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परिस्थितियों से लड़ना सीखो

15 फरवरी 2018

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featured image*परिस्थितियों से लड़ना सीखो* इस बात में दो राय नहीं कि विपरीत परिस्तिथियों और कठिनाईयों के दौर में भी इंसान बहुत कुछ सीखता है। यही समय संघर्ष करने,और जीवन के असली अर्थ को समझने की प्रेरणा देता है। अगर मैं अपनी बात करूँ तो मेरे जीवन में अंधकार-भरे दिन कई सारे रहे हैं। मैं ये कह सकता हूँ कि अन्धकार मेरा साथी रहा है। बचपन से ही कई सारे कटु अनुभव रहे हैं । उन दिनों तो मैं अन्धकार से घबरा जाता था। उस समय ये पता नहीं था कि आने वाले दिनों में अंधकार बहुत कुछ सिखाएगा। ऐसा सिखाएगा कि ज़िन्दगी का सच्चा अर्थ ही समझ में आ जाएगा। अन्धकार ये भी सिखाता रहा कि की ज़िन्दगी किस तरह से जीनी है, ज़िन्दगी में क्या करना ज़रूरी है और क्या नहीं। वैसे तो ज़िन्दगी में अब तब कई बार टूटा हूँ , मुश्किलों के कई दौर से गुज़रा हूँ , बड़ी-बड़ी परेशानियों का सामना किया है , लेकिन सबसे बड़ी मुश्किल कुछ साल पहले आयी। मैंने कभी सोचा भी न था कि ज़िन्दगी में इतने खराब और बुरे दिन देखने को मिलेंगे। मैंने अपनी माँ को मौत से लड़ते देखा था। वो लड़ाई कोई मामूली लड़ाई नहीं थी ।असहनीय पीड़ा थी। दुःख था। उम्मीदें कम थीं , लेकिन जीने से लिए संघर्ष और मौत से लड़ाई जारी थी। मेरी बडी बहन की तबियत अचानक बिगड़ी और वह इस दुनिया और हम सबको छोड़ के चली गई। इस दर्द से मेरी माँ को तो सदमा पहुँचाया था ही , मैं भी एक मायने में टूट चुका था । मैं अपनी माँ को बचाना चाहता था, उन्हें एक बार फिर हँसते-खेलते देखना चाहता था। लेकिन , मैं बेबस था , अपनी माँ की कोई मदद नहीं कर सकता था क्योंकि मेरी उम्र बहुत छोटी थी। मेरी माँ मौत से अपनी लड़ाई खुद लड़ रही थीं। ऐसे लगने लगा था जैसे मैं अंधकार में घिर गया हूँ। दूर-दूर तक रोशिनी की कोई गुंजाइश नहीं है। मैं सहम गया , घबरा गया। अजीब-सा डर मन में घर कर गया था। लेकिन, अचानक इसी बुरे दौर में एक विचार आया। विचार था - पूरी ताक़त और दृढ़ता के साथ विपरीत परिस्थितियों का सामना करने का संकल्प लेने का। मैं ये संकल्प लिया भी। और संकल्प लेने के कुछ ही दिनों बाद जो हुआ उसे मैं अलौकिक घटना ही मानता हूँ। मैंने अपने गाँव’ में आस-पास कई ऐसे लोगों को देखा जो ऐसे गटना से गुजरे हुए थे। उन टूटे हुए लोगों के हाथ थामने वाला कोई नहीं था। इनकी मदद करने वाला कोई आसपास नज़र नहीं आ रहा था। कोई उनके प्रति सहानुभूति भी नहीं जता रहा था। उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया था। पता नहीं मुझमें अचानक क्या हुआ। मैं उन टूटे हुए लोगों के पास गया फिर और उनसे बातचीत शुरू की। इन लोगों के साथ समय गुज़ारते हुए मैंने उन्हें हंसने , बोलने , नाचने-गाने पर मजबूर किया। इन लोगों की ख़ुशी देखकर मेरे मन में नया उत्साह जागा। अंधकार दूर होता नज़र आया। रोशनी बढ़ने लगी। मेरी खुशी की उस समय कोई सीमा नहीं रही जब मैंने मेरी माँ को मुस्कुराते हुए देखा था। वो शायद मेरे जीवन का सबसे ख़ुशी-भरा पल था । 'गाँव' में मैंने जो देखा, किया और सीखा उसने मेरी ज़िंदगी बदलकर रख दी। मौत से लड़ते और ज़िन्दगी से संघर्ष करने वाले उन लोगों के बीच मेरे अनुभव ने मुझे एक नया इंसान बनाया था। मैं तकलीफ में था, मेरी पीड़ा दूसरों से कम नहीं थी, हर तरफ निराशा थी, नाउम्मीदी थी। फिर भी इसी अंधियारे-भरे समय में एक परिवर्तन हुआ। मैं अच्छी तरह जान गया कि और पूरी ताकत, लगन और ईमानदारी से संघर्ष किया जाय तो विपरीत परिस्थितियों और मुश्किलों में भी एक ऐसी शक्ति हासिल की जा सकती है जिससे इस अद्वितीय जीत मिलेगी। अब जब कभी मैं पीछे मुड़कर अपने अतीत की ओर देखता हूँ तो एहसास होता है कि मेरे संघर्ष ने ही मुझे लिखना सिखया प्रेरित किया। एक ऐसा मंच और ज़रिया है जहाँ आम आदमी से लेकर बड़ी बड़ी हस्तियां अपनी कहानियाँ लोगों के बीच पेश कर सकते हैं। ऐसी कहानियाँ जो दूसरों को प्रेरित करती हों ,संघर्ष करने और कभी निराश न होने की सीख देती हों। विपरीत परिस्थितियों और मुश्किलों का पूरी ताकत के साथ मुकाबला करने में उत्साह बढ़ाती हों। ऐसी जीवन गाथाएं जो असामान्य और अनूठी हों। Rj अली हाशमी
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क्या तस्वीरे भी बोलती है

