जाने कब नज़र बदल जाए, जो आज अपने हैं वो पराए बन जाएं। आईना भी संभल कर देखना , जाने कब अपनी ही नजर लग जाये। ख्वाबो को दामन मे सहेज कर रखना , जाने कब किस्मत के सितारे बदल जाएं ।दर्द को भी निगाहों मे छिपा कर रखना , जाने कब दर्द ही दवा बन जाये। हवाओं से भी शर्त लगा लेना , जाने कब हम हवाओं से भी आगे निकल जाएं। परिन्दों सी उड़ान भरना , जानें कब आकाश कदमो तले आ जाए। रात को भी अपनी तक़दीर समझना, फिर जानें कब सुबह हो जाएं, जानें कब मौसम बदल जाएं, आज पतझड़ है कल बहार आ जाए।