तुझे तो याद नही है बरखा
मैं अपना नाम तेरे नाम किये बैठा हूँ
थोड़ा सा रो लू या कर लू याद तुझे
आज फिर तेरी मुहब्बत रंग लगा बैठा हूँ
कोई लगा न दे रंगे गुलाल गालो पे
मैं अपने चेहरे को खुद ही छुपाए बैठा हूँ
तुम्हारा साथ मुझे दो पल के लिए मिल जाये
मैं अपने हाथों में पिचकारी लिए बैठा हूँ
तुम्हारे चेहरे पे ही नही गुलाले रंगे
गुलाले रंग तो मैं भी लगाए बैठा हूँ