28 जनवरी 2018
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सच मे तस्वीरें बोलती हैचीखती है,चिल्लाती है बुलाती हैक्या आपने कभी सुना नहीअफ़सोस कुछ तस्वीरें बेरंग सी भी होती हैकुछ तस्वीरे भूखी भी होती हैकुछ रोटी की तलाश करती हैमेरे पास कई ऐसी तस्वीरें हैलेकिन ज़िन्दा नहीं, बेजानमैं डरता हूँ लोगो को दिखाने से वो हर बार सच का आईना देखा देती हैसच में तस्वीरे बोलती

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माँ

28 जनवरी 2018
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माँ रोइ होगीबहन चिल्लाई होगी भाई बिलखता होगातुम्हे तो बस हिन्दू और मुसलमान देखता हैये राजनीति का चश्मा उतार कर देखो जालिमोचन्दन था हिन्दू अकरम था मुस्लिमदोनो के जिस्म में खून तो लाल देखता हैखून बहा जो काशगंज वह लाल ही होगाक्यों नही सोचा तुमने वह किसी माँ का लाल होगाAli Hashmi

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मेरी_उदासी_ही_मेरी_कहानी

29 जनवरी 2018
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#मेरी_उदासी_ही_मेरी_ कहानी मैं जल्दी किसी बात पर नहीं रोता, लेकिन जब उदासी मुझे आ घेरती है तो मैं ज़रूर रोता हूँ। रोने से मैं खुद को हलका महसूस करता हूँ। फिर मैं सही तरह से सोच पाता हूँ और मुझे अपना भविष्य अँधेरा नहीं बल्कि सुनहरा लगने लगता है।”जब मैं अपने बारे में कु

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हा मैं ही वह गरीब इंसान हू

31 जनवरी 2018
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हा मैं ही वह गरीब इंसान हूंन मैं हिन्दू हू न ही मुस्लिम हूंहा मैं ही वह गरीब इंसान हूंतभी तो हर कदम को फूक फूक कर रखता हूँअगर मैं सोच रहा हूं अपने समाज के लिए तो इसमें गलत क्या है ??अगर मैं लोगो को एजुकेशन पे जागरूक कर रहा हूं तो इसमे गलत क्या है ??अगर मैं लोगो के अधि

