ज़ुबांने हिन्द किसी जुबांन की मोहताज़ नहीं है, ज़रूरत हर जुबांन को ज़मीने हिन्द की रही है. (आलिम)
अंदाज़े रेख़्ता ए हिन्दुस्तान कुछ और ही है, अब तो रेख़्ता ए पाकिस्तान भी है. अंदाज़े बयां एक ही है ,पर मिज़ाजे बयां कुछ और ही है. (आलिम)
पहली बार किसी गज़ल को पढ़कर आंसू आ गए । शख्सियत, ए 'लख्ते-जिगर, कहला न सका । जन्नत,, के धनी "पैर,, कभी सहला न सका ।. दुध, पिलाया उसने छाती से निचोड़कर, मैं 'निकम्मा, कभी 1 ग्ला