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प्रकृति

5 अक्टूबर 2021

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प्रकृति है जग का आधार

जैवमण्डल पर करती कृपा अपार   

पहाड़ नदियाँ, वन-उपवन हैं

शान प्रकृति की जग में

पशु-पक्षी और मानव की भी

साँस बसी है इस पग में!


प्रकृति जगजननी है और सुंदरता की मूरत है

तुझे देखकर जी उठी मैं, कितनी प्यारी सूरत है

रंग-बिरंगी दुनिया में चहचहाती, लहराती है

नित नई ऊषा की छटा पर मुस्काती तू जाती है


तू वायु है, तू जल है, तू धरती, तू ही आकाश

तू ही अग्नि और जननी भी 

तू ही है मेरा आवास

तू हँसती है, तू गाती है और तू इठलाती है

दानव-दल की चपेट में आकर तू रोती- चिल्लाती भी है


तेरे अश्रु देखकर मैं हो जाती हूं भाव-विभोर 

प्रकृति प्राणरक्षा के खातिर मैं भी चिल्लाती हूँ जोर-जोर

हे! माँ तूने निरन्तर निस्वार्थ सभी का हित किया 

मिटने न देंगे अस्तित्व तुम्हारा हमने मिलकर ये प्रण लिया।

            

ममता

ममता

प्रकृति का सुंदर वर्णन करती रचना

5 अक्टूबर 2021

Ranjeeta Dhyani

Ranjeeta Dhyani

6 अक्टूबर 2021

जी.... बहुत-बहुत आभार आपका 🙏🙏🙏

18
रचनाएँ
मन से मंज़िल तक......
5.0
इस पुस्तक में प्रस्तुत सभी रचनाएं मेरी कलम से कृत स्व- विचारों एवं भावनाओं का परस्पर संग्रह है। जिसका उद्देश्य ना केवल पाठक वर्ग को आनंदित करना है अपितु उन्हें चिंतनशील मनुष्य बनने हेतु प्रेरित करना भी है। इसी आशा के साथ शुरू होता है हमारा ये सुनहरा सफ़र ....🙏💐🙏
1

सीखो

22 सितम्बर 2021
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<p><strong>जीवन में सुख पाना है तो</strong><em><strong><br> मानवता संग जीना सीखो<br> जाति-पाति का भे

2

एक नई दुनिया

23 सितम्बर 2021
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<p><strong>चाह मेरी मालिक से इतनी</strong></p> <p><strong>खुशियों की सौगात दिला दो</strong></p> <p><

3

रणभूमि

24 सितम्बर 2021
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<p><strong>संघर्ष भरी इस रणभूमि में</strong></p> <p><strong>मानव तुमको लड़ना होगा</strong></p> <p><s

4

ज़िन्दगी के सफ़र में

25 सितम्बर 2021
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2

<p><strong>ज़िन्दगी के सफ़र में,</strong></p> <p><strong>कई लोगों का साथ मिला।</strong></p> <p><br><

5

ज़िंदगी की परिभाषा

27 सितम्बर 2021
2
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<p><strong>ज़िन्दगी साथ है मेरे यार</strong></p> <p><strong>कभी अपनों का, तो कभी परायों का</strong><

6

बावरा मन

29 सितम्बर 2021
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<p><strong>खोज रहा है जाने क्या</strong></p> <p><strong>पल भर भी आराम नहीं</strong></p> <p><strong>म

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टिमटिमाते सपने

30 सितम्बर 2021
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<p><strong>जो जगा जाते बुझे मन में</strong></p> <p><strong>एक उम्मीद की किरण,</strong></p> <p><stron

8

वहां कौन रहता है?

1 अक्टूबर 2021
1
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2

<p><strong>जहां साथ ना हो अपनों का</strong></p> <p><strong>जहां बात ना हो सपनों की</strong></p> <p><

9

गज़ल

3 अक्टूबर 2021
2
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2

<p><strong>कौन कहता है कि कोई फ़कीर होता है।</strong></p> <p><strong>दिल-ए-मोहब्बत में वो अमीर होता

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बालश्रमिक की आकांक्षा

4 अक्टूबर 2021
2
3
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<p><strong>प्यार से कोई गले लगाए</strong></p> <p><strong>चूम के माथा उसे हंसाए</strong></p> <p><stro

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प्रकृति

5 अक्टूबर 2021
4
3
2

<p><strong>प्रकृति है जग का आधार</strong></p> <p><strong>जैवमण्डल पर करती कृपा अपार </st

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मंज़िल की तलाश

6 अक्टूबर 2021
1
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2

<p><strong>ज़िन्दगी संग तेरे</strong></p> <p><strong>मैं दो कदम चली</strong></p> <p><strong>थक गई, र

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मेरे प्यारे दादाजी

8 अक्टूबर 2021
1
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<p><strong>दादाजी ने हाथ पकड़कर </strong></p> <p><strong>चलना मुझे सिखाया था</strong></p> <p><s

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जज़्बा

10 अक्टूबर 2021
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<p><strong>राब्ता तुम्हारा है</strong></p> <p><strong>और मोहब्बत हमारी है</strong></p> <p><strong>इख

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घिसी हुई चप्पल

23 अक्टूबर 2021
1
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0

<p><strong>घिसी हुई चप्पल बयां करती है</strong></p> <p><strong>दीनता, संघर्ष, शिथिलता और</strong></p

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दीया

3 नवम्बर 2021
3
3
2

<p><br></p> <p><strong>जीवन को हमेशा, आशा से भरेगा</strong></p> <p><strong>खाक होकर भी, निरंतर साहस

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गाँव की हसीन शाम

13 दिसम्बर 2021
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<p><strong>जीवन के ढलते पड़ाव पर,</strong></p> <p><strong>संघर्षों की आंधी लिए</strong></p> <p><stro

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अपनापन

30 जुलाई 2022
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अपनों के संग वक्त बितानामुझको अच्छा लगता हैअपनों पर यूं हक जतानामुझको सच्चा लगता हैकभी रूठना कभी मनानामुझको मोहक लगता हैअपनों से दूर हो जानामुझको नाहक लगता हैफरेबी इस दुनिया मेंहर शख्स बेगाना लगता हैह

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