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क्यों नही दिखते

31 जनवरी 2018
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फिजा में उड़ रहे जहरीले जुगुनू क्यों नही देखते किसी भी हादसे के सारे पहलू क्यों नही देखतेये जो माहौल बना रखा है पूरे भारत का बताओ हर सख्स के आँसू तुम्हे क्यों नही देखते खड़ी कर रहे हो जो नफरत की दीवार शाहब जलते हुए घर बार तुम्हे क्यों नही देखतेअली हाशमी

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जन्म दिन मेरे यार की

1 फरवरी 2018
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अपने सबसे अजीज मित्र के जन्म- दिन पर क्या शुभकामना दू --यहीं सोच रहा हूँ ...दिल में अरमान हैं की तुम उगते हुए सूरज की तरह रोशन रहो ...तुम बुलंदी की सीढियाँ यु ही चढ़ते रहो ..कभी भी तुम्हारे कदमो में राहो के रोड़े न आए ---हमेशा फूल की तरह खिले रहो ...और यह दिन हम दोस्तों के साथ हमेशा मनाते रहो ...ख

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दोस्ती या सौदा

2 फरवरी 2018
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थोड़ा समय लगेगा पर पढे ज़रूर#दोस्ती/या #सौदा मैं समझता हूं कि किसी भी चीज से गहराई से जुड़ने की क्षमता मुझमे रही है। – चाहे वो पेड़ हो या स्थान, जमीन हो या चट्टान या फिर इंसान – जिससे भी जुड़ा गहराई से जुड़ा। मेरी ये योग्यता कई मायनों में वह कुंजी रही है जिसने जीवन और प्रकृति के नये पहलुओं को मेरे साम

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आज का मुसलमान

3 फरवरी 2018
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मैं 20 साल का युवा मुसलमान हूँ सुबह 6 बजे सोकर उठता हूँ, हाथ मुंह धोकर दूध कम पानी ज्यादा की चाय फेन या पापे के साथ पीता हूँ, फिर अपने काम के कपड़े पहनकर कल की कमाई के बचे हुए 20-30 रूपये दोपहर के खाने के लिए बटुए में रखकर टूटा फूटा स्कूटर या बाइक लेकर काम पर निकल जाता हूँ जब दुसरे समुदाय के लौंडे क

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बाट सको तो खुशियां बाटो

4 फरवरी 2018
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आज के दौर में समाज में जो घट रहा है उस से कोई भी अनजान नहीं है। जिसे देख ओ अपने फायदे के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। और इन में सबसे आगे हैं राजनीतिज्ञ और वो लोग जो धर्म के नाम पर लोगों को भड़काते हैं। इन्हीं कारणों से समाज में अराजकता और अशांति फैली हुयी है। इन्स्सनों को बाँट दिया गया है कभ

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कमजोर न समझो बेटियों को

7 फरवरी 2018
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आखिर हमें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के इस अभियान की जरूरत क्यों पड़ी जाहिर है की हम सब बेटीयो को कमज़ोर समझ रहे है तो ये हमारी भूल है आज हर कोई बेटी नही चाहता पता है क्यों क्योंकि वह यह सोचता है कि कही उनकी बेटी का रेप न हो जाये उसकी हत्या कर दिया जाए क्योंकि हम तो पहले से ही बेटी को कमज़ोर समझ रहे है अन

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कोरा कागज

7 फरवरी 2018
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“न तो सबसे तेज़ दौड़नेवाला दौड़ में हमेशा जीतता है, न वीर योद्धा लड़ाई में हमेशा जीतता है, न बुद्धिमान के पास हमेशा खाने को होता है, न अक्लमंद के पास हमेशा दौलत होती है और न ही ज्ञानी हमेशा कामयाब होता है। क्योंकि मुसीबत की घड़ी किसी पर भी आ सकती है और हादसा किसी के साथ भी हो सकता है।”आपने अपने अतीत

