जीवन के ढलते पड़ाव पर,
संघर्षों की आंधी लिए
दर-ब-दर भटकते इंसां के
मन को हर्षित कर जाती है
गाँव की हसीन शाम।
जो देती है अशांत मस्तिष्क को,
सुकून की बेला और जगाती है
अधीर हृदय में, प्रेम की
सौंदर्यमयी चेतना का संचार
बेहद मनमोहक होती है
गाँव की हसीन शाम।
नीड़ में लौटते परिंदों का
कलरव, परस्पर सहयोग तथा
एकता रूपी महाशक्ति से
परिचित करवाता है
जुगनुओं का समूह अचानक
तमस हर ले जाता है,
अधरों पर मुस्कान लाती है
गाँव की हसीन शाम।
दिन बीत जाने का
अहसास खूब दिलाती है
डूबते हुए सूरज को
क्षितिज से मिलाती है
नए दिन के स्वागत में
तैयारी करवाती है
हार ना मानो आखिरी दम तक
सन्देश हमें ये दे जाती है
गाँव की हसीन शाम
बेहद रंगीन शाम.....।