दिनांक 17/6/2022
सुबह दस बजे
हेलो अंजली कैसी हो आज पूरे बहुत दिनों बाद अंजली से फ़ोन पर मेरी बात हुई बात करते - करते अचानक उसका
फ़ोन कट गया फिर दुबारा जब उसे फ़ोन मिलाया तो अंजली से बहुत लम्बी बातचीत हुई पता है आज पूरे एक महीने बाद उससे बात करके बहुत अच्छा लगा उसके परिवार में उसका कोई अपना ना था बस कहने को सब अपने थे...
पर अपनापन तो वहां होता है जहाँ हमें प्यार मिले अपनों का साथ मिले चार साल पहले अंजलि कि माँ चल बसी थी उसके पिता तो पहले ही भगवान को स्वर्गवास हो गये थे बेचारी अपने चाचा -चाची के साथ रहती थी उसकी चाची उससे सारे घर का काम करवाती और बाहर का भी और उसे खाने को बासी खाना दिया करती थी यह देखकर और सुनकर मुझे उस पर बहुत दया आती थी, आखिर कोई इंसान ऐसा कैसे कर सकता है किसी अपनों के साथ आज भी उससे बात करके मेरी आँखे भर आई अभी उसकी शादी के एक साल हुये है वह बहुत खुश है अपनी शादीशुदा जिंदगी में उसे बहुत अच्छा परिवार और बहुत अच्छा जीवन साथी मिला है यह सब देखकर मुझे दिल से बहुत खुशी हुई जिस अपनेपन को वो इतने सालों से ढूढ़ रही थी उसके लिए तरस रही थी वो प्यार अपनापन और साथ उसे सब एक बार में ही मिल गया। जो अपनापन उसे अपने चाची -चाची से नहीं मिला वो ससुराल में सबसे मिल गया.....
एक डायरी मेरी कलम से ✍️
निक्की तिवारी