चन्द पैसो मे बिकता नही ये अली तुमने बोली लगाकर के ये क्या किया गर मुहब्बत न थी तो कह देते तुम तुमने दिल को दुःखाकर के ये क्या किया सारी खुशीओ को तुमपे लुटा देता मैं तुमने अपना बनाकर के ये क्या किया सोचता हूँ की कह दू मैं चीखकर तुमने दिल मे बसाकर के ये क्या किया Rj Ali Hashmi