दर्द का रिश्ता दिल से है,
और दिल का रिश्ता है तुमसे !
बरसों से भूला बिसरा,
इक चेहरा मिलता है तुमसे !
यूँ तो पीड़ाओं में मुझको,
मुस्काने की आदत है ।
काँटों से बिंधकर फूलों को,
चुन लाने की आदत है ।
पर मन के आँगन, गुलमोहर
शायद खिलता है तुमसे !
बरसों से भूला बिसरा,
इक चेहरा मिलता है तुमसे !
धूमिल से उन तारों में जब,
मेरा नाम लिखा तुम देखो,
भूरी चिड़िया के गायन में,
मेरे ही स्वर को अवरेखो !
तब बस इतना ही कह देना -
"वक्त बहलता है तुमसे" !
बरसों से भूला बिसरा,
इक चेहरा मिलता है तुमसे !
निर्मलता की उपमा से,
क्यों प्रेम मलीन करूँ अपना,
तुम जानो अपनी सीमाएँ,
मैं जानूँ, तुम हो सपना !
साथ छोड़कर मत जाना,
भटकाव सँभलता है तुमसे !
बरसों से भूला बिसरा,
इक चेहरा मिलता है तुमसे !