डा अम्बेडकर ने कहा था,,मुट्ठी भर लोगो द्वारा बहुसंख्यक जनता का शोषण इसलिए संभव हो रहा है की पैदावार के संसाधन ,जैसे जल ,जंगम ,जमीन, खादान, उद्योग धंधों ,कल कारखानों, यातायात के संसाधान,बैंक इत्यादि पर समाज का मालिकाना नही है,,अर्थात यदि पैदावार के संसाधन पर जिनका निजी मालिकाना होगा ,वही शोषण कर सकता है,यदि उत्पादन के साधनों का मालिकाना उसके हाथ में नही है तो वह चाहे किसी भी जाति का हो ,वह शोषण नही कर पाएगा,,,,,,शोषण से संरक्षण के लिए बाबा साहेब डा अम्बेडकर के अनुसार ,पैदावार के प्रमुख संसाधन सरकारी होना चाहिए,इसे ही बाबा साहेब डा अम्बेडकर ने राजकीय समाजवाद कहा,,सही मायने में यही राजकीय समाजवाद , डा अम्बेडकर का सपना था,,या कह सहते है की यही असली उनका मिशन है ,जिसे तथाकथित जातिवादी नेताओ ने इसे छुपाकर रखा और जनता के सामने उजागर नहीं किया,,जातिवादी नेताओ ने जाति का संगठन बनाकर सवर्ण को गाली देने के अलावा कुछ नहीं किया,,और आंबेडकर के इस शोषण वाली व्यवस्था को खत्म करने के बजाय जाने अंजाने में शासक वर्ग को ही फायदा पहुंचाया है,,बहुजनो ,दलितों का मसीहा कहने वाले जातिवादी ने कभी आर्य अनार्य,कभी 15 ,85 कभी मूलनिवासी vnam विदेशी की बात कहकर भावनात्मक मुद्दा6 में उलझाए रखा,,,