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ग़ज़ल

12 दिसम्बर 2021

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बहर :- हजज़ मुसनमन सालिम
वजन :- ISSS ISSS ISSS ISSS


             ~*~ग़ज़ल~*~  नरिंदर जोग

न  सर  पे  छत  ख़ुदा मेरे, मेरा घर तो  तेरा  दर है।
के मुमकिन था तेरा मिलना,तेरी राह में मेरा घर है।

बता देता  ज़माने को, जला  कर लौ  मुहब्बत  की, 
मगर  मेरी  मुहब्बत   में, मुक़दर  ही  सितमगर  है।

मेरा  तो  इश्क़  ही  मेरी, इबादत है  ख़ुदा अब  तो,
मुहब्बत  ही  तेरी थी जो, मेरा हमदम मेरा ज़र  है।
                                                                 
मुहब्बत में  फ़ना  हो  कर, दिखा  देता  ज़माने को,
अदा   कैसे   करूगां  कर्ज, जो  तेरा  मेरे  सर  है।

तुम्हारे  बाद  जीवन  में,  ख़ुदा  पूजा  ख़ुदा  रुसवा,
मेरे  हमदम बता मुझको,तुझे किस बात का डर है।

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