💐😊 पिचकारी😊💐
(हिंदी दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 17-03-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
03-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
04-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
05-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
06-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
07-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
08-डां. देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा
09-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
10-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
11-गीता देवी, औरैया (उ.प्र.)
12-भजनलाल लोधी फुटेर टीकमगढ़
13-रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
14-आचार्य रामलाल द्विवेदी 'प्राणेश', कर्वी चित्रकूट
15-कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर (निवाडी़)
16-रवि नगाइच, उज्जैन(म.प्र)
17-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
18-प्रदीप खरे 'मंजुल',टीकमगढ़
19-एस.आर.सरल, टीकमगढ़ (मप्र)
20-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु'.,बडागांव झांसी (उप्र.)
21-रामेश्वर राय 'परदेशी', टीकमगढ़ (म.प्र.)
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संपादकीय-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
साथियों हमने होली के त्यौहार पर पिचकारी पर केंद्रित यह ई-बुक्स तैयार की है आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-17-03-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-91+ 09893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)
*हिंदी दोहा बिषय-पिचकारी*
पिचकारी पिचकी पड़ी
पिया परे परदेश।
प्रेम रंग कैसे चढ़े।
पीला पहने वेश।।
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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02-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
विषय - "पिचकारी" हिंदी दोहा
1.
होरी खेलें ब्रज में, किशन संग बलराम ।
भर पिचकारी रंग सैं, घालत हैं घनश्याम ।।
2.
यमुना तट बैठे जहां, जांय सभी ब्रजनार ।
मटका भरै अबीर से,पिचकारी रंगदार ।।
3.
रंग रंगीले छैल छल,भर पिचकारी मार ।
वृंदावन में धूम मची,जहां तूँ नजर पसार ।।
4.
ग्वाल- वाल संग किशन जी,खेलें राधे फाग ।
मधुर स्वर से गा रही,पिचकारी भर राग ।।
5.
श्याम नाचे रंग रस,भर पिचकारी रंग ।
ब्रज गोपाला भी सभी,राधा सखियाँ संग ।।
***
-शोभाराम दाँगी 'इंदु', नदनवारा, जिला-टीकमगढ़
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03-संजय श्रीवास्तव, मवई (जिला-टीकमगढ़)
**हिंदी दोहे*
विषय - *पिचकारी*
*१*
पिचकारी ली प्रेम की,
पहुँचे प्रियतम पास।
तन की धरती भीग गइ,
भीगा मन आकाश।।
*२*
पिचकारी कान्हा लिए,
राधा हाथ गुलाल।
देख कन्हैया लाल को,
राधा हो गइं लाल।।
*३*
पिचकारी से निकलती,
रंग रँगीली धार।
प्रेम और सदभाव की,
मिली-जुली बौछार।।
*४*
पहले पीतल से बनी,
पिचकारी थी शान।
पिचकारी अब चीन की,
हर बाजार दुकान।।
*५*
ना पिचकारी हाथ में,
ना ही रंग गुलाल।
मोबाइल हर हाथ में,
यह होली का हाल।।
***
*संजय श्रीवास्तव* मवई
१५-३-२२ 😊 दिल्ली
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4-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
मंगलवार 15 मार्च 22 हिंदी दोहा दिवस
,, विषय पिचकारी,
,,,,
पिचकारी में रंग भरें, फगुआरे भए श्याम
राधा ऊपर छोड़ते , सखियां संग तमाम
,,,
पिचकारी पीली हरी,नीली लाल सफेद
विविध रंग भर सज रही, लिए प्रेम का भेद
,,,,,
पिचकारी भर प्रेम की, रहो वसंत चलाय
कामुकता रंग में रंगत, प्रकृति जीव मुसकाय
,,,,,,
पिचकारी डाली विटप, भरें प्रेम सौगात
ऋतु बसंत होली मिलन, मना रहे मुस्कात
,,,,,
पिचकारी पुलकित पुलक, प्रमुदित प्रेम प्रमोद
बरसाती भर विविध रंग, वारिद वारि विनोद
,,,,,
जीजा जू पुचकारकें,पिचकारी पिचकात
सारी की सारी रंगत, सारी गइ मुस्कात
,,,,,,
कवियन की पिचकारियां, शब्द सुमन का रंग।
