और क्या देंगे सभी को हौसला देते रहें
प्यार का, सद्भावना का सिलसिला देते रहें
दे नहीं सकते हैं दौलत हैसियत भी है नहीं
मुफ्त की इक चीज़ है दिल से दुआ देते रहें
ज़िंदगी छोटी है इसको प्रेम से जी लें सभी
इस तरह इन्सानियत का हम पता देते रहें
खामखाँ इतरा रहे जैसे खुदा ही बन गए
आदमी हैं आदमी को रास्ता देते रहें.
सब चलें मिलकर चलें ये है सलीकेकारवां
जो भटक जाये उसे बढ़कर 'सदा' देते रहें
पोछ डालें आंसुओं को गर कहीं बहता दिखे
दर्द को हम प्यार की हर-पल दवा देते रहें
चार दिन की ज़िंदगी हमको मिली पंकज यहाँ
रौशनी बाँटें सभी को यह सिला देते रहें
गिरीश पंकज