तुं ही है अभी मंजर में
आ देख बहुजनो के बंजर में
अभी तो सोया हुआ है,
कुम्भकर्ण सी नींद में,
तुझे जो करना है कर ले अभी ही
जागेगा जब बंजर सारा,
तेरा मंजर बदल देगा....
वक्त की नजाकत का फायदा लिया है तूने
अपने लोगो को सत्ता में देख
लाडला बनवाया है तुझे
मोहरा जब उतरेगा,
वह कफ़न किसी और का पुकारेगा,
वह हाल बस होगा,
हरा पेड़ कोयला बन जायेगा....
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हरेश परमार