shabd-logo

हमारा समय

11 जून 2016

237 बार देखा गया 237
featured image

हमारा समय

 

हम जीस रास्ते चले

जरुरी नहीं की फूल ही बीछे हो,

कांटे ना सही लेकिन रास्ता कठिन जरुर हो सकता है.

हमें तो चलना है अपनी धुन पर...

और हम चले

अंजान रास्तों पर

धूल भरे रास्तों से शुरु हुआ था सफ़र हमारा

आज सडको पर चलते है पक्की सडको पर

पर हमारें अंदर बसा इन्सान सो चूका है

बहुत गहरी निंद...

पत्थरों से कभी-कभार हमारा अभिवादन होता था

उस वक्त जो हमने सोचा था

‘आगे जाके हम इस पत्थर को फूल बना देगे’

लेकिन सपना जैसे टूटता है आँख खुल जाने पर

विचार ठंड आहें भरे

सांसों से निकल जाती है ...

कभी पानी के लिए तड़प उठते थे

जुल्लू भर के पीना पड़ा

सौंदर्य से नहीँ, मज़बूरी से

उसी वक्त हमने आगे निकलने का मन बनाया था

पर आज पहूंचे कहाँ ... ?

लगता है

हम भी कोई हिस्सा है उन्ही में से

जिसे वह लोग पहचान नहीं पाए थे

गले मिला लिया, घर पे बुला लिया ...

हमने यह ना जाना की हम वही है जहाँ से हम चले थे

उससे भी बदतर स्थिति मैं है सायद.

भीतर से सुना पड़ा कोना सुबक रहा है

दीवारे हँस रही है

आसमान के नीचे, हम भौंकते से रहते है

हमारा समय

मौक़ा दे के, मौक़ा छीन लेता है,

अब जब कोई धूल उडाता चलता है कोई

पैर थम से जाते है ... आँखे धुंधला सि जाती है ...


हरेश परमार 

 

डॉ उमेश पुरी 'ज्ञानेश्‍वर'

डॉ उमेश पुरी 'ज्ञानेश्‍वर'

जीवन संघर्ष का नाम है राह के रोड़े हटाने के लिए संघर्ष तो हम सब की नियति है। हारना कभी नहीं चाहिए क्योंकि हार के बाद ही जीत है।

14 जून 2016

वल्लभ वाणवी

वल्लभ वाणवी

sab kuch dhundhlaa saa .bilkul jindagi ki hakikato ki taraah, sab kuch saamne hote huye , aankhe kholo to koyi saamne nahi.....agar h to kuch dikhtaa nahi. .......aadhunik rachnaao ki kaxaa me saamil kar sakte h is kruti ko........gahraayi ko samj ne ke liye anubhv aur dimaag - dono kaa eksaath honaa jaruri h......nahi to saamne sunyaavkaas.......

11 जून 2016

11 जून 2016

1

परिवार वाद के विरोध में परिवारवाद

6 जून 2016
0
5
3

'हमने कई लोगों की मिठाई रोक दी और ऐसा करनेमें मुझे कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा' - महा प्रधान मंत्री कम विदेश मंत्री श्रीश्री मोदी जीRSSएक परिवारहै,जिसे कईपदों पर इस कार्यकाल में परिवार वाद का विरोध करते हुए आसीन किये|अभी अभीकिरण बेदी को गवर्नर बनाया गया | मिठाई तो बंटी पर अपने लोगों के बीच में बंट

2

क्रांति का नारा : जय भीम का नारा

7 जून 2016
0
4
2

क्रांति का नारा : जय भीम का नारा संघी सफल क्यों होते है आंबेडकर को अपनेअंबेडकर बनाने में ? कारण साफ है : जो लोग शिक्षा ले के आगेआये उन्होंने चाहे वह नौकरी करता हो या न करता हो, उन्होंने आंबेडकर के विचारों को घर घर नहीं पहुँचाया, आंबेडकर के चित्र रखे पर पूजा-धूपबत्ती के छाये में लद गए, समाज से जो बाह

3

अपनी परछाई

9 जून 2016
0
3
0

अपनी परछाई  कभी जिन्दगी की साम ढलने के वक्तकुछ अहसास होता है अँधेरे काकुछ सुकून सा देता हैवह पल चहचहाते उड़ते अपने घर को लौटते पंखकुछ शांत से खड़े, पत्तो को संजोयें पेड़कुछ वक्त के लिए होता है अहसासअँधेरा घना होने से पहलेसूरज के डूबने के बादकुछ लालिमा आसमान कीदेती है सुकूनफिर बढ़ता है अँधेराहमें दिखाई द

