इस उम्मीद के साथ रोज आपको याद करती हूँ कि आप अबकी बार राखी पर अपनी बहन से राखी बंधवाने जरूर आओगे पिछले चार साल कि राखी आपकी बिना यू ही फीकी रही हर राखी पर एक बहन का उसके भाई के प्रति स्नेह ओर उभर कर आ जाता है...
घर कि याद क्या होती है इन भाइयों से पूछो जो इतने साल अपनों से दूर रहकर हम सबकी रक्षा के लिए इतने आंतकवादियों से लड़ जाते है इतने सालों तक अपनों से दूर रहे पाते है। हमसे ज्यादा घर कि याद इन्हें खलती होगी हर त्यौहार पर यह अपनों ओर अपने परिवार को कितना याद करते होंगे क्या इनका मन नहीं करता होगा अपने माँ बाप ओर सब परिवार के सदस्य के साथ त्यौहार बनाने का अपने घर कि याद इन्हें कितना रुलाती होगी हम अपनों का साथ इन्हें कितना सताती होगी यह बात तो हम एक फौजी से ही पूछे तो वो अपने इस एहसास को बहुत अच्छे से जाहिर कर सकते है.........