एक दीप, मन के मंदिर में,
कटुता द्वेष मिटाने को !
एक दीप, घर के मंदिर में
भक्ति सुधारस पाने को !
वृंदा सी शुचिता पाने को,
एक दीप, तुलसी चौरे पर !
भटके राही घर लाने को,
एक दीप, अंधियारे पथ पर !
दीपक एक, स्नेह का जागे
वंचित आत्माओं की खातिर !
जागे दीपक, सजग सत्य का
टूटी आस्थाओं की खातिर !
एक दीप, घर की देहरी पर,
खुशियों का स्वागत करने को !
एक दीप, मन की देहरी पर,
अंतर्बाह्य तिमिर हरने को !
दीप प्रेम का रहे प्रज्ज्वलित,
जाने कब प्रियतम आ जाएँ !
दो नैनों के दीप निरंतर
करें प्रतीक्षा, जलते जाएँ !