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सीखना छोड़ दू

7 फरवरी 2018
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क्या टूटने के डर से मेरे ख्वाबो को तोड़ दूं,बीच राह में सभी ख्वाहिशों को छोड़ दूं,माना के राहों में आती हैं मुश्किलेगिरने के दर से चलना ही छोड़ दूं,वादा किया है मंजिलों से मैं आऊंगा जरूरकैसे मैं भला उस वादे को तोड़ दूं,शिकस्त भी बहुत कुछ सीखा जाती हैअब कहो क्या मैं सीखना छोड़ दूं

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कब तक

8 फरवरी 2018
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क्युं नहीं कोई और आगे आता ? :- कल जब हम शहीद "राबिया" के घर गये तो हज़ारों की मौजूद भीड़ के बावजूद एक अजब सी खामोशी और सन्नाटा था , सबके चेहरे पर आए खौफ बता रहे थे कि उनके दिलों में क्या है ?बाईं तरफ चार कदम दूर "राबिया" अपनी अस्मत बचा कर थक हार कर कब्र में आराम फरमा रहीं थीं। और घर के दाहिनी तरफ थो

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प्यार कोई सौदा नही है

8 फरवरी 2018
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मैं आपको एक बात बता दूँ: जिस मनुष्य के पास प्यार है उसकी प्यार की मांग मिट जाती है। और यह भी मैं आपको कहूं: जिसकी प्यार की मांग मिट जाती है वही केवल प्यार को दे सकता है। जो खुद मांग रहा है वह दे नहीं सकता है।इस जगत में केवल वे लोग प्यार दे सकते हैं जिन्हें आपके प्यार की कोई अपेक्षा नहीं है—केवल वे

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सुनो यूथ की आवाज

9 फरवरी 2018
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आज जब मैं ऑफिस जा रहा था एक मासूम बच्चों को रोते हुए देख मुझे रहा नही गया और मैं उसके पास गया और पूछा तो वह बोल नही पा रहा था भूख लगी है उसके चेहरे को भाप गया कि उसे भूख लगी है जो मुझसे हो पाया मैंने किया दिल को बड़ा सुकून मिला आप भी करे सुकून का एहसास होगा सोचा क्यों न अपने अल्फाज़ो में बयां किया जा

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#चरागे इश्क तो मै भी जलाए बैठा हूँ#

10 फरवरी 2018
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सोचा क्यों न कुछ इश्क पे लिखा जाए अपने कलम को बेदार फिर किया जाए हो गया हूँ मैं भी मरीजे इश्क का सोचा क्यों न फिर आपको किया जाएतुम्हारे आस में ही मैं दिल लगाए बैठा हूँचले भी आओ यही आस लगाए बैठा हूँतुम्हारा प्यार मुझे भीख में ही मिल जायेमैं अपने हाथो को ही कासा बनाये बैठा हूँतुम्हारे दिल में ही रौशन

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आने लगे

11 फरवरी 2018
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जब ख्वाबो में तुम रोज आने लगेमेरी कलम शायरी गुनगुनाने लगेमैंने फूलो से क्या दोस्ती कर लीलोग काटो से दामन बचाने लगेभूल जाओगे खुदको ये दवा है मेराहम अगर आपको याद आने लगेऐसा लगता है सबको ये शक हो गयातेरी तस्वीर जब हम छुपाने लगेAli Hashmi

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क्यों भूल गए

12 फरवरी 2018
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आज दिलीप सरोज है कल हम होंगेहक़ में उठाओ उसके आवाज़ जालिमो को दे दो जबाबमर गई फिर इंसानियत इलाहाबाद के सीने मेंगुजर रही ज़िन्दगी,यूं दुनियां लगी है रोने धोने मेंतू भी तो किसी का लाल होगा ,ऐसे तू नदान न बनसिसक रही हैं माँ,बैठकर किसी अंधरे कोने मेंफुर्सत हो तो पूंछना,क्या दर्द है किसी को खोने मेंतू भी कि

