सच ही तो है
केवल बेटियां ही नहीं बेटे भी दूर चले जाते हैं
धन कमाने के लिए जिविका चलाने के लिए
पराए शहर में जाकर जीवन बिताते हैं
अपनी मां पत्नी के हाथ का स्वादिष्ट खाना छोड़ कहीं होटल तो कहीं मैस में खाता खाते हैं
अपना सुंदर आशियाना छोड़ कर बेटे
अन्जाने शहर में छोटा सा घर बसाते हूं
कोई नहीं मिलता वहां अपना
मजबूरी में अकेले ही जीवन बिताते हैं
हंसते हैं चेहरे पर मुस्कराहट भी लाते हैं सबसे छुपा कर आंसू बहाते हैं ।
- सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान