कविता - हिंदी हमारी शान
भाषा से अपनी पहचान
भाषा पर है हमें अभिमान
संस्कृति की नींव है भाषा
इसी से है हमारी शान...
भूलकर भी इसे ना भुलाना
अपने दिल से इसे अपनाना
बच्चों को भी इसे सिखाना
स्वदेशी तुम उन्हें बनाना
भाषा हो रही है बीमार
मिलकर करो इसका उपचार
होने ना दो इसका तिरस्कार
बन जाओ इसके पालनहार
राष्ट्र से करें हम प्यार
राष्ट्र हमारा है आधार
राष्ट्र की है यही पुकार
हिंदी ही हिंदी हो हर बार
मीनाक्षी शर्मा
कपूरथला