आज गली में सुना कि पास वाली सलोनी दी को कैंसर हो गया है सुनकर बहुत धक्का लगा अभी उनकी उम्र ही क्या है, होगी मात्र बाईस साल ये भी कोई उम्र होती है बीमारी कि पर आजकल का कुछ पता नहीं यहां तो हँसता खेलता इंसान भी अचानक ऊपर टपक जाता है... यह तो फिर भी बीमारी है कभी कभी बहुत दुख होता है जब किसी को कैंसर जैसी बीमारी हो जाती है वो भी इतनी कम उम्र में पर क्या करे जैसे हम ऊपर से अपनी उम्र लिखवाकर आये है, वैसे ही बीमारी का झमेला भी साथ लाये है बहुत लोगों से सुनकर देखा है कि जिसको कैंसर हो जाये तो उस इंसान के घर ज्यादा नहीं जाना चाहिए उसके घर और परिवार से दूर रहना चाहिए आज कल कई ऐसे वहमी लोग हमारे देश में मौजूद है पर क्या यह सही है? मेरे ख्याल से यह बहुत गलत बात है अगर ऐसी भयंकर बीमारी हमें हो जाये और कोई हमसे मिलने ना आये तो हम पर उस समय क्या बीतेगी हमें हर जगह अपने आपको रखकर देखना चाहिए और ऐसे पीड़ित लोगों को अपनी तरफ से साहुनुभूति देनी चाहिए ऐसे लोगों का हमेशा हौसला बढ़ाना चाहिए कमबख्त यह बीमारी है ऐसी चीज जो रिश्तों में और इंसान में खटास पैदा करती है पर इस खटास को और ऐसे वहमी लोगों को अपने से दूर ही रखना चाहिए जो किसी भी इंसान कि बीमारी में आपसी दुरी और भेदभाव लाये....