गौ माता की महिमा है अपरम्पार
गौ में करते तेंतीस करोड़ देव निवास
मोझदायिनी पुण्यदायिनी करती है उद्धार
गाय माता तेरी महिमा का नही है पार
तेरी सेवा-पूजन से मिले सहज चारो धाम
बिन स्वार्थ करती मां आप सब पर उपकार
पोषण करें देकर सबको गुणकारी दुग्धधार
आधुनिकता की चकाचौंध से मानव भूले संस्कार
दुह कर दूध कामधेनु को छोड़े देते बीच बाजार
मजबूरन कचरा गंदा खा जाती होने लगे विकार
स्वार्थमय होता है उसका रखवाला कैसी हुई लाचार
आज दुर्दशा है ऐसी अपने आंगन में मिलती दुत्कार
हे कृष्ण कन्हैया गोवर्धनधारी तुम हो गौवंश पालन हार
सुनो ग्वाला मुरारी मानव की बुद्धि का दूर करो विकार।
- सीमा गुप्ता,अलवर राजस्थान