4

कबीरन

9 जून 2016
0
3
1

कबीरन अक्सर वह सुमेघ को ट्रेन में दिखायी दे जाती थी। कभीअपने समूह में तो कभी अकेली। सुमेघ उसे देख अपने पास बुला लेता या वह खुद ही चलीआती। ऐसा लगता जैसे वो उसे पहचानती है। सुमेघ ने कई बार सोचा कि उसके बारे मेंजाने लेकिन सार्वजनिक जगह और समय की कमी ने कभी भी मौका ही नहीं दिया। वह बहुतसुन्दर थी और गाती

5

हमारा समय

11 जून 2016
0
1
3

हमारा समय  हम जीस रास्ते चले जरुरी नहीं की फूल ही बीछे हो,कांटे ना सही लेकिन रास्ता कठिन जरुर हो सकता है.हमें तो चलना है अपनी धुन पर...और हम चले अंजान रास्तों पर धूल भरे रास्तों से शुरु हुआ था सफ़र हमाराआज सडको पर चलते है पक्की सडको परपर हमारें अंदर बसा इन्सान सो चूका हैबहुत गहरी निंद...पत्थरों से कभ

6

दंगा रोकने का लालू-मंत्र.

18 जून 2016
0
2
0

दंगा रोकने का लालू-मंत्र.यूपी में दंगा रोकना अखिलेश सरकार की जिम्मेदारी है. डीएम, एसपी, थानेदार चाह ले और यूपी में कहीं दंगा हो जाए, यह नामुमकिन है.सरकार को सिर्फ इतना कहना होगा कि दंगा हुआ तो इलाके के अफसर बर्खास्त होंगे.सिर्फ यह करके लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और नीतीश कुमार ने बिहार में 25 साल तक द

7

जाति

29 जून 2016
0
3
0

जाति कौन जागता है ?कौन सोता है ?यहाँ कौन सा किस तरह का बदलाव हुआ है ?एक बच्चा आज भी माँ की कोख से जाति ले के जन्म लेता है. बोध होता हो या ना होता हो,दुनिया बोध करा देती है,जाति ऐसी चीज है जो उम्र के साथ अपना कद दोगुना बढ़ा लेती है. एक पेड़ पर चढ़कर आज भी मनुष्यअपनी वाली डाली ही काटता रहता है,यह बिंब प्

8

रोहित की शहादत, राजनीति करण एवं हम

30 जून 2016
0
5
5

रोहित की शहादत, राजनीति करण एवं हमहरेश परमार कुछ परिदृश्य ऐसेहोते है जिसे हम देखना नहीं चाहते, हम उनसे आँखे मूंदना चाहते है, फिर भी वह मंजरहमारी आँखों के सामने आ जाते है | हम लाख कोशिश करें पर फिर भी ऐसे वक्त में हमउनसे आँख चुराकर भी देख ही लेते है | समर्थन में हो या असमर्थन में पर हमारे सामनेयव यथा

9

अनजानी सी ...

25 अगस्त 2016
0
3
1

कुछ खोई खोई अपने सपनों मेंअपनी मुश्कान मेंअपने ही ख्यालों में अनजानी सी ....आवाज में वह नमी हैऔर पहचान भर बातेंदूर से छूती है दिल कोऔर लहराते बालो कोसँभालते गुजर जाती है अपनी एक अंजान पहचान छोड़करकोई नाम नहींकोई अनाम भी नहींकुछ सुहाने लम्हों को छोड़जाती है वह .....

10

संस्कृत किसी भाषा की मां नहीं है - दिलीप मंडल

31 अगस्त 2016
0
0
0

संस्कृत किसी भाषा की मां नहीं है. किसानों ने कभी भी संस्कृत में अपनी फसल नहीं बेची. मछुआरों ने संस्कृत में मछली का रेट नही बताया. ग्वालों ने संस्कृत में दूध नहीं बेचा, सैनिक ने कमांडर से इतिहास में कभी भी संस्कृत में बात नहीं की, किसी मां ने बच्चे को संस्कृत में लोरी नहीं सुनाई, खेल के मैदान में कभी

11

मुँह मत मोड़ना

14 सितम्बर 2016
0
2
0

अगर दोबारा कहीं मिले चौराहे परमुबारक मुँह मत मोड़ना, आरक्षण से है, रहेगे, आगे भी बढ़ेगे, हमें मिटाने से हम नहीं मिटेगेजहाँ भी दफ़न होगे, आपके रास्ते पे वटवृक्ष बन ऊग आयेगे ....-हरेश परमार

12

हरा पेड़ कोयला बन जायेगा....

