चाह मेरी मालिक से इतनी
खुशियों की सौगात दिला दो
बैर भाव को दूर भगाकर
सब जन को एक साथ मिला दो।
गोरख-धंधे, भ्रष्टाचार से मुक्त
सुंदर मेरा देश बना दो
शोषण, अत्याचार, बलात्कार ना हो इस जग में
स्त्री को सम्मान दिला दो।
स्त्रीत्व यदि ममता है तो
पुरुषत्व को सहयोग बना दो
समाज से वर्चस्व वाद मिटाकर
सादगी का साथ बना दो।
बच्चों को मिल जाता आंचल
बूढ़ों को भी मान दिला दो
अंहकार का प्रमाण हटाकर
मानवता का पाठ पढ़ा दो।
निज स्वार्थ ना करें कर्म हम
निस्वार्थ सेवा का दीप जला दो
उज्ज्वल भविष्य की हो कामना
ऐसी एक नई दुनिया बसा दो।