जब बात मेरी तेरे कानों में कहता होगा चाँद
इस दुनिया के कितने ताने, सहता होगा चाँद...
कभी साथ में हमने-तुमने उसको जी भर देखा था
आज साथ में हमको, देखा करता होगा चाँद...
यही सोचकर बड़ी देर झोली फैलाए खड़ी रही,
पीले पत्ते सा अब, नीचे गिरता होगा चाँद...
अँबवा की डाली के पीछे, बादल के उस टुकड़े में,
छुप्पा-छुप्पी क्यों बच्चों सी, करता होगा चाँद...
मेरे जैसा कोई पागल, बंद ना कर ले मुट्ठी में,
यही सोचकर दूर-दूर, यूँ रहता होगा चाँद...
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