16 सितम्बर 2016
0
3
0

तुं ही है अभी मंजर में आ देख बहुजनो के बंजर मेंअभी तो सोया हुआ है,कुम्भकर्ण सी नींद में, तुझे जो करना है कर ले अभी हीजागेगा जब बंजर सारा, तेरा मंजर बदल देगा....वक्त की नजाकत का फायदा लिया है तूनेअपने लोगो को सत्ता में देखलाडला बनवाया है तुझेमोहरा जब उतरेगा,वह कफ़न किसी और का पुकारेगा,वह हाल बस होगा,

13

फटी हुई चादर

18 अक्टूबर 2016
0
5
3

ठण्ड रात थीउनकी चादर फटी हुई थी,चादर कंप कंपा रही थी,कभी इधर-कभी उधर लुढ़क रहीथी.बस सिर्फ चादर फटी हुईथी,गहरी अँधेरी रात थी,ठण्ड उससे भी ज्यादा ढीठथी....रात जितनी लंबी थी, उससेभी ज्यादा लंबी हो रही थीचादर फटी हुई थी...नींद आँखों में होते हुएभी ठंडे तारों को देख रहीथी...

14

मैं वापिस आऊंगा - सूरज बड़त्या

19 अक्टूबर 2016
0
2
0

मैं वापिस आऊंगा - सूरज बड़त्या जब समूची कायनातऔर पूरी सयानात की फ़ौजखाकी निक्कर बदल पेंट पहन आपकी खिलाफत को उठ-बैठ करती-फिरती होअफगानी-फ़रमानी फिजाओं के जंगल मेंभेडिये मनु-माफिक दहाड़ी-हुंकार भरे....आदमखोर आत्माएं, इंसानी शक्लों में सरे-राह, क़त्ल-गाह खोद रहे होंसुनहले सपनों की केसरिया-दरियाबाजू खोल बुला

15

ओरांग उटांग !!!! - सूरज बडत्या

27 अक्टूबर 2016
0
0
0

ओरांग उटांग !!!!परम आदरणीय आंबेडकर विरोधियों !!!आपकी महिमा अपरम्पार हो !!! जय जय कार हो !!आपकी सारी बहस को मैंने बेहद बारीकी के साथ सतर्क निगाह से पढ़ा , और मैं अब इस नतीजे पर पहुंचा हूँ की आपके विचारों को मैं पूरी तरह से खारिज कर सकूँ !!! इसे अपने पूर्वज से असहमति दर्ज करना और उनकी सीमाएं दीखाना नही

16

देश के लिये....

14 नवम्बर 2016
0
2
0

जब एक फैसला हुआउस दिन एक बुजुर्ग की नजर में चमक दिखी थीदुसरे दिन बेंको में अपने नोट जो कुछ ही दिन पहले निकले थेबदलने गएउनका बीपी बस बढ़ने लगा था...वह तो देश को अपने सीने में बसा के आया थापर जब अपने आस-पास देखा बूढ़े-गरीब अपना काम छोड़कर अपने लिए खड़े थेदेश के नाम परमैं सोचते हुए आगे बढा ही थाबैंक में पै

17

आंसू

15 नवम्बर 2016
0
5
2

आंसूआपने रोहित वेमुला की माँ की आँखों में आंसू देखे थे ?आपने नजीब की माँ की आँखों में भी आंसू देखे थे ?पर आपको वह नजर नहीं आये ...वह नेता नहीं थेवह नेताओं के पुत्र-पौत्र नहीं थे...आपने उस उना काण्ड में मार खाने वालों के भी आंसू देखे थेआपको उस वक्त क्या लगा था ?आपने जब वह फैसला आया जब देश में आप जो र

18

देशभक्ति गीत

28 फरवरी 2017
0
2
0

मेढक को जब मैंने कहाप्यार की भाषा बोलोउसने कहा ‘ड्राऊ....’मैंने उसे फिर कहा नफरत की भाषा बोल के दिखाओ उसने कहा ‘ड्राऊ....’मैंने उसे फिर कहा चलो कोई नही, देशभक्ति गीत ही सुना दो‘ड्राऊ....’‘ड्राऊ....’‘ड्राऊ....’

19

मशाल बुझी हुई है ....

1 मार्च 2017
0
5
2

मशाल बुझी हुई है .... कोई फूल मुरझाये आपको क्या ?कोई पत्थर पर चढ़ जाए आपको क्या ?क्या कोई इंसान भी जिन्दा है यहाँचाँद पर जाने से जैसे चाँद भी पत्थर हो गया ...चांदनी हो गई उजाला ...माफ़ करना मेरे दोस्त !यहाँ पर कोई तुम्हारी उम्मीद सुनने नहीं आये हैसपने तो ‘पाश’ के समय में भी मरते थेआज सपनों के साथ इन्स

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए