भी लगाव कुछ कुछ कम होता गया , बीस साल की होते होते मुझे मेरे घर भेज दिया गया ,मतलब मेरी शादी हो गई ,वहां भी यही सुनना पद रहा था की ये तो पराए घर से आई है , में कई दिन तक सोचती रही थी की आखिर मेरा घर हैं कहां , मां बाप के लिए पराई थी और अब सास ससुर के यहां भी पराई हूं , तो मैं किसे अपना घर  समझूं ,अपने घर थी तो भी पढ़ाई के साथ साथ चुका बर्तन करना सिखाया जाता था यह कह कर की अभी से सब सिख ले नही तो तेरे ससुराल वाले कहेंगे कुछ भी सिखाया नही बेटी को ,!!
ससुराल आकर पति के साथ एक अलौकिक सुख का स्वाद चखा और मुझे लगा की यही सब कुछ है ,पर कुछ ही दिनों में अहसास हुआ की मैं अपने मायके में अधूरी नौकरानी थी ,वहां कभी कभी जिद कर लेती थी और दिल न होने पर किसी दिन काम भी नही करती थी पर यहां आकर पता चला की में तो पूरी ही नौकरानी हूं मेरी अपनी कोई मर्जी ही नही है ,कभी सास की बाते सुनु तो कभी ससुर के और बची खुची अपने पतिदेव के ,वह तो अपनी मां के भक्त  थे ,वह जो कह देती वह पत्थर की  लकीर होती थी उसके चक्कर में पतिदेव ने कई बार मेरी पिटाई भी कर दी थी ,!!
कुछ दिनों में मेरे दिन कुछ दिनों के लिए बदले जब पता चला कि में मां बनने वाली हूं तो मेरी सासु मां मेरा ख्याल रखने लगी थी ,पतिदेव भी पूरा ख्याल रखने लगे थे , मुझे लगा अब मेरे दिन बदल गए ,पर शायद  यह मेरी गलत फहमी थी ,!!
जैसे ही मेरी डिलीवरी हुई, और मेरा बेटा हुआ तो कुछ  दिनों तक मेरी बहुत सेवा हुई ,बेटा जैसे ही कुछ बड़ा हुआ मेरे पेट में कुछ इन्फेक्शन हुआ और मेरी बच्चेदानी निकालना पड़ा ,अब इसमें मेरी क्या गलती थी, फिर भी इन सबका दोषी मैं ही मानी गई ,और अभी मैं उस सदमे से बाहर नही निकली थी की मेरे साथ बुरा व्यवहार शुरू हो गया था ,पूरे दिन घर के काम में लगा दिया था एक नौकरानी थी उसे भी हटा दिया गया और सारे काम मुझे ही करना पड़ा , पूरे दिन एकाध घंटे ही अपने बच्चे के साथ बिता पाती थीं, अब तो पति देव भी मुझसे मुंह बिचकाने लगे थे, क्योंकि ऑपरेशन के बाद कई महीनो तक मैं उनके किसी काम की नही थी,तो वह भी मुझसे कटने लगे थे , आखिर एक औरत से लोग की कितनी उम्मीद रखते हैं , पर खुद कभी किसी बात पर खरे नहीं उतरते हैं,!!
अब तो मुझे सिर्फ और सिर्फ अपने बेटे से उम्मीद रह गई थी, वह मुझसे प्यार भी बहुत करता था जबकि उसे भी अपनी ओर आकर्षित करने का भूत प्रयास किया था सासु मां ने पर वह भी अपने बाप कि तरह मां का भक्त निकला था ,और इसी बात का मुझे भी संतोष था की मेरा अपना खून तो मेरा है , बाकी तो सब छूट ही गया था , मां बाप ने शादी करके अपना पिंड छुड़ा लिया था और भाई कभी कभार आकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा देते थे ,पर भाभियों के दबाव में वह भी मजबूर हो गए फिर भी फोन करके कभी कभी हाल चाल ले लेते हैं , अब तो बेटे ने अपनी पढ़ाई भी पूरी कर ली और उस दिन अपनी डिग्री लाकर जब उसने मेरे पैरो पर रखा तो मेरे सारे दुख दूर हो गए थे ,मैने उसे उठाकर अपने गले से लगाकर खूब रोई थी , !!
बेटे को एक अच्छी कंपनी में अच्छी नौकरी मिल गई और एक अच्छा रिश्ता जो कई दिनो से पीछे पड़े थे उनकी बेटी से उसकी शादी भी हो गई ,!!
बहुत जल्दी मैं दादी भी बन गई ,और अब तो मैं सास भी थी पर मैंने जो दुख भोगा था वह अपने बहु को नही भोगने देना चाहती थी वैसे आजकल की लड़कियां हमारे इतना बर्दास्त भी नही करने वाली थी ,खैर सब कुछ अच्छा लगने लगा था ,पर आज सुबह नाती रो रहा था तो मैंने उसे कह दिया कितना बदमाश है ,तो बेटा भड़क कर कहता है ,क्या मम्मी उसे बदमाश  बदमाश मत कहा करो वह बदमाश ही हो जाएगा , मैं समझ गई यह बहुरानी की देन है ,में बहुत देर तक कमरे में बैठी रोती रही फिर आंसु पोंछ कर बाहर आई तो किसी बात पर बहु चिढ़कर बोली मम्मी आप इसे तो सम्हाल सकती हो ,एक काम भी आप ढंग से नही करती हो ,अब तक किया क्या है  आपने एक बच्चा भी नही सम्हाल सकती , मुझे उसकी बात पर बहुत गुस्सा आया और यहां चली आई ,अब नही जाऊंगी उस घर में वैसे भी मेरा है ही क्या एक बेटा था अब वह भी बहु का हो गया ,!!
(तभी उसे नाती के रोने की आवाज सुनाई पड़ती है तो वह हड़बड़ा कर उठती है ,)
अरे ये तो मेरे राजा के रोने की आवाज है उसकी मन उसे छोड़ कर फोन पर लागू होगी ,मत रो बेटा मैं आ रही हूं ,*"!!

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sayyeda khatoon

sayyeda khatoon

Very nice 👌👌👌

24 सितम्बर 2022

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मेराक्या है
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एक औरत की व्यथा ,जो बेचारी हमेशा अपनो के लिये मरती रहती है ,पर अंत में उसका अपना क्या रहता है ,*"!!

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