16 अगस्त 2018
“कुंडलिया” आगे सरका जा रहा समय बहुत ही तेज। पीछे-पीछे भागते होकर हम निस्तेज॥ होकर हम निस्तेज कहाँ थे कहाँ पधारे। मुड़कर देखा गाँव आ गए शहर किनारे॥ कह गौतम कविराय चलो मत भागे-भागेकरो वक्त का मान न जाओ उससे आगे॥महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी