ग़रीब जिनके पास खाने के लिए पैसे नहीं है, वो 1 लाख 13 हज़ार 550 अरब रुपिया के आय वाले देश मे बिना खाये सो जाता है, और भूख से भात भात कहते हुए मर जाता है, उसी देश मे सरकार का करीबी कारोबारी हज़ारों करोड़ रुपया ले कर देश छोड़ कर आराम से भाग जाता है।
सोंच कर देखिये, आख़िर ये कैसी व्यवस्था है, जहाँ हम आप को लोन लेने के लिए सभी कागज़ात सही होने के बावजूद लोन का एक ख़ास प्रतिशत बैंक अधीकारी को देना पड़ता है, और नहीं चुकाने पर आत्महत्या तक करने के लिए मजबूर कर दिया जाता है, वही छोटा मोदी जैसा कारोबारी देश का पैसा ले कर आराम से देश छोड़ लर भाग जाता है।
आंकड़ो को देखें तो समझ आएगा, देश मे प्रति व्यक्ति आय 1,03,219 रुपिया है। लेकिन आप की आये कितनी है? आप के दोस्तों की? उनके दोस्तों की, आप के आस पड़ोस वालों की? आप के मुहल्लों से दूर झोपड़ियों में रहने वालों की आय...
कभी सोंच कर देखिये? ये पैसा किन लोगों के पास है, जिसका एवरेज निकाल कर सरकार, देश की प्रति व्यक्ति आय बता रही है। ये हमारे आपके मेहनत की कमाई है, जिसे देश के 57 उधोगपतियों ने आपस मे बांट रख्खा है, जिनके पास देश की 70 फीसदी दौलत है।
जबकि 60 प्रतिशत टैक्स माध्यम आय वाले लोग जिनकी आय बमुश्किल 3 से 4 लाख सालाना होती है वो भरते हैं, और ये उधोगपति पैसा रहते टैक्स में छूट के लिए देश के 60% लोगों की मेहनत का पैसा अपने वयापार को और बढ़ाने के लिए बैंक से लोन पर लेते हैं जिनके पास पहले से ही देश की 58 फीसदी सम्पत्ति है और फिर खुद को व्यापार में हानि दिखा कर दिवालिया घोषित कर देते हैं, फिर देश छोड़ लर भाग जाते हैं। या सरकार बेचारे अमीरों का लोन माफ कर देती है।
सरकार का टैक्स रूल ही ग़लत है, उसी कारण ग़रीब और ग़रीब होता जा रहा है, और अमीर और अमीर होता जा रहा है।
असल मे देश का हर एक नागरिक बराबर नहीं है, ज़्यादातर आम नागरिक है, जिसे लाइन में लग कर अपना ही पैसा निकलना पड़ता है, और कुछ 1 प्रतिशत वीआइपी नागरिक है, जिनके पास बैंक खुद चल कर आती है और कहती है, देश के 60% लोगों का पैसा हमारे पास है, आप इसे लोन के तौर पर ले लीजिए और देश की जनता को ठेंगा दिखा कर दूसरे देशों में जा कर आराम से मज़े कीजिये।
सरकार आपके साथ है इसी लिए आप ही हमारे सरताज हैं।।
Rj Ali Hashmi