दिनांक 22/6/2022
समय शाम 7बजे
मेरी अपनी एक अलग सोच है क्यों में अपनी सोच दुनिया कि सोच सा रखूं ना में उनके सोच से चलने वाली ना रुकने वाली मेरी सोच मेरी एक नई बुनियाद है, मेरा आने वाला कल है में जैसा सोचती जाऊगी वैसी ही में बनती जाऊगी.... आजकल के लोग यही सोचते है कि इस सोच में क्या रखा है? पर मेरी मानो तो सबकुछ हमारी सोच पर ही निर्भर करता है अगर में अच्छा सोचती हूँ, तो में कुछ अच्छा करके ही दिखाऊंगी ओर अगर में कुछ बुरा सोचती हूँ तो फिर में कुछ बुरा कर जाऊगी। इस एक सोच से हमारे जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव ओर छाप दोंनो कि एक नई छवि उभरकर आती है जो दुनिया के हर कोने में सब लोगों द्वारा पढ़ी व जानी जाती है.......
अपनी सोच से ही हर इंसान ऊपर उठता है ओर नीचे गिरता है एक सोच हमें इंसान से एक जानवर के रूप में भी विकसित कर सकती है। सोच से ही कोई इंसान महान तो कोई हैवान बन जाता है तो इस सोच का दर्जा कितना ऊंचा है अब तो आप सबकी समझ में आ ही गया होगा आज के लिए बस इतना ही कल फिर आप सबसे मुलाक़ात होगी एक नये विषय पर जब तक के लिए आप सबको मेरा प्यार भरा नमस्कार अपनी समीक्षा देकर जरूर बताये कि आप सबको मेरी यह सोच कैसी लगी मेरी इस सोच ने आप सबको कितना प्रभावित किया
एक डायरी मेरी कलम से ✍️
स्वरचित - निक्की तिवारी