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कोई पढ न ले

14 फरवरी 2018
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एक लम्बे अंतराल के बाद तुम अचानक मेरे सामने आ गई चेहरे पर शून्य भाव लिए भीतर चल रहे सैलाब से लड रहा थाएक नज़र उठाकरमैंने तुम्हें देखा भी नही जानता था अगर देख लेतातो खुद को संभाल नही पातामैं बूत बन कर हंसता रहाताकि कोई पढ़ न ले मुझेमेरे दर्द को और तुम्हारी मजबूरी को #गुडनाइटपोस्ट

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परिस्थितियों से लड़ना सीखो

15 फरवरी 2018
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*परिस्थितियों से लड़ना सीखो*इस बात में दो राय नहीं कि विपरीत परिस्तिथियों और कठिनाईयों के दौर में भी इंसान बहुत कुछ सीखता है। यही समय संघर्ष करने,और जीवन के असली अर्थ को समझने की प्रेरणा देता है।अगर मैं अपनी बात करूँ तो मेरे जीवन में अंधकार-भरे दिन कई सारे रहे हैं।मैं ये कह सकता हूँ कि अन्धकार मेरा स

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आखिर क्यों????

19 फरवरी 2018
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ग़रीब जिनके पास खाने के लिए पैसे नहीं है, वो 1 लाख 13 हज़ार 550 अरब रुपिया के आय वाले देश मे बिना खाये सो जाता है, और भूख से भात भात कहते हुए मर जाता है, उसी देश मे सरकार का करीबी कारोबारी हज़ारों करोड़ रुपया ले कर देश छोड़ कर आराम से भाग जाता है।सोंच कर देखिये, आख़िर ये कैसी व्यवस्था है, जहाँ हम आप को लो

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सुनो यूथ की आवाज़

21 फरवरी 2018
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सोचोआज जब मैं ऑफिस पहुँचा जैसे ही चाय की कप मेरे टेबल पे आया उसी बीच मेरा एक फोन आया और मैं ऑफिस के बाहर आ गया तभी एक मासूम बच्ची उम्र लगभग 5 साल बोली शाहब कुछ पैसे दे दो जैसे ही मेरे कान तक उस मासूम बच्ची की आवाज़ पहुँची मैंने झट से कॉल कट किया और उसी बच्ची से बात करने लगा कि क्या तुम पढ़ते हो वह अपन

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ये रब तूही सुने ले

26 फरवरी 2018
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ये मासूम मासूम बच्चो की लाशेंलहू तर-ब-तर कुछ फरिश्तों की लाशेंयहां कह रहा हूँ वहां कह रहा हूँतड़प करके बस हा दुआ कर रहा हूं उन मासूम मासूम बच्चों की सुन लेउन्ही में से तू एक मूसा को चुन लेंयूँ ही उनके मॉं बाप ढोते रहेंगे,तड़प करके क्या वह रोते रहेंगे,बता कब तलक ज़ुल्म होते रहेंगे ?#HumanRightDiedInSyr

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फिर तेरी याद आई होली में

2 मार्च 2018
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तुझे तो याद नही है बरखा मैं अपना नाम तेरे नाम किये बैठा हूँथोड़ा सा रो लू या कर लू याद तुझेआज फिर तेरी मुहब्बत रंग लगा बैठा हूँकोई लगा न दे रंगे गुलाल गालो पे मैं अपने चेहरे को खुद ही छुपाए बैठा हूँतुम्हारा साथ मुझे दो पल के लिए मिल जायेमैं अपने हाथों में पिचकारी लिए बैठा हूँतुम्हारे चेहरे पे ही नही

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आओ कुछ बात करे

3 मार्च 2018
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अब तर्के ताआलुक पर हम दोनों है आमादावह हमसे न बोलेंगे हम उनको भुला बैठेगर आपकी नीदों के सपने जो मिल जायेहम जागती आँखों में सपने को सजा बैठेहम कुछ भी नही उनके कहते है तो कहने दोपाएंगे हमी को ओ दिल जा भी लगा बैठेतुझे याद न आये तो तन्हाई में रोलेंगेगम तेरी जुदाई का हम दिल से लगा बैठेRj Ali Hashmi

