उर्दू
साहित्य की सर्वाधिक विवादास्पद और सर्वप्रमुख लेखिका इस्मत चुग़ताई उम्दा
कहानीकार रही हैं जिन्होंने अपनी रचनाओं के जरिये महिलाओं के सवालों को नए सिरे से
उठाया। इस्मत चुग़ताई का जन्म: 21 जुलाई,
1915, बदायूँ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था| उल्लेखनीय है कि उन्होंने
निम्न मध्यवर्गीय मुस्लिम तबक़ें की दबी-कुचली सकुचाई और कुम्हलाई लेकिन जवान होती
लड़कियों की मनोदशा को उर्दू कहानियों व उपन्यासों में पूरी सच्चाई से बयान किया
है। उनकी कहानी
लिहाफ़ के लिए लाहौर हाईकोर्ट में उनपर मुक़दमा चला। जो बाद में ख़ारिज हो गया। उन्होंने
अनेक चलचित्रों की पटकथा लिखी और जुगनू में अभिनय भी किया। उनकी पहली फिल्म
छेड़-छाड़ 1943 में आई थी। वे कुल 13 फिल्मों से जुड़ी रहीं। उनकी आख़िरी फ़िल्म
गर्म हवा (1973) को कई पुरस्कार मिले। उर्दू साहित्य में सआदत हसन मंटो, इस्मत चुग़ताई, कृश्न चन्दर और राजेन्द्रसिंह बेदी को कहानी के
चार स्तंभ माना जाता है। इनमें भी आलोचक मंटो और चुगताई को ऊंचे स्थानों पर रखते
हैं क्योंकि इनकी लेखनी से निकलने वाली भाषा, पात्रों, मुद्दों और स्थितियों ने उर्दू साहित्य को नई पहचान और ताकत बक्शी। उर्दू
साहित्य की दुनिया में ‘इस्मत आपा’
के नाम से विख्यात इस लेखिका का निधन 24
अक्टूबर, 1991 को हुआ। उनकी वसीयत
के अनुसार मुंबई के चन्दनबाड़ी में उन्हें अग्नि को समर्पित किया गया।
साहित्य सृजन :
पहली
कहानी-
गेन्दा, जिसका प्रकाशन 1949 में उस दौर की
उर्दू साहित्य की सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक पत्रिका ‘साक़ी’ में हुआ।
पहला
उपन्यास-
ज़िद्दी 1941 में प्रकाशित हुआ।
कहानी
संग्रह- चोटें,
छुईमुई, एक बात, कलियाँ, एक रात, दो हाथ दोज़खी,
शैतान|
उपन्यास-
टेढी लकीर, जिद्दी,
एक कतरा ए खून, दिल की दुनिया, मासूमा, बहरूप नगर, सैदाई,
जंगली कबूतर, अजीब आदमी, बांदी|
आत्मकथा-
'कागजी हैं पैराहन', चलचित्र के क्षेत्र में|
पुरस्कार/सम्मान-
1974- गालिब
अवार्ड, टेढ़ी लकीर पर, साहित्य अकादमी
पुरस्कार, ‘इक़बाल सम्मान’, मखदूम अवार्ड, नेहरू अवार्ड|