कहानी : मेरी माँ कहाँ / कृष्णा सोबती
बहुतदिन के बाद उसने चाँद-सितारे देखे हैं। अब तक वह कहाँ था? नीचे, नीचे, शायद बहुत नीचे...जहाँ की खाई इनसान के खून से भर गयी थी।जहाँ उसके हाथ की सफाई बेशुमार गोलियों की बौछार कर रही थी। लेकिन, लेकिन वह नीचे न था। वह तो अपने नए वतन की आंजादी के लिएलड़ रहा था। वतन के आगे कोई सवाल नहीं,अपना कोई खयाल नही