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तेरी जुदाई का

4 मार्च 2018
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अब तर्के ताआलुक पर हम दोनों है आमादावह हमसे न बोलेंगे हम उनको भुला बैठेगर आपकी नीदों के सपने जो मिल जायेहम जागती आँखों में सपने को सजा बैठेहम कुछ भी नही उनके कहते है तो कहने दोपाएंगे हमी को ओ दिल जा भी लगा बैठेतुझे याद न आये तो तन्हाई में रोलेंगेगम तेरी जुदाई का हम दिल से लगा बैठेRj Ali Hashmi

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रूठ जाना ठीक नहीं

6 मार्च 2018
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इस तरह रोज आना ठीक नहीमेरी नींदे चुराना ठीक नहीमुझसे कहती हो पास आ जाओइस तरह दिल लगाना ठीक नहीतुम तो कहते हो रूठना मत तुमइस तरह दूर जाना ठीक नही दूर जा करके भूल जाओगेइस तरह भूल जाना ठीक नही Rj Ali Hashmi

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मैं एक किताब हूं

7 मार्च 2018
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मैं सच की एक किताब हूँ मुझे पढ़ना मैं बे हिसाब हूँ तुम्हरी कलम में कहा इतनी ताकत मुझे लिखना मैं बे अल्फ़ाज़ हूँ सच को सुन सको तो सूनो मुझे सुनना मैं बेबाक हूँ लिख सको तो लिखो सच मुझे लिखना मैं सच की दीवार हूँ Rj Ali Hashmi

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तन्हाई कुछ कहती है

8 मार्च 2018
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मैं और मेरी तन्हाई तुम्हे कुछ कहती हैसूनो मुझे मेरी हर कहानी कुछ कहती हैतुम्हे लगा मैं टूट जाऊंगामैं बेखर जाऊंगातुम्हारे जाने के बाद अरे जालिम मैं तो पत्थर दिल थाजिसे तुमने मोम कियातुम्हे लगा मैं भूल जाऊंगामैं सम्भल जाऊंगातुम्हारे जाने के बादसुनो मुझे मेरी हर कहानी कुछ कहती हैमैं और मेरी तन्हाई तुम्

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कैसे कहू मुबारक हो महिला दिवस

8 मार्च 2018
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कैसे कहू मुबारक हो महिला दिवस

8 मार्च 2018
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जर्रे जर्रे में फैली है हैवानियतदर्द देने लगा अब इंसानियतलुटती रही आबरू औरतों कीलोग आँखों मे पट्टी बांधे हुएआज कह रहे है मुबारक हो महिला दिवसजर्रे जर्रे में फैली है हवस ही हवसकैसे कहू मुबारक हो महिला दिवसमासूम बच्ची की आबरू लूट गईवह रोती तड़पती बिलखती रह गईजर्रे जर्रे में फैली है हवस ही हवसआज कह रहे

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मैं कोई खिलौना नही

9 मार्च 2018
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चन्द पैसो मे बिकता नही ये अली तुमने बोली लगाकर के ये क्या किया गर मुहब्बत न थी तो कह देते तुम तुमने दिल को दुःखाकर के ये क्या किया सारी खुशीओ को तुमपे लुटा देता मैं तुमने अपना बनाकर के ये क्या किया सोचता हूँ की कह दू मैं चीखकर तुमने दिल मे बसाकर के ये क्या किया Rj Ali Hashmi

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बेवफा कहु तुझे

11 मार्च 2018
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दिल लगाकर दिल को दुखाया था आपनेअपना बनाकर गैरो से हाथ मिलाया था आपनेकह तो सकता नही मैं बेवफा सनमबुझते दीपक को जलाया था आपनेये जालिम सनम जरा गौर से तु सुनपत्थर से दिल मे प्यार जगाया था आपनेरहने दिया होता इस दिल को पत्थर दिलक्यों इसे मोमसा बनाया था आपनेRj Ali Hashmi

