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हमारी बातें

21 सितम्बर 2022

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मैं रुठ गया,तुम भी रुठ गयी,

हुआ क्या?बस बातें रुक गयी।


मुझे प्रतिक्षा रहती थी जिसकी,

वो फोन की घण्टी बंद हो गयी।


कान जिस आवाज के मुरीद थे,

वो बातें भी अब मौन हो गयी।


पता हम दोनों को ही नहीं है कि,

किससे कितनी भूल हो गयी।


मैं तो पहले भी अकेला था लेकिन,

प्रिये!अब तुम अकेली हो गयी।

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रचनाएँ
पद्य माला
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हिन्दी की कुछ अनसुनी रचनाएं। साहित्य जगत में पहला कदम।

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