परिवार हमारे अनुसार
कहां चलता है किसी की
बात कहां मानता है जब करने
चले हम अपने घर के मुखिया
से अपने दिल की बात तो आ
गई हमारी बात पर हर रिश्ते में
खटास बैठना मुश्किल हो गया
हम सबका आस पास वो दिन
अब नहीं हमारे खास रुकी रहती
अपनों के बीना मेरी हर सांस दिल
भी रहता आजकल बहुत हमारा
उदास फिर से मिलाया जाये सब
परिवार को एक साथ इनके बीना
कहां हो पाता हमारा एक भी काम
इनको देने चले अब हम कुछ आराम
परिवार कहां चलता है आपके और
हमारे अनुसार पर इन्ही से है हमारे
जीवन का आधार कोई बात नहीं
जो हमारी बात अधूरी रहे गई आज
अपनों के साथ छोटी सी यह जिंदगी
पूरी हो गई ऐसा परिवार कहां मिलता
है अपनों से ही परिवार चलता है
एक कलम मेरी ✍️
निक्की तिवारी