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बे_अल्फ़ाज़

13 मार्च 2018
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मैं तो इस वास्ते चुप हूं कि तमाशा न बनेउसने सब को बताकर सरेआम कर दियावे समझती है मुझे उससे मुहब्बत नहींउसने दिल को दुखाकर दर्देआम कर दियाकल बिछड़ना था तो फिर अहद ए वफा कर लेतीउसने दिल को लगाकर इश्क को बदनाम कर दियासोचता हूं मैं भी कर दूँ आंजाम ए मुहब्बतउसने आँखे मिलाकर क़त्लेआम कर दियाआज कुछ लिखने का

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शहरे मुम्बई

14 मार्च 2018
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यहाँ सब ख़ामोश है कोई आवाज़ नहीं करतायह मुम्बई है साहब कोई अपना भी बात नही करता लोग पहचान कर भी अनजान बने रहते है समंदर की लहरो की तरह जैसे वह किनारो को पहचान कर भी अनजान बनी रहती हैयहाँ लोगो को फुरसत कहा खुद से साहबलोग मिलते तो है पर अजनबी की तरहहर सख्स मस्त है कोई गैरो के साथ नही चलतासच बोलकर कोई

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आओ कुछ बात करते है

15 मार्च 2018
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कुछ तुम कहो कुछ हम कहते हैचलो आओ कुछ बात करते हैदर्द तुमको भी है दर्द हमको भी हैचलो आओ कुछ पल साथ चलते हैरखो खुद को दूर दुनिया से अब चलो आओ दुनिया के गम को ताख पे रखते हैचलो आओ कुछ पल साथ चलते है कुछ तुम कहो कुछ हम कहते हैRj Ali Hashmi

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मुसाफिर हूं साहब

15 मार्च 2018
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अनपढ़ नही हूं साहब हिंदी में लिखना भी आता हैउर्दू मे पढ़ना भी आता हैकोरा कागज हूँ साहबखुद को दिखाना भी आता हैखुद को छुपाना भी आता हैमुसाफिर हूं साहबरास्ते पे चलना भी आता हैमंजिल को पना भी आता हैशायर हूं साहबदर्द लिखना भी आता हैदर्द सहना भी आता हैRj Ali Hashmi

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तुझे मुबारक हो

16 मार्च 2018
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रह ही लेंगे बिछड़ कर तुझसेतेरी याद तुझे मुबारक होकर ही लेंगे खुद को काबू सनमतेरी मुहब्बत तुझे मुबारक होसह ही लेंगे गमे जुदाई कातेरी तन्हाई तुझे मुबारक होतु लिखेगी क्या मुझको हरजाईतेरी कलम तुझे मुबारक होंRj Ali Hashmi

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भुलाये बैठे है

17 मार्च 2018
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वह हमसे न जाने क्यों रूठ बैठे हैमुझे पता है की वह हमको भुलाये बैठे हैगुजारी साथ हमने जो कुछ लम्हे उन लम्हो को भी भुलाये बैठे हैमुझे लगा की आएंगे लौट कर के वहहमारे घर का वह रास्ता भुलाये बैठे हैवह देखते थे जो दिन रात मुझको सपनो मे उन सपनो को भी कैसे भुलाये बैठे हैRj Ali Hashmi

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याद आती है

18 मार्च 2018
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माँ तु अबभी याद आती हैतेरी हर कहानी तेरी जुबानीव बचपन के किस्से हमे याद आता हैमाँ तु अब भी याद आती हैतेरी लोरी सुनाना व गुन गुनानाव बचपन मे चलना सीखना याद आता हैमाँ तु अब भी याद आती हैतेरी आँचल मे छुपना तेरी हाथो से खानाव बचपन मे तेरे हाथो से मार खाना याद आता हैमाँ तु अब भी याद आती हैतेरा गिनती सीखन

