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गंगा धर शर्मा 'हिंदुस्तान ' की डायरी

गंगा धर शर्मा 'हिंदुस्तान '

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ganga dhar sharma 'hindustan ' ki dir

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पुस्तक के भाग

1

चाँद बोला चाँदनी

3 फरवरी 2017
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गज़ल चाँद बोला चाँदनी, चौथा पहर होने को है. चल समेटें बिस्तरे वक्ते सहर होने को है. चल यहाँ से दूर चलते हैं सनम माहे-जबीं. इस जमीं पर अब न अपना तो गुजर होने को है. है रिजर्वेशन अजल, हर सम्त जिसकी चाह है. ऐसा लगता है कि किस्सा मुख़्तसर होने को है. गर सियासत ने न समझा दर्द जनता का तो फिर. हा

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ग़ज़ल... गले में झूलते बाँहों के नर्म हार की बात।

27 फरवरी 2017
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ग़ज़ल गले में झूलते बाँहों के नर्म हार की बात। ये बात है मेरे मौला हसीं हिसार की बात। रखोगे आग पे माखन तो वो पिघल ही जायेगा। भला टली है कभी , है ये होनहार की बात। ये इंकलाब की बातें है जोश वालों की। कहीं पढ़ी थी जो मैंने वो बुर्दबार की बात। कहूँ किसी से भला क्यों , छुप

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