प्रेम प्रमोद उड़ेलतीं भरती हृदय उमंग।।
***
-प्रमोद मिश्रा ,बल्देवगढ़
स्वरचित मौलिक
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5- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
पिचकारी पर हिन्दी दोहे
पिचकारी रंग से भरी,मन में उठत उमंग।
वृज बीथन होली मची,राधा मोहन संग।।
साजन हैं परदेश में,उन बिन फीकी फाग।
रंग पिचकारी देख के, लगे वदन में आग।।
गलियों में खींचें मचीं,उड़ रये रंग गुलाल।
बेंरन पिचकारी भई, घरै नहीं नंदलाल।।
ग्वालवाल संग में लिय, नटवर नंद किशोर।
रंग पिचकारी मारके,बहिंयां दई मरोर।।
बृन्दावन का छोकरा, बरसाने की नार।
घूंघट में पहचान के,दइ पिचकारी मार।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
***
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
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06-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
हिंदी दोहा
विषय पिचकारी
दिनांक 15 3 2022
पिचकारी के रंग से, बहे प्रेम की धार।
जो रंग से डरता फिरे, मन को लेता मार।
पिचकारी की धार से, अंगिया चूनर लाल।
होली के त्यौहार में, उड़े अबीर गुलाल।
पिचकारी नैना बना, करे रंग बौछार।
चढ़े रंग जब प्यार का, जुड़ते मन के तार।
ले पिचकारी हाथ में, डोलत नंदकिशोर।
कान्हा के रँग जो रँगा, होता भाव विभोर।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी
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07-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर
हिन्दी दोहे - पिचकारी
दिनाँक- 15/03/2022
मोर मुकुट वंशी कमर, ले पिचकारी हाथ।
सखा-सखी सँग-साथ में, होली खेलें नाथ।
पिचकारी में रंग भर, तंग करे नँदलाल।
चूनर चोली कर गए, डाल-डाल रँग लाल।
पिचकारी भर-भर भगें, होरी खेलन बाल।
देखन में छोटे लगें, करवें किन्तु कमाल।
तरह-तरह के आ रहे, पिचकारी आकार।
छोटे बड़े मझोल हैं, इसके कई प्रकार।।
पिचकारी से डाल दो, बिना छुए ही रंग।
होली में हो जाय नहिं, कहीं रंग में भंग।।
****
मौलिक/-
***
-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर
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08-डां देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा,(छतरपुर)
🥀 🥀हिंदी दोहे- पिचकारी 🥀
पिचकारी में रंग भरे,
छेड़ें रसिया तान।
फागुन के रंग में रंगे,
बारे बूढ़े ज्वान।।
नैना पिचकारी बने,
भरा सरस अनुराग।
अधरों की मुस्कान से,
सजनी खेले फाग।।
रंग पिचकारी हाथ में,
लेकर खड़े मुरार।
नैनों से नैना मिले,
छलका अंतर प्यार।।
***
-डॉ देवदत्त द्विवेदी 'सरस'
बड़ा मलहरा (छतरपुर)
***
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09-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
🌹हिन्दी दोहे🌹पिचकारी🌹
***********************
होली,पिचकारी बिना,
पिचकारी,बिन रंग।
मानव तन सत्कर्म बिन,
रहें सदा बदरंग।
***********************
तन पिचकारी में भरे,
भाँति भाँति के रंग।
जग में जितने मनुज हैं,
उतने ही रँग ढंग।
************************
होली खेले राधिका,
गिरधारी के संग।
बरसाने में हो रही,
पिचकारी से जंग।
************************
पिचकारी सम जगत में,
नहिं कोई हथियार।
इसका होता वार जहँ,
वहाँ बरसता प्यार।
************************
**************************
-गोकुल प्रसाद यादव नन्ही टेहरी (बुढेरा)
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10-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
दिनांक15.2.2022. पिचकारी
🌹
फागुन चढ़ि गयो भंग हो,चैन नहीं दिन रात।
पिचकारी रंग सें भरें, श्याम गलिन इठलात।।
🌹
सराबोर रंग से सखि,तोऊ बुझे न प्यास।
भर पिचकारी प्रेम की, श्याम न आये पास।।
🌹
गुम सुम बैठी राधिका,मन मोहन आ जावे।
पिचकारी केसर भरो,तन मन सब रंग जाव।।
,🌹
जो होती मैं श्याम की, पिचकारी रंगदार।
लिपटी रहती अंग सें,भरती मनहिं बहार।।
🌹
पिचकारी सुंदर सजी,रंग केसर के संग।
तन मन सब थिरकन लगे,ह्रदय बाजति चंग।।
🌹
-आशा रिछारिया, निवाड़ी
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11- गीता देवी, औरैया(उप्र.)