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माँ

18 मार्च 2018
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माँ तेरी कहानी कुछ नई बात सीखाती रहीहर रोज कुछ नई नई चीज बताती रहीतूने अपने ही हाथो को जलने दियादर्द हो न मुझे तु छुपाती रहीमैंने देखा था तेरे हाथो को जलते हुए माँमाँ तू अपने हाथो को छुपाती रहीमाँ तूने अपने दुआओ से नवाज मुझेअपने हाथो से खाना खिलाया मुझेतन्हाई मे तेरी वह बाते आकर मुझे रुलाती रही माँ

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बचपन की यादे

27 मार्च 2018
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बचपन की कुछ यादेआज से 4 साल पहले जब हम साथ थे चेहरे पे मुस्कान थी जब मैं अपने गाँव से मुम्बई रवाना हुआ तो मैंने देखा की मैं बहुत कुछ छोड़ के जा रहा हूं पर कर भी क्या सकता था बस याद बनकर रह सा गया था जब इलाहाबाद स्टेशन पहुँच तो मैंने अपनी आँखे बंद कर ली ताकि अपने शहर को देख कर वापस न लौट जाऊ आँखे भर स

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love u

27 मार्च 2018
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बचपन की कुछ यादेआज से 4 साल पहले जब हम साथ थे चेहरे पे मुस्कान थी जब मैं अपने गाँव से मुम्बई रवाना हुआ तो मैंने देखा की मैं बहुत कुछ छोड़ के जा रहा हूं पर कर भी क्या सकता था बस याद बनकर रह सा गया था जब इलाहाबाद स्टेशन पहुँच तो मैंने अपनी आँखे बंद कर ली ताकि अपने शहर को देख कर वापस न लौट जाऊ आँखे भर स

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क्या बर्बाद करोगे

28 मार्च 2018
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हमे तुम क्या बर्बाद करोगे साहबहमे तो हमारे लोगों ने बर्बाद कर रखा हैमैं अपनी मौज़ में डूबा हुआ जज़ीरा हूँहमने तो तुम्हे पहले ही आबाद कर रखा हैतुम्हारी नफरतो के बोझ भारी नही हमपेहमने तो नफरतो का हर बोझ उठा रखा हैतुम्हे करना है बर्बाद तो करो शौक से हमने तो हर पंछी को आजाद कर रखा हैतुम हमे क्या बर्बाद

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उदास मत होइये

4 अप्रैल 2018
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जब मैं उदास होता हूँ तो मैं खुद को दूसरों से अलग नहीं करता। हाँ बल्कि अपनी भावनाओं को समझने के लिए और शायद जी-भर के रोने के लिए मुझे अकेले होने की ज़रूरत होती है। लेकिन उसके बाद लोगों से मिलना-जुलना ज़रूरी समझता हूँ ताकि जिस बात से भी मैं दुखी हूँ, उसे अपने दिमाग से हटा सकूँ और हा उनसे बात करने से व

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मेरी कहानी

8 अप्रैल 2018
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#मेरी_प्रेम_कहानी आज से कई साल पहले बात है जब मैं किसी से बेइम्तेहा मुहब्बत किया करता था और आज भी करता हूं पर कहते है न की प्यार अधूरा रहता है वही जो सब के साथ होता है वही मेरे साथ भी हुआ पर ऐसा नही था की वह मुझे छोड़ गई वह शायद आज भी प्यार करती होगीबात उस समय की है जब मेरी उम्र 14 साल थी मैं क्लास 8

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आक्रोश

14 अप्रैल 2018
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निर्भया के वक़्त आक्रोश लोगों मे देखा था जलती हुई सैकड़ो मोमबतीया सड़को पर देखा था मिला न इंसाफ उसे भी ये मंजर भी देखा था लोगों को मैंने सड़को पे उतरते देखा था रोती बिलखती मासूम ''आसिफा'' दर्द पुराना उसकी आंखों मे देखा था इधर तड़पती एक और पीड़िता यह भी मैंने देखा था उन्नाव के बेटी का दर्द उसके बाप के आंख

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