कहानी : चूहा और मैं / हरिशंकर परसाईं
चाहतातो लेख का शीर्षक मैं और चूहा रख सकता था। पर मेरा अहंकार इस चूहे ने नीचे करदिया। जो मैं नहीं कर सकता, वह मेरे घर का यह चूहा कर लेता है।जो इस देश का सामान्य आदमी नहीं कर पाता, वह इस चूहे ने मेरे साथ करके बता दिया। इस घर में एक मोटाचूहा है। जब छोटे भाई की पत्नी थी, तब घर में खाना बनता था। इस बीच