बेवफ़ा हम नहीं, बेवफ़ा वो भी नहीं, बस हमारी वफाओं में कुछ दम नहीं. मिलते है कुछ ऐसे कि बिछड़े ही ना थे, बिछड़ते है तो ऐसे जैसे जानते ही ना थे. आना-जाना तो उनका बस एक दिखावा है, दिखावों की इस दुनियां में दिल लगता नहीं. (आलिम )
सुना है यूँ तो हुआ करती है दुनियां में दिल की चोरी ना तो दिल चोरी हुआ ना हम से दिल चुराया ही गया. (आलिम) आसमां में जो लिखे जाते जोड़े, इस जहाँ में यूँ क्यों तन्हा होते. (आलिम)
चेतनाएं आवारा हो चली हैं,शब्द तो कंगाल हुए जाते हैं...लम्हों को इश्के-आफताब नसीब नहीं,खुशबु-ए-बज्म में वो जायका भी नहीं,मंटो मर गया तो तांगेवाला उदास हुआ,शहरों में अब ऐसे कोई वजहात् नहीं...!तकल्लुफ तलाक पा चुकी अख़लाक से,बेपर्दा तहजीब को यारों की कमी भी नहीं...।आवारगी भी कभी सोशलिस्ट हुआ करती थी,मनच
गली में कुत्ते बहुत भोंकते हैं,बाजार में कोई हाथी भी नहीं...शोर का कुलजमा मसला क्या है,कुछ मुकम्मल पता भी नहीं...चीखना भी शायद कोई मर्ज हो,चारागर को इसकी इत्तला भी नहीं...मता-ए-कूचा कब का लुट चुका है,शहर के लुच्चों को भरोसा ही नहीं...दो घड़ी बैठ कर रास्ता कोई निकले,मर्दानगी को ये हुनर आता ही नहीं...य