पिचकारी
होली खेलें राधिका, सब गोपियों संग।
पिचकारी में आज वह, भरे प्रेम के रंग।।
पिचकारी की धार से, हुई चुनरिया लाल।
प्रीत रंग छूटे नहीं, बीते कितने साल।।
कान्हा मैया से कहें, लो पिचकारी मोल।
जाऊँ होली खेलने, रंगों को दो घोल।।
पिचकारी में रंग है, थाली सजी गुलाल।
राधा को अब खोजने, चले नन्द के लाल।।
मची फाग की धूम है, भाँग घोंटते लोग।
पिचकारी है हाथ में, सँग गुजियों का भोग।।
***
गीता देवी
औरैया (उत्तर प्रदेश)
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12-भजनलाल लोधी फुटेर टीकमगढ़
( हिंदी दोहा-पिचकारी)
******************
हम तो रँग ड़ाला नहीं,
ली पिचकारी छीन!
फिर क्यूँ मेरे गाल पर,
थप्पड़ मारे तीन!!
******************
मैया तेरे लाल नें,
कीन्हों लाल शरीर!
अंग अंग दीन्हों मसल,
उठी कलेजें पीर!!
*******************
पिचकारी मारी नहीं,
मुझको कहती ढ़ीठ!
ना माने तो देख ले,
मैया मेरी पींठ!!
******************
जो मैं यैसा जानती,
धोंय ना छूटे दाग!
बृज में ढुन्ड़ी पीटती,
नहीं खेलना फाग!!
******************
पिचक मार दी बेहिचक,
सखीं हुईं भयभीत!
ऊपर प्रबल बिरोध पर,
मन के भीतर प्रीत!!
******************
स्वरचित एवं मौलिक
-भजनलाल लोधी फुटेर टीकमगढ़
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13-रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
पीतल की पिचकारियाँ,
अरु पलाश के रंग।
खेला करते थे कभी,
हम मित्रों के संग।।
***
-रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
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🌹🌷दोहे- पिचकारी🌹 🌷
जन बौराए रंग में, बौराये हैं आम।
पिचकारी रंग डालते, मस्ती आठो याम। १।
रस रंगों की धार है, प्रेमिल बहे बहार ।
पिचकारी पुचकारती ,भीगो रंग में यार।२
रस सिक्ता ब्रजभूमि है, रस रंजित गो ग्वाल।
पिचकारी से श्याम जू, ब्रज में करें धमाल ।३
भर पिचकारी श्याम ने, दी राधा पर डा र।
लथपथ राधा श्याम की ,छवि को रही निहार ।४
पिचकारी देवर लिए , ढूढ़ें भाभी मात ।
नहलाते रस रंग से ,चरनन शीश नवा त।५
🙏🙏🙏🙏🙏
स्वरचित मौलिक
-आचार्य रामलाल द्विवेदी 'प्राणेश', कर्वी चित्रकूट
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पिचकारी भरकर युगल , खेल रहे हैं फाग ।
मथुरा गोकुल धाम में , उमड़ रहा अनुराग ।।
पिचकारी जब-जब घले,मजा खूब ही आय ।
सराबोर हो जात हैं , तन - मन ठंडक पाय ।।
पिचकारी जीजा भरें , रंग घोर ले आय ।
ढूँढे़ं बखरी पौर में , सारी छिप-छिप जाय ।।
अलंकार रस छंद के , कविवर घोरें रंग ।
भर पिचकारी घालते , पी साहित्यिक भंग ।।
माते-मुखिया देश के , खूब खेलते फाग ।
भर पिचकारी मारते , नहीं छूटते दाग ।।
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( मौलिक एवं स्वरचित )
---- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)
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16-रवि नगाइच,उज्जैन (मप्र)
हिंदी दोहे - पिचकारी,सादर समीक्षार्थ।
*****************************
चारों ओर उमंग है, छाई खुशी अपार।
प्रेम सुधा बरसा रही,पिचकारी की धार।।
भींग गया तन-मन सभी,भींग गया हर अंग।
श्याम सलोना डालता, पिचकारी से रंग।।
मुदित हुआ मन देखकर, जागे सोये भाग।
भर पिचकारी राधिका,खेल रहीं हैं फाग।।
तन बृज रज कण हो गया, मन वृंदावन धाम।
पिचकारी की मार से,राधा हो गई श्याम।।
फागुन रस बरसा रहा,उड़े अबीर गुलाल।
पिचकारी ले हाथ में,मोहन करे धमाल।।
***************************
प्रोफेसर रवि नगाइच,
जतारा/शास इंजीनियरिंग कॉलेज उज्जैन
9425357553
***************************
-रवि नगाइच,उज्जैन
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17-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
हिन्दी दोहे विषय पिचकारी
पिचकारी से डर लगे, मत मारो घनश्याम।
हर दम रंग उड़ेलते, देखो सुबह न शाम।।
झोली भरी अबीर की, ऊपर से दी डाल।
रँग पिचकारी मार के, किया हाल बेहाल।।
पिचकारी भर कर खड़े, श्री बृजराज कुमार।
बृजवाला पर छोड़ते , रस रँग भरी फुहार।।
गोरे गोरे गाल पर , मलने लगे गुलाल ।
पिचकारी की धार से , किया हाल बेहाल।।
रँग से पिचकारी भरे , मुट्ठी भरे गुलाल।
बृज बीथी में विचरते, बे बांके बृज लाल।।
***
-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
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18-प्रदीप खरे, 'मंजुल',टीकमगढ़
दोहा..
बिषय...पिचकारी
15.03.2022
******
भर पिचकारी रंग से,
लिये खड़े हैं ग्वाल।
तनहिं रंग हैं डारते,
मुख पर मलहिं गुलाल।।
2-
पिचकारी नहिं मारियौ,
मानौ कहन हमार।
मैं छोरी नंदगाँव की,
लागौं बहन तुमार।।
3-
होरी आई आ गये,
टोली सँग घन श्याम।
लाठी ले ग्वालन खड़ी,
लय पिचकारी श्याम।
4-
राधा बिन होरी नहीं,
बरसाने में होय।
ले पिचकारी पूँछते,
कौनउँ देखी होय।।
5-
रीत प्रीत की है चली,
बैर न रखियौ कोय।
भर पिचकारी डारियौ,
जो कउँ बैरी होय।।
***
*प्रदीप खरे, मंजुल*टीकमगढ़
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19- एस आर सरल, टीकमगढ़
हिन्दी दोहा -पिचकारी
********************************
पिचकारी बहु भाँति की,घुले मिले बहुरंग।
रँग बरसे नैहिन लड़े, पुलके अंगहि अंग।।
तन मन निर्मल नीर सा, जैसे निर्मल गंग।
पिचकारी मोहन भरें , खेलें राधा संग ।।
रंगों की बौछार है, यह होली त्यौहार।
पिचकारी की मार से,बरसे अँखियन प्यार।।
पिचकारी लेंके पिया, गये खेलनें फाग।
गहरें रँग डारें पिया, धुलें न छूटें दाग।।
पिचकारी में रँग भरें, रंग में रँगे श्याम।
होरी खेलें राधिका, मची धूम बृज धाम।।
*******************************
-एस आर सरल, टीकमगढ़
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20-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु'.,बडागांव झांसी (उप्र.)
हिन्दी दोहा - पिचकारी.
पिया नहीं हैं पास में, रास न आवें रंगृ
पिचकारी पिचकी परी, खोई सभी उमंग।।
चमक नहीं अब रंग में, रंग सभी बेरंग।
पिचकारी अच्छी लगे, पिया होंय जब संग।।
कारी चूनर पे नहीं, चढे़ दूसरो रंग।
पिचकारी प्यारी लगी, रंगे गये जब अंग।।
रीति प्रीत रस रंग में, हो होरी हुरदंग।
पिचकारी दोहों भरी, चली पिया के संग।।
-***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी (उप्र.)
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21-रामेश्वर राय 'परदेशी', टीकमगढ़ (म.प्र.)
दोहा पिचकारी
मोहन बरसाने चले
घर बरसाने रंग।
ले पिचकारी राधिका
हो लीं मोहन संग।।
***
-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)
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💐😊 💐😊 पिचकारी